एफएनएन, बरेली : फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में क्लेम दिलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ लखनऊ एसटीएफ की बरेली इकाई ने किया है। एसटीएफ ने आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये लोग अधिक आयु के लोगों की कम उम्र दर्शा कर बीमा कर देते थे और मृत्यु के बाद उनका क्लेम वसूल लेते थे।
एसटीएफ लखनऊ की बरेली इकाई के अपर पुलिस अधीक्षक अब्दुल कादिर ने बताया कि उन्हें जानकारी हुई कि कुछ लोग गिरोह बनाकर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत अधिक उम्र का बीमा कराकर मृत्यु होने पर क्लेम वसूल करते हैं। आरोपी बरेली में रहते हैं। टीम को मुखबिर ने सूचना दी कि आरोपी नैनीताल रोड पर भोजीपुरा रोड पर इकट्ठे खड़े हैं। टीम ने दबिश देकर आठों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में कंचनपुर थाना भोजीपुरा निवासी राहुल गिहार, बंटी, पीपलसाना चौधरी थाना भोजीपुरा निवासी जगदीश, नरेंद्र, मार्डन विलेज कॉलोनी निवासी सुरेंद्र गंगवार, मढ़ीनाथ थाना सुभाषनगर निवासी संदीप, गांव दियोरिया थाना भोजीपुरा निवासी वासिद और विन्ध्यवासिनी भवन, ऐरो सिटी करमपुर चौधरी निवासी प्रभाकर त्रिपाठी हैं। गिरफ्तारी करने वाली टीम में एसआई अमित कुमार, धूम सिंह, मुख्य आरक्षी संदीप, गिरिजेश पोसवाल, शिवओम पाठक, सुनित, हरिओम, अरुण कुमार, कुंशांक और आरक्षी संजय हैं।
आरोपियों के पास से बरामद हुआ सामान
एसटीएफ ने आरोपियों के कब्जे से 14 क्लेम फार्म, 23 आधार कार्ड, 33 बैंक पासबुक, एक रजिस्टर, एक मृत्यु प्रमाण पत्र, दो डायरी, आधार कार्ड की दो छायाप्रति, 1 डेबिट कार्ड, 66 ग्राम प्रधानों, आंगनबाड़ी केंद्रों और आशाओं से हस्ताक्षरित निवास प्रमाण पत्र, 12 मोबाइल, 6 पैन कार्ड, 85 डाक टिकट, 3300 रुपये बरामद किए हैं।
इस तरह से आरोपी करते थे काम
आरोपियों ने बताया कि जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 18 से 50 वर्ष आयु तक के लोगों का बीमा किया जाता है। वे लोग अधिक उम्र वाले लोगों की उम्र कम दर्शा देते हैं। इसके लिए वे बीमाधारक की उम्र कम करके आधार कार्ड बनवा देते हैं।
व्यक्ति की मृत्यु के बाद कंपनी से बीमा क्लेम ले लेते हैं। आरोपियों ने सभी के कार्य भी बांट दिए थे। आरोपियों ने बताया कि राहुल, जगदीश, नरेंद्र उर्फ नंदू, सुरेंद्र और बंटी क्षेत्रीय लोगों से बीमा योजना का फार्म भरवाते थे। वासिद उसके गांव का फहीम उर्फ गुड्डू फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनवाता था। संदीप, योगेश और प्रभाकर त्रिपाठी सर्वेयर का कार्य करते थे।
प्रत्येक केस पर लेते थे 30 हजार रुपये
आरोपियों ने बताया कि वे लोग प्रत्येक केस में 30 हजार रुपये लेते थे। क्षेत्रीय लोगों से पहचान छिपाने के लिए प्रभाकर खुद को अनिल बताता था। वह फर्जी तरीके से बनवाए गए मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर की नकल और आधार कार्ड लगाकर फाइल जमा करता था।
इन लोगों पर शक होने पर एलआईसी ने कुछ फाइलों को रोक भी दिया था, उनका भुगतान अब तक नहीं हुआ है। कुछ फाइलें ऐसी भी मिली हैं, जिनका धारक का बीमा मृत्यु से कुछ ही दिन पहले ही किया गया है। इनकी जांच चल रही है। जांच में पाया गया कि आरोपियों ने 80-85 वर्ष के लोगों की उम्र 48 वर्ष दिखाकर उनका बीमा करा दिया था।