Monday, December 23, 2024
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विशेष ट्रेन से अयोध्या पहुचेंगे उत्तराखंड के 1500 श्रद्धालु, सबसे पहले करेंगे रामलला के दर्शन

एफएनएन, हरिद्वार : श्री राम जन्मभूमि मंदिर दर्शन के लिए सबसे पहले उत्तराखंड के 1500 श्रद्धालुओं को विश्व हिंदू परिषद अपने खर्च पर विशेष ट्रेन से अयोध्या लेकर जाएगी। यह ट्रेन 25 जनवरी को देहरादून से चलेगी और हरिद्वार, बरेली होते 26 जनवरी को ट्रेन अयोध्या पहुंचेगी। 27 जनवरी को राम भक्त राम लला के सबसे पहला दर्शन करेंगे।

प्रभु श्रीराम लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी को जन्म स्थान पर बन रहे भव्य मंदिर में पुनः विराजमान होंगे। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने सोमवार को हरिद्वार में मीडिया के माध्यम से उत्तराखंड वासियों को यह खुशखबरी दी।

होगा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम

हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 17 जनवरी से आरंभ होगा। 17 जनवरी को रामलला के पांच वर्ष की अवस्था की पांच फीट ऊंची प्रतिमा का नगर भ्रमण होगा। 18 जनवरी को जल व 19 को अन्नवास और 20 जनवरी को शैय्या वास होगा। 21 जनवरी विश्राम होगा। 22 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा आरंभ होगी।

अयोध्या में भव्य आयोजन का साक्षी बनेगी नई पीढ़ी

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि राम हमारी प्रेरणा है, हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता हैं। धर्म की पुनस्थापना के लिए संघर्ष सदैव से होता आया है, कभी-कभी सृजन के लिए यह आवश्यक भी होता है। श्री राम जन्मभूमि के लिए 76 बार विकट संघर्ष हुआ, इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की थी। 25 पीढ़ियों के बलिदान, त्याग और समर्पण के प्रतिफल स्वरूप प्राप्त इस भव्य आयोजन की साक्षी वर्तमान की पीढ़ी बनेगी, जिन्होंने वर्तमान के संघर्ष और विजय को प्रत्यक्ष देखा है।

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इस वजह से मनाया जाता है ईगास बग्वाल

आलोक कुमार ने कहा कि श्रीराम के 14 वर्ष वनवास के पश्चात अयोध्या आगमन का समाचार उत्तराखंड की विकट परिस्थितियों वाले दूरस्थ क्षेत्रों में एक माह पश्चात पहुंचा था, तो ईगास बग्वाल के रूप में देव दीपावली का भव्य त्योहार मनाया गया था। जो आज तक मनाया जाता है। भगवान श्री राम 500 वर्षों के पश्चात अपने मंदिर में विराजमान होंगे। यह शुभ समाचार 22 जनवरी से पूर्व उत्तराखंड के आम जनमानस तक पहुंचेगा, तो कैसा अद्भुत दृश्य होगा।

20 लाख परिवार बनेंगे साक्षी

विहिप नेता आलोक कुमार ने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड के 16 हजार से अधिक ग्रामों के 20 लाख परिवारों में एक जनवरी से 15 जनवरी तक पहुंच कर हम संघ परिवार, अन्य हिंदू और सामाजिक संगठनों के साथ इस भव्य आयोजन के साक्षी बनने का निमंत्रण देने वाले हैं। उत्तराखंड के चार धाम सहित प्रत्येक ग्राम, शहर, स्थान के मंदिरों में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन भव्य आयोजन किए जाएंगे। इसके लिए सभी मठ-मंदिर के पुजारियों से संपर्क स्थापित किया गया है।

सभी धर्म के लोग होंगे सम्मिलित

सनातन हिंदू धर्म की सभी धर्म-धाराओं जैसे जैन, बौद्ध, सिक्खों के गुरुद्वारों और मंदिरों में समस्त हिंदू समाज हर्षोल्लास के साथ इस अवसर पर सम्मिलित होकर इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनेगा। विश्व प्रसिद्ध संस्था गंगा सभा हरिद्वार तीन दिवसीय विशेष गंगा आरती के साथ दीपोत्सव के कार्यक्रम का आयोजन करेगी। उत्तराखंड में नानकमत्ता स्थित सिखों के पवित्र गुरुद्वारा में भव्य आयोजन किया जाएगा। इस दौरान विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी, विहिप जिलाध्यक्ष नितिन गौतम, पंकज चौहान आदि उपस्थित रहे।

प्रदेश के 16 हजार गांवों में देंगे निमंत्रण

आलोक कुमार ने कहा कि अयोध्या में केवल राम मंदिर की ही नहीं, बल्कि राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। आलोक कुमार ने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का सूर्योदय हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि का संघर्ष विश्व का सबसे लंबा संघर्ष है। विश्व हिंदू परिषद का सबसे बड़ा आंदोलन राम मंदिर के निर्माण के लिए ही किया गया जो 35 वर्ष तक अनवरत चला और लगभग 16 करोड़ रामभक्तों ने इसमें प्रत्यक्ष भाग लिया।

पांच लाख से अधिक मंदिरों में होगा कार्यक्रम

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जब श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाना प्रारंभ किया गया तो देश के 12.5 करोड़ परिवार अर्थात 65 करोड़ रामभक्तों ने मंदिर निर्माण में निधि समर्पण कर सहयोग दिया। 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन संपूर्ण विश्व के पांच लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए हम 12.5 करोड़ों से अधिक परिवारों को श्रीराम जन्मभूमि में पूजित पीले अक्षत (चावल) देकर निमंत्रित करेंगे।

 

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