एफएनएन, रुद्रपुर : किच्छा विधान सभा में विधायक राजेश शुक्ला की डगर इस बार आसान नहीं है। दरअसल, कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ ने इस बार मजबूती से झंडा गाड़ दिया है। एक नहीं अनेक समीकरण उनके पक्ष में हैं, इसलिए मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं।
यहां बता दें कि भाजपा प्रत्याशी राजेश शुक्ला दो बार किच्छा विधान सभा से विधायक रह चुके हैं और तीसरी बार इसी क्षेत्र से हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं। हालांकि इस बार स्थिति विपरीत हैं। वजह यह है कि कांग्रेस प्रत्याशी तिलकराज बेहड़ का इस क्षेत्र से खासा जुड़ाव रहा है। वह पूर्व में भी अविभाजित किच्छा विधान सभा क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और क्षेत्र के विकास में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दरअसल बेहड़ किच्छा विधान सभा क्षेत्र के गांव मलसा गिरधरपुर के रहने वाले हैं। हालांकि शुरू में उनके खिलाफ सेवन जी काम कर रही थी, लेकिन चुनाव के दौरान सेवन जी बेहड़ के पक्ष में आ गई। श्री बेहड़ ने किच्छा नगर पालिका के चुनाव में कांग्रेस से दर्शन कोली को लड़ाया और कोली को चेयरमेन बनाया।
वहीं विधायक राजेश शुक्ला का अपने ही घर में विरोध है। यहां लोग भाजपा से नहीं राजेश शुक्ला से नाराज दिखते हैं। यह एंटी इनकमबेंसी का असर माना जा रहा है। दूसरे भाजपा से बगावत करके अजय तिवारी भी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं, जिसका ज्यादा नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होना ही तय माना जा रहा है। अजय तिवारी भाजपा प्रत्याशी शुक्ला के ताबूत में कील ठोक रहे हैं।
दूसरे भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत राठौर भी खुल कर राजेश शुक्ला का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शुक्ला ने उन्हें जिला बदर कराया। अब वह कोर्ट से स्टे लेकर आ चुके हैं और राजेश शुक्ला की जड़ों में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं। यूं तो भाजपा नेता विपिन जल्होत्रा ने पार्टी नेतृत्व के दबाव में अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया है, लेकिन वे अभी भी अंदरुनी तौर पर नाराज हैं, जिसका खामियाजा शुक्ला को भुगतना पड़ सकता है। इसी तरह भाजपा नेता विवेकदीप सिंह की नाराजगी की चर्चा है। दरअसल किच्छा क्षेत्र के लोग विधायक राजेश के परिजनों के व्यवहार से भी नाराज हैं। हाल में ही शुक्ला के विवादित गोल टोपी के बयान से क्षुब्ध होकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के जिलाध्यक्ष गफ्फार अहमद ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा को अलविदा कह दिया।
उधर, इस क्षेत्र के प्रभावशाली नेता गुलशन सिंधी समेत 11 ग्राम प्रधानों ने काँग्रेस प्रत्याशी तिलकराज राज बेहड़ के साथ आकर चुनावी समीकरणों को बदलने का काम किया है।
अगर हम पिछले चुनाव की बात करें तो राजेश शुक्ला को 40363 मत मिले थे और उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हरीश रावत को 38236 वोट मिले थे। इस प्रकार शुक्ला 2127 वोटों से चुनाव जीते थे। उन्हें यह गुमान है कि उन्होंने हैवीवेट हरीश रावत को चुनाव हरा दिया। हालांकि यह भी सही है किच्छा विधान सभा के सृजन से पूर्व वह न सिर्फ समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव हारे, बल्कि इन्हीं तिलकराज बेहड़ से विधान सभा चुनाव भी पराजित हुए। लिहाजा उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी को कम नहीं आंकना चाहिए।
कुल मिलाकर किच्छा विधान सभा क्षेत्र में इस बार चुनाव परिणाम में बदलाव आ सकता है। फिलहाल मुख्य मुकाबला तिलकराज बेहड़ और राजेश शुक्ला के बीच ही होना तय माना जा रहा है।