Sunday, September 7, 2025
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उत्तराखंड शासन ने 11 दिनों के भीतर ही सिविल सर्विस बोर्ड का फैसला पलट दिया

एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड शासन ने 11 दिनों के भीतर ही सिविल सर्विस बोर्ड का फैसला पलट दिया है. हैरत की बात यह है कि इस बार तबादला सूची जारी होते ही विवाद शुरू हो गया था. आखिरकार सरकार को इस मामले में बैक फुट पर आना पड़ा. बात केवल एक तबादले की नहीं है बल्कि इस बार जिस तरह विवाद बढ़ा है उसने विभाग में तबादला सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

शासन ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी वन संरक्षक विनय कुमार भार्गव को प्रमुख वन संरक्षक हॉफ के कार्यालय में संबद्ध कर दिया है. आदेश में 11 दिन पहले हुए स्थानांतरण आदेश संख्या 1457 को नितांत अस्थाई रूप से स्थगित किए जाने का जिक्र है. यानी वो आदेश जो सिविल सर्विस बोर्ड के कथित निर्णय से किया गया था. इस 11 दिन पुराने आदेश में विनय कुमार भार्गव को निदेशक नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व की जिम्मेदारी दी गई थी.

चौंकाने वाली बात यह है कि 1 अगस्त को भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के स्थानांतरण को करने के लिए सिविल सर्विस बोर्ड की बैठक की गई थी.जिसका आदेश करीब 21 दिन बाद जाकर हुआ. उधर अधिकारियों का तबादला आदेश जारी होते ही यह सूची विवादों में आ गई. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले IFS विनय भार्गव ने अपने तबादले के विरुद्ध कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फिर पीछे-पीछे आईएफएस पंकज कुमार ने भी अपने तबादले को कोर्ट में चुनौती दे दी.

हाईकोर्ट ने आईएफएस विनय भार्गव को तो राहत नहीं दी, लेकिन बताया गया कि IFS पंकज कुमार के तबादले पर हाईकोर्ट ने शासन को पुनर्विचार के लिए कहा. अभी इसका हाईकोर्ट से लिखित आदेश भी नहीं आया था कि शासन में हड़कंप मच गया. अब शासन ने खुद ही विनय भार्गव के तबादले को स्थगित करते हुए उन्हें मुख्यालय अटैच कर दिया.

वन मंत्रालय में तबादले को लेकर शासन का बैकफुट पर आना किसी के समझ में नहीं आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि आदेश में पिछले आदेश को स्थगित करने का कोई कारण नहीं लिखा गया है. इस मामले में विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से भी प्रकरण पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन इस पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की. इसके ताबदले को लेकर अफसर ने भी चुप्पी सी साध ली है.

खास बात यह है कि IFS पंकज कुमार के तबादले को लेकर पुनर्विचार की बात सामने आते ही शासन असंमजस में दिख रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि IFS पंकज कुमार निदेशक नंदादेवी बायोस्फियर रिज़र्व थे जिन्हें रिसर्च की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन पुनर्विचार के चलते फिलहाल इन्हें निदेशक नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व रोकना था, जहां विनय भार्गव का तबादला किया गया था. जाहिर है कि ऐसी स्थिति में विनय भार्गव को यहां से हटाने का ही शासन के पास एकमात्र विकल्प था. हाईकोर्ट में जिस तरह 2 साल से भी कम समय में अफसर को हटाने का तर्क IFS पंकज कुमार के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने रखा उसका कोई वाजिब जवाब सिस्टम के पास नहीं था, शायद इसीलिए तबादले पर बात पुनर्विचार तक पहुंची.

बेवजह 2 साल से भी कम वक्त में अफसरों का तबादला बना मुद्दा: भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के तबादले इस बार विवादों में रहे. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कई अधिकारी ऐसे थे जिन्हें 2 साल से भी कम वक्त में बिना प्रशासनिक कारणों के स्थानांतरित कर दिया गया. यही बात हाई कोर्ट में भी रखी गई. हालांकि ऐसे अधिकारियों में केवल एक या दो अधिकारी ही शामिल नहीं है बल्कि सूची में ऐसे कई नाम हैं जिन्हें बेहद कम वक्त में ही दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है.

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