एफएनएन, देहरादून : प्रदेशवासियों को भीषण गर्मी और लगभग पंद्रह घंटे के रोजे वाले दिनों में कम से कम हफ्ते भर और बिजली संकट झेलना पड़ेगा। रविवार को हरिद्वार के सिडकुल में लगभग 4 घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों में 6-7 घंटे, ऊधम सिंह नगर में हर रोज तीन से पांच घंटे बिजली कटौती हो रही है। औद्योगिक उत्पादन पर भारी असर पड़ा है।
खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया लेकिन यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है।
- प्रदेश में पैदा होने वाली ज्यादातर बिजली बाहर चली जाती है
प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है।
- प्रदेश का बिजली परिदृश्य एक नजर में
राज्य की परियोजनाओं से कुल उत्पादन 5211
सालाना मांग 2468
राज्य कोटे से मिलती है 1320
(आंकड़े मेगावाट में)
- यूपीसीएल का दावा: सात दिन में नियंत्रण में लाएंगे बिजली कटौती
- उद्योगों में बिजली की खपत 20 फीसदी बढ़ी
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि उद्योगों में बिजली की खपत अचानक बढ़ गई है। सामान्य से करीब 20 प्रतिशत अधिक बिजली खपत हो रही है। वहीं, अप्रैल माह में तापमान बढ़ोतरी की वजह से भी खपत में पांच से दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल इन दिनों बाजार में बिजली करीब 3.75 रुपये प्रति यूनिट थी जो कि आज 11 से 12 रुपये तक खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2468 मेगावाट की सालाना डिमांड है, जिसके सापेक्ष पैदा होने वाली 5211 मेगावाट बिजली में से राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली मिलती है।
- भार 443 प्रतिशत, उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़ा