एफएनएन, देहरादून : प्रदेश में पांचवीं विधानसभा के गठन के लिए 14 फरवरी को मतदान के बाद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है। प्रदेश की सत्ता में कौन काबिज होगा, इसका फैसला 10 मार्च को होगा, लेकिन सियासी दलों ने मतगणना से पहले ही सरकार बनाने के लिए गुणा-भाग शुरू कर दिया है। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा की सक्रियता के बाद कांग्रेस भी अलर्ट मोड में आ गई है।
दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हुई मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में इस मुलाकात को प्रदेश में भाजपा की ओर से सरकार गठन की संभावनाओं के मद्देनजर की जाने वाली जोड़-तोड़ की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
- दलबदल को लेकर भी सचेत पार्टी
वहीं कांग्रेस भी इस मुलाकात के बाद अलर्ट मोड में आ गई है। यूं तो कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता 42 से 45 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। लेकिन भितरखाने उनकी भी सांसे अटकी हुई हैं। 36 के आंकड़े के आसपास आने की स्थिति में पार्टी को निर्दलियों और दूसरे दलों के जीते नेताओं की जरूरत पड़ेगी।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने भी बसपा, यूकेडी और निर्दलीयों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। वहीं पार्टी की नजर उन नेताओं पर भी है जो बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे हैं। इनमें कितने जीतकर आते हैं, इस पर भी पार्टी की नजर है। पार्टी नेताओं का कहना है जिन लोगों या दलों ने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा है, वह सभी वैचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी के नजदीक हैं। वहीं पार्टी दलबदल को लेकर भी सचेत है। वर्ष 2016 में पार्टी एक बार दलबदल का शिकार हो चुकी है। कांग्रेस 10 मार्च को बहुमत की सरकार बनाने जा रही है, लेकिन पार्टी सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लेकर आगे बढ़ेगी। बहुमत में आने पर भी पार्टी सबको साथ लेकर चलेगी। तमाम निर्दलीय और दूसरे दलों के लोग पार्टी के संपर्क में है।