एफएनएन, नैनीताल : सरोवर नगरी में आस्था के प्रतीक नंदा देवी महोत्सव की व्यवस्थाओं में पालिका ने खेल कर दिया। इस साल के साथ ही पिछले साल के नंदा देवी महोत्सव व्यवस्थाओं में टेंडर में गड़बड़ी जांच में प्रमाणित हो चुकी है। जांच में इस पूरे मामले में जांच के बाद साफ हो गया कि इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार हुआ है।
हाई कोर्ट के आदेश पर शहरी विकास निदेशक की ओर से अपर निदेशक की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने नंदा देवी महोत्सव-2022-23 तथा 2023-24 में विभिन्न आयोजनों के लिए निर्गत निविदाओं की अनियमितता के लिए पालिकाध्यक्ष सहित तत्कालीन ईओ अशोक कुमार वर्मा, वर्तमान व निलंबित ईओ आलोक उनियाल, जेई डीएस मेहरा, तत्कालीन कोषाधिकारी मनोज साह, तत्कालीन लोनिवि के एई के प्रतिनिधि मनोज पाण्डेय के साथ ही कोषाधिकारी के प्रतिनिधि उपकोषाधिकारी सुरेश चंद्र जोशी, लोनिवि प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता गोपाल दत्त तिवारी को प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया है।
समिति ने पालिकाध्यक्ष के विरुद्ध नगरपालिका अधिनियम-1916 की धारा-28 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की संस्तुति की है, जबकि मुख्य सचिव ने जांच समिति की संस्तुतियों के आधार पर कार्रवाई के निर्देश अधीनस्थों को दिए हैं। जांच समिति की ओर से अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नुकसान का जिक्र नहीं किया है। गुरुवार को मुख्य सचिव की ओर से हाई कोर्ट में कृष्णपाल गुर्जर बनाम नगरपालिका नैनीताल व अन्य से संबंधित मामले में जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई।
जांच रिपोर्ट में कई तथ्य आए सामने
दैनिक जागरण के पास उपलब्ध जांच रिपोर्ट के अनुसार शहरी विकास विभाग के अपर निदेशक की अध्यक्षता में जांच कमेटी ने नंदा देवी महोत्सव 2023-24 की तीन निविदाओं लाइट एंड साउंड और सीसीटीवी, नंदा देवी मेले के लिए टेंट, और स्वागत गैट, झूले और दुकानों के आवंटन की जांच की। जांच आख्या के आधार पर मनोज साह व सुरेश जोशी, लोनिवि के गोपाल तिवारी, शहरी विकास विभाग के जनप्रतिनिधि व अध्यक्ष नगरपालिका नैनीताल सचिन नेगी, तत्कालीन ईओ अशोक कुमार वर्मा व आलोक उनियाल, जेई डीएस मेहरा के विरुद्ध 28 नवंबर 2023 को नियमानुसार विभागीय कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव की ओर से विभागीय सचिवों को पत्र भेजा गया है।
इनका किया गया उल्लंघन
कोषाधिकारी निविदा कमेटी के सदस्य सदस्य हैं, उन्हें प्रथम दृष्टिया उत्तरदायी बताया गया है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली-2017 के तहत निविदा प्रपत्र प्राप्त होने पर भी निविदा निरस्त किए जाने की संस्तुति किए जाने, टर्नओवर प्रमाण पत्र पर यूडीआइएन का उल्लेख नहीं होने का संज्ञान नहीं लिए जाने, द्वितीय उच्चतम बोलीदाता के पक्ष में निर्णय लिए जाने से पहले उच्चतम निविदादाता की दरों पर कार्य किए जाने को निगोशिएशन, जो कि एच वन की दर पर किए जाने की आवश्यकता थी, स्वीकृति प्रदान किए जाने में कोषाधिकारी प्रथम दृष्टया उत्तरदायी हैं।
दुकान व झूला व पार्किंग आवंटन में पीकेवी इवेंट मैनेजमेंट की ओर से निविदा की शर्त झूलों की दस साल का फिटनेस प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किया गया। 2022-23 में गठित निविदा समिति की ओर से उच्चतम निविदादाता को आवंटित निविदा शर्तों का उल्लंघन है।
पालिकाध्यक्ष ने किया था क्लीन चिट का दावा
पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी ने इस मामले में शासन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि जांच रिपोर्ट में किसी तरह की वित्तीय अनियमितता की बात नहीं आई है और उन्होंने क्लीन चिट मिलने का दावा करते हुए शासन व सरकार का आभार प्रकट किया था। पालिकाध्यक्ष के अधिवक्ता की ओर से कहा गया था कि प्रक्रियात्मक त्रुटि के लिए पालिकाध्यक्ष जिम्मेदार नहीं हैं।