एफ एन एन, देहरादून : साल का अंतिम चंद्रग्रहण आज लगेगा। यह उत्तराखंड में आंशिक रूप में दोपहर 2 बजकर 40 मिनट से शाम 6 बजकर 20 मिनट पर दिखेगा। सूतककाल सुबह पांच बजकर 41 मिनट से शाम ग्रहणकाल तक रहेगा। इस दौरान मंदिर, मठ के पट बंद हो गए हैं। रात को मंदिरों में शुद्धिकरण के बाद आरती व पूजा की जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूतककाल से पहले और ग्रहणकाल के बाद स्नान जरूरी है।
- पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य के बीच में आ जाती
सृष्टि में ग्रहण की गतिविधि पर ज्योतिष की नजर से कई तरह के संयोग व दुर्योग दिखाई देते हैं। चंद्रग्रहण में सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य के बीच में आ जाती है। जिसमें चंद्रमा की छाया धरती पर नहीं पड़ती।
- सूर्य चंद्रमा ने भगवान विष्णु से की थी शिकायत
उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य बिजेंद्र ममगाईं के अनुसार, स्वरभानू नामक दैत्य अमृत पान कर अमर बनना चाहता था। लेकिन सूर्य चंद्रमा ने शिकायत भगवान विष्णु से की। उन्होंने अपने चक्र से स्वरभानू का सिर काट दिया। वहीं राहु व केतु ग्रह समय आने पर अपने कर्मों का फल सभी को भुगतना पड़ता है और यही पीड़ा सूर्य व चंद्रमा ग्रहण के रूप में भोगते हैं।
- तीन घंटा 40 मिनट तक रहेगा सूतककाल
तीन घंटा 40 मिनट तक सूतककाल रहेगा जो सुबह पांच बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होगा। सूतककाल में रोगी, बाल, वृद्ध के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन गर्भवती स्त्री इस दौरान खाना न लें।
- असमंसज में ना रहे, दो बार कर ले स्नान
गढ़ी कैंट स्थित नवग्रह शनि मंदिर के संस्थापक व ज्योतिषाचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक, इस दिन पूर्णिमा का स्नान का भी महत्व है। ऐसे में लोग इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि चंद्रग्रहण के सूतककाल के दौरान स्नान करें या नहीं। कोई भी असमंजस में ना रहें। जहां तक संभव हो सूतककाल से पूर्व व ग्रहणकाल के बाद यानी दो बार स्नान करें।