एफएनएन, देहरादून : जब सब कुछ खुल गया है तो उत्तराखंड में चारधाम यात्रा ही क्यों बंद पड़ी है। इसी सवाल को लेकर आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत अपने समर्थकों के साथ मौन उपवास पर बैठे। हरीश रावत ने मौन उपवास मसूरी रोड स्थित अपने आवास पर किया। उनका कहना है कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की एक बड़े हिस्से की अर्थव्यवस्था का सहारा है। वर्तमान में ये यात्रा बंद पड़ी है। उसके बंद रहने से जिन लोगों की आजीविका पर फर्क पड़ रहा है वो लोग बदरीनाथ धाम सहित अन्य स्थानों पर उपवास कर रहे हैं। उनके समर्थन में वह भी उपवास पर बैठे।
- धार्मिक आयोजनों में नहीं है पावंदी फिर चारधाम यात्रा ही क्यों है बंद
अब सवाल ये उठता है कि जब सब कुछ खुला है, तो चारधाम यात्रा ने क्या बिगाड़ा। क्योंकि दूसरे राज्यों में भी धार्मिक आयोजनों में कोई पाबंदी नहीं है। वैष्णदेवी यात्रा भी सुचारु है। उत्तराखंड में जागेश्वर धाम सहित बड़े मंदिरों में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। तो फिर चारधाम यात्रा क्यों बंद है। या फिर हाईकोर्ट के आदेश पर बंद यात्रा को खोलने के लिए सरकार पैरवी क्यों नहीं कर रही है। यही नहीं, उत्तराखंड में छठी से लेकर 12वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल भी खुल गए हैं। ऐसे में सिर्फ चारधाम यात्रा ही बंद है। बाजार, माल, सिनेमाहाल तक खुल रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में एक जुलाई से उन जिलों के निवासियों को धामों के मंदिरों के दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था जहां ये धाम स्थित हैं। चमोली जिले के निवासियों को बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासियों को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दर्शन की मंजूरी दी गई थी। हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच यात्रा संचालन में जोखिम से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह रोक लगाई थी। इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रोक बढ़ा दी थी।
- जुड़ा है लाखों का रोजगार
चारधाम यात्रा से सिर्फ धाम ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड का वो समूचा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है, जहां से यात्री होकर गुजरते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी से होते हुए उत्तरकाशी तक के रूट, ऋषिकेश से लेकर बदरीनाथ धाम तक, ऋषिकेश से लेकर केदारनाथ धाम तक, विकासनगर से उत्तरकाशी के रूट पर हजारों व्यापारिक प्रतिष्ठन हैं। इनसे लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है। ऐसे में चारधाम यात्रा बंद होने के कारण बड़ी संख्या में वे लोग बेरोजगार बैठे हैं, जो यात्राकाल के चार माह में ही साल भर परिवार चलाने के खर्चे लायक कमाई कर लेते थे।