एफएनएन, देहरादून: विधानसभा सचिवालय में भर्ती के लिए संशोधित सेवा नियमावली तैयार हो गई है। कैबिनेट ने इसके कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता चाही थी। इस पर विधानसभा सचिवालय ने अब संशोधित प्रस्ताव कैबिनेट को भेज दिया है। माना जा रहा है कि धामी कैबिनेट की अगली बैठक में विधानसभा भर्ती सेवा नियमावली में संशोधन पर मुहर लग जाएगी।
विधानसभा में हुई तदर्थ नियुक्तियों का मामला तूल पकड़ने के बाद पिछले वर्ष विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने प्रकरण की जांच के लिए सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कोटिया कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2016 से 2021 तक तदर्थ रूप से नियुक्त 228 कार्मिकों की सेवा समाप्त कर दी गई थी। इसके साथ ही तत्कालीन सचिव (पदावनत होने के बाद संयुक्त सचिव) मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया था। वहीं, बर्खास्त कर्मियों ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को अदालत में चुनौती दी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पाई।
इस बीच विधानसभा में भर्ती के लिए सेवा नियमावली में भी संशोधन की जरूरत महसूस की जाने लगी। असल में विधानसभा की सेवा भर्ती नियमावली वर्ष 2011 में बनी थी, जिसमें वर्ष 2016 में संशोधन किए गए। नियमावली में तदर्थ नियुक्ति के प्रविधान ने सबसे अधिक दिक्कतें बढ़ाई थीं। इस सबको देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर सेवा नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया।
सूत्रों ने बताया कि शासन स्तर पर विधि व कार्मिक विभाग से इस बारे में परामर्श लिया गया और फिर नियमावली में संशोधन पर सहमति जताई गई। साथ ही इसमें कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगते हुए प्रस्ताव विधानसभा को लौटाया था। विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारियां शासन को उपलब्ध करा दी थीं, लेकिन फिर कैबिनेट ने इसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता चाही। सूत्रों ने बताया कि अब नियमावली में संशोधन प्रस्ताव दोबारा भेज दिया गया है।
- आयोग के माध्यम से होंगी भर्तियां
सूत्रों के अनुसार सरकार को भेजे सेवा नियमावली में संशोधन प्रस्ताव में तदर्थ नियुक्ति की व्यवस्था समाप्त कर इसके स्थान पर राज्य लोकसेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती कराने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा विधानसभा सचिव की नियुक्ति, विधायी को प्रशासकीय विभाग समेत अन्य बिंदु भी शामिल किए गए हैं।
विधानसभा की भर्ती सेवा नियमावली में संशोधन के दृष्टिगत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है। इसमें भर्ती में शुचिता व पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया गया है। अब कैबिनेट को इस बारे में निर्णय लेना है।