
एफएनएन, हल्द्वानी : सड़क पर रफ्तार का कहर इस कदर बरपा कि देखने वालों की सांस अटक गई। हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। घटना के बाद जब जोरधार धमाका हुआ तो लोगों को हादसे की खबर लगी, लेकिन ट्रक से टकराने के बाद कार पिचक कर बुरी तरह चुकी थी। तीनों दोस्त कार में फंस गए, जिन्हें लाख कोशिशों के बाद भी निकाला नहीं जा सका। इंजीनियर हिमांशु कार में कराह रहा था। तीनों को निकालने की कोशिशें नाकाम हुईं तो मौके पर दमकल को बुलाया गया। दमकल कर्मियों ने कार को कटर से काटकर तीनों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक आर्मी के जवान संजीव और उसके व्यापारी दोस्त गौरव की मौत हो चुकी थी।
बरेली रोड पर घटी यह घटना रात करीब ढाई बजे की है। उस वक्त सड़क पर न के बराबर यातायात था और स्विफ्ट कार संख्या यूके 02 ए 9035 हल्द्वानी से लालकुआं की ओर तेजी से दौड़ती जा रही थी। अनुमान है कि कार की रफ्तार 140 किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा थी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस तीनपानी से पहले मिलन बैंक्वेट हॉल के पास घटना स्थल पर पहुंची तो वह भी पशोपेश में पड़ गई। अब तक साफ नहीं था कि कार, ट्रक में पीछे से घुसी। अंदाजा लगाया जा रहा था कि यह घटना किसी मवेशी को बचाने के चक्कर हुई, लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो तस्वीर साफ हुई। फुटेज में दिखाई दिया कि 14 टायरा ट्रक बेहद धीमी गति से लालकुआं की ओर बढ़ रहा था और तभी कार तेजी से ट्रक के पीछे घुस गई। घटना के बाद ट्रक चालक वहां रुका नहीं और वाहन लेकर चला गया। लोगों की सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो कार सवार तीनों दोस्त कार में बुरी तरह फंसे थे, जिन्हें निकालना मुश्किल था।
पुलिस ने दमकल कर्मियों को मौके पर बुलाया। दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे तो कार के अगले हिस्से में बैठे युवक बेसुध थे और तीसरा घायल इंजीनियर कराह रहा था। जिसके बाद दमकल कर्मियों ने कार को जगह-जगह से कटर से काटा और तीनों को बाहर निकाला। कोतवाल राजेश कुमार यादव के मुताबिक कार की स्पीड अधिक थी। चालक वाहन पर काबू नहीं रख सका और हादसा हो गया। बताया जा रहा है कि घायल इंजीनियर हिमांशु को रात ही एसटीएच से एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया, जहां वह वेंटीलेटर पर है।
फौजी संजीव के दादा के नाम पर थी कार
हल्द्वानी : संजीव के दादा माधवानंद का कहना है कि कार उनके नाम पर रजिस्टर्ड थी। संजीव जब भी छुट्टी पर आता था तो अपने दोस्त गौरव और हिमांशु से जरूर मिलता था। तीनों पुराने और जिगरी दोस्त थे। हालांकि घटना की रात कार कौन चला रहा था, यह अभी साफ नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि हिमांशु कार की पिछली सीट पर बैठा था और इसी वजह से उसकी जान बच गई। उसके सिर, हाथ व शरीर के अन्य हिस्सों पर गंभीर चोट है।
दादा ने संजीव को पढ़ाकर आर्मी में भेजा
हल्द्वानी : संजीव कुमार चौबे के पिता स्व. पूरन चंद्र चौबे कारगिल युद्ध के बलिदानी हैं। संजीव के दादा माधवानंद चौबे खुद आर्मी से सेवानिवृत्त हैं। माधवानंद ने बताया कि उनके बेटे की मौत के बाद बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी। छाती गांव में पढ़ने के लिए दूर जाना होता था। अच्छा स्कूल नहीं था। इसलिए पोते संजीव व उसकी बहन मनीषा के लिए बलौना गांव में घर बना दिया था। खुद भी यहीं आकर बस गए। संजीव ने इंटर पास करने के बाद आर्मी में जाने का सपना देखा। 2019 में वह नागा रेजिमेंट में भर्ती हो गया था। संजीव की बहन मनीष मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर चुकी है।
रफ्तार तेज होने से खुलकर फट गए एयरबैग
हल्द्वानी : कार की हालत देखकर हर कोई यही कह रहा था कि इसमें सवार किसी की जान नहीं बची होगी, लेकिन हिमांशु बच गया। कार का अगली हिस्सा लगभग खत्म हो चुका है। टक्कर से कार की छत कार की बॉडी से अलग गई। स्टेयरिंग टूट कर अलग हो गया। घटना के बाद एयरबैग भी खुला, लेकिन वह जान नहीं बचा पाया और खुद फट गया। कार के पास एक स्कूटर का टायर मिला, जिससे घटना को लेकर संदेह पैदा हुआ। हालांकि अब माना जा रहा है कि स्कूटर का यह टायर नजरबट्टू के तौर पर ट्रक के पीछे लटकाया गया होगा।