- निकाय एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव से कई नेताओं की उम्मीद जगी
एफएनएन,रुद्रपुर : निकाय चुनाव से पहले राज्य सरकार नगर निकाय एक्ट में बड़े बदलाव करने जा रही है। सरकार के संशोधन प्रस्ताव को वित्त और न्याय विभाग की मंजूरी भी मिल गई है। बदलाव में सबसे प्रमुख जुड़वा बच्चों का मुद्दा है। नियम के अनुसार दो बच्चों वाला ही नगर निकाय चुनाव लड़ सकता है, ऐसे में उन लोगों के सामने संकट पैदा हो गया था जिनके जुड़वा बच्चे थे।
यह तीन बच्चों में गिने जाने लगे थे। इसको लेकर पिछले चुनाव में कोर्ट की शरण भी ली गई थी। अब सरकार इस नियम में बदलाव करने जा रही है, यानी जुड़वा बच्चे चुनाव में बाधा नहीं बनेंगे और चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं छीना जा सकेगा। अगर किसी के एक के बाद जुड़वा बच्चे होते हैं तो वह चुनाव लड़ने से वंचित नहीं रहेंगे। इसके साथ ओबीसी आरक्षण की मौजूदा सीमा 14 प्रतिशत को निकायों की वास्तविक ओबीसी आबादी के अनुपात में बढ़ाने को लेकर बड़ा बदलाव होगा।
इसके अलावा नगर निकायों के मेयर या अध्यक्षों को किसी जांच में दोषी ठहराए जाने पर नोटिस जारी होने के साथ ही उनके वित्तीय अधिकार भी सीज कर दिए जाएंगे। नए एक्ट में प्रारंभिक जांच के दौरान ही निर्वाचित प्रमुखों की वित्तीय शक्तियां सीज हो जाएंगी। वर्तमान में शहरी विकास एक्ट में इस तरह का प्रावधान नहीं है, इस कारण जिन मामलों में शासन ने निकाय प्रमुखों के वित्तीय अधिकार सीज किया, उन्हें कोर्ट से राहत मिल गई। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश अपने यहां कुछ समय पहले इस प्रावधान को लागू कर चुका है।
अब उत्तराखंड में भी इस एक्ट को जोड़ा जा रहा है। उधर, सरकार एक्ट के माध्यम से नगर निगम की तर्ज पर नगर पालिकाओं और नगर पंचायत को कुछ शक्तियां भी देने जा रही है। अब नगर निगम की तरह होर्डिंग पर टैक्स लगाने का अधिकार नगर पालिका और नगर पंचायत को दिया जा रहा है। अभी नगर पालिका, नगर पंचायत के एक्ट में यह प्रावधान नहीं है। पंचायती राज विभाग पहले ही इस संशोधन को लागू कर चुका है। प्रमुख सचिव शहरी विकास आरके सुधांशु का कहना है कि निकाय चुनाव से पहले एक्ट में संशोधन किया जाना जरूरी है, इसके लिए निर्वाचन आयोग से भी अनुमति ली जा रही है। इसी क्रम में निकाय चुनाव संपन्न होंगे।
- चुघ और आशीष छाबड़ा भी आ रहे थे इसी दायरे में
भाजपा के वरिष्ठ नेता भारत भूषण चुघ और आशीष छाबड़ा जुड़वा बच्चों के मामले में ही फस रहे थे। हालांकि पिछले निकाय चुनाव से पहले भारत भूषण चुघ ने हाई कोर्ट की शरण ली थी और उन्हें वहां से राहत भी मिल गई थी, जबकि आशीष छाबड़ा के लिए यह नियम दिक्कत भरा था। अब एक्ट में संशोधन से ऐसे लोगों की दिक्कत दूर हो जाएगी, जिनके जुड़वा बच्चे होने से निकाय चुनाव लड़ने में बाधा उत्पन्न हो रही थी।