
एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों सियासी हलचलें काफी तेज है. इन हलचलों के पीछे कई कारण हैं, जो एक दूसरे से जुड़ रहे हैं. जहां एक के बाद एक आपदाएं, पंचायत चुनाव में गड़बड़ी के आरोप, नैनीताल में अराजकता के बाद विधानसभा सत्र में कांग्रेस के आक्रामक रुख ने कई मुद्दों को एक साथ जन्म दिया है. वहीं, इन सबके बाद दिल्ली में हुई बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की बैठक की तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा.
दिल्ली में हुई बैठक में जहां गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी मौजूद ही नहीं थे तो वहीं, त्रिवेंद्र रावत भी बैठक में आए और तुरंत चले गए. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की कथित नाराजगी को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम दावे किए ही जा रहे थे कि अगले दिन यानी कल त्रिवेंद्र रावत और अनिल बलूनी की प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम के साथ एक और फोटो सामने आ जाती है. इसके बाद राजनीति में चटकारे लेने वालों को एक और मुद्दा मिल जाता है.
हालांकि, दिल्ली बैठक में अनिल बलूनी और त्रिवेंद्र रावत को लेकर जो भी बातें कही जा रही थी, उस पर अब बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि ऐसा कुछ नहीं है, पहले दिन इन दोनों नेताओं के पास समय नहीं था. त्रिवेंद्र रावत अपनी उपस्थिति लगाने आते हैं. फिर अपने बिजी शेड्यूल के बारे में जानकारी देते हैं और वहां से निकल जाते हैं. उसे सोशल मीडिया पर कुछ और ही तरीके से परोसा जा रहा है.
दिल्ली दौरे के बारे में सीएम धामी ने कही ये बात: शनिवार देर शाम दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज परिसर में मौजूद हिमाद्री आइसक्रीम में एशियाई ओपन आइस स्केटिंग चैंपियनशिप का समापन करने पहुंचे तो वहीं इसके बाद सीधे आपदा कंट्रोल रूम पहुंचकर आपदाओं से नुकसान और रेस्क्यू का जायजा लिया. जहां उन्होंने आपदाओं को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिए.
इसके बाद सीएम धामी मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान जब उनसे दिल्ली दौरे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि दिल्ली में सब बढ़िया है और अच्छा है. उन्होंने बताया कि दिल्ली दौरे के दौरान सबसे पहले उनकी खेल मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात हुई. क्योंकि, प्रदेश में राष्ट्रीय खेल हुए थे और उसके बाद वे उनसे मिल नहीं पाए थे.
केंद्रीय खेल मंत्री से किया ये अनुरोध: इस वजह से उन्होंने केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात की. सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में खेल यूनिवर्सिटी बन रही है. ऐसे में खेल मंत्री से अनुरोध किया गया कि स्पेशल एक्सीलेंस सेंटर अलावा अन्य स्पोर्ट स्ट्रक्चर भी उत्तराखंड में बनाया जाए.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से भी की मुलाकात: वहीं, इसके अलावा सीएम धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल से भी मुलाकात की. उन्होंने बताया कि ऊर्जा मंत्री ने आरडीएसएस योजना के तहत ऋषिकेश में 500 करोड़ और हरिद्वार में भी बची हुई बिजली की लाइनों को अंडरग्राउंड करने के लिए मंजूरी दी है. ताकि, आने वाले कुंभ में इसका लाभ मिल सके.
आपदा से नुकसान को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से मिले सीएम धामी: इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने से भी मुलाकात की. साथ ही उत्तरकाशी के धराली में आपदा से सड़कों और पुलों को हुए नुकसान की जानकारी साझा की. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि गंगोत्री हाईवे बहुत दिनों से बंद है. इसमें अपना हर महत्वपूर्ण सहयोग करें.
कैबिनेट विस्तार पर जल्द फैसला: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्योंकि दिल्ली दौरे से लौटे हैं तो लिहाजा उनसे कैबिनेट विस्तार को लेकर भी सवाल पूछा जाना स्वाभाविक है. इसके जवाब में सीएम धामी कहा कि कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही है. क्योंकि, पार्टी सभी लोगों से मिलजुल कर और लोकतांत्रिक तरीके से फैसला लेती है. इसलिए, उच्च स्तर पर इसके लिए विचार चल रहा है. मिलजुल कर सभी के फीडबैक के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा.
उत्तराखंड में लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं चल रही है तो वहीं कई विधायक ऐसे हैं, जो कि मंत्रिमंडल में जगह को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं. उत्तराखंड में मंत्रिमंडल कोटे की बात करें तो 8 मंत्रियों, 3 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समेत 1 मुख्यमंत्री यानी कुल 12 लोगों का कोटा है.
धामी मंत्रिमंडल के गठन के दौरान कैबिनेट मंत्री-
- धन सिंह रावत
- सतपाल महाराज
- प्रेमचंद अग्रवाल
- चंदन राम दास
- सुबोध उनियाल
- गणेश जोशी
- रेखा आर्या
- सौरभ बहुगुणा
धामी सरकार के इस तीन साल के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन और प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब कैबिनेट के 2 पद और खाली हो गए. इसके बाद चंदन राम दास के पास मौजूद महत्वपूर्ण इंडस्ट्री डिपार्मेंट और प्रेमचंद अग्रवाल के पास मौजूद वित्त, हाउसिंग डिपार्टमेंट भी मुख्यमंत्री के पास है.
इस तरह से प्रदेश में मौजूद करीब 72 विभागों में से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास तकरीबन 40 विभाग हैं. जिनकी वे अकेले जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ऐसे में अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो एक तरफ मुख्यमंत्री का भार कम होगा तो दूसरी तरफ इन विभागों को एक फुल टाइम मंत्री मिलेगा और बीजेपी संगठन में भी विधायकों को प्रमोशन मिलेगा.

