एफएनएन, देहरादून: मुंबई की तर्ज पर अब उत्तराखंड पुलिस के मालखाने भी हाईटेक बनाए जाएंगे. जिसे एविडेंस मैनेजमेंट सेंटर के नाम से जाना जाएगा. इसमें मुकदमा से संबंधित साक्ष्य और सामान का रखरखाव किया जाएगा.पहला देहरादून जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है, जिससे पुलिसिंग और आसान हो सके. इसके लिए मुंबई के एडवांस्ड मैनेजमेंट सेंटर की व्यवस्था और डिजाइन का अध्ययन किया जा रहा है.इस व्यवस्था के बाद अब जिले के थानों में मालखाना नहीं होगा. बल्कि प्रदेश के जिलेवार एक ही मालखाना बनाया जाएगा,जोकि एक वेयरहाउस की तरह होगा.
दरअसल, आपराधिक घटना के बाद मौके से बहुत से साक्ष्यों को पुलिस इकट्ठा करती है. मसलन यदि हत्या हुई है तो हत्या किस हथियार या वस्तु के प्रहार से की गई है, उसे साक्ष्य के रूप में पुलिस को यह सब मालखाने में रखना पड़ता था. सालों साल चलने वाले मुकदमों में इनको रखना काफी मुश्किल होता था. अभी तक यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली जा रही है. एक मालखाना थाने में बना होता है, जबकि एक सदर मालखाना होता है जो कि कोर्ट परिसर में बनाया जाता है. इसमें ट्रायल पर चल रहे मुकदमों से संबंधित माल को रखा जाता है और इनका प्रबंधन मैन्युअल ही किया जाता है.
साथ ही नशीले पदार्थ और मूल्यवान वस्तु को भी इसी मालखाने में रखा जाता है. अदालत से थानेदार, थानेदार से मालखाना तक चिट्ठी पहुंचाने और फिर संबंधित माल को खोजने में ही लंबा समय लग जाता है. लेकिन अब मालखान को हाईटेक बनाने पर काम किया जा रहा है. इसके लिए मुंबई में संचालित हो रहे मालखानों के मॉडल को देखा गया है. इनमें व्यवस्था किसी सुपरमार्केट जैसी की गई है. सुपर मार्केट में कितना स्टॉक है और कहां रखा है यह सब क्यूआर कोड लगाकर कंप्यूटर की मदद से माल/साक्ष्यों का पता चल सकेगा. वहीं आपराधिक मामले की घटना स्थल पर साक्ष्य प्राप्त करने में भी आसानी आएगी.
आईजी पुलिस आधुनिकीकरण नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता के तहत जो नए कानून आए हैं उसके तहत मालखाने को हाईटेक बनाए जाने पर काम चल रहा है. जब कोई क्राइम सीन पर पुलिस जाएगी तो मौके पर पुलिस के पास एविडेंस डिजिटल होगा और मौके से सब सील पैक होकर जायेगा. उत्तराखंड पुलिस कोशिश कर रही है कि अब थाने में मालखाना न होकर प्रदेश के जिलेवार मालखाना बनाए जाएंगे, जो बड़े स्तर पर वेयरहाउस की तरह होंगे. इसमें रैक्स बनाए जाएंगे और कम समय में क्यूआर कोड से पता चल जायेगा की माल कहां पर है. साथ ही बताया है कि इसके लिए मुंबई के एडवांस्ड मैनेजमेंट सेंटर की व्यवस्था और डिजाइन का अध्ययन किया जा रहा है. देहरादून जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. जिससे पुलिसिंग ओर आसान हो सके.