Friday, December 13, 2024
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बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे पाइनवुड विलाज के ‘ कथित ‘ स्वामी, कृषि में रजिस्ट्री कराकर काट दी आवासीय कॉलोनी, भूमि खरीदने वाले असमंजस में

  • – गलत तथ्यों के आधार पर कराया है मानचित्र स्वीकृत
  • – रेरा का भी रजिस्ट्रेशन हासिल किया, शिकायत के बाद रेरा ने भी कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट को तलब किया

एफएनएन, रुद्रपुर : यहां दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। काशीपुर रोड पर दानपुर में विकसित की जा रही पाइनवुड विलाज ( pine wood villas) के नित नए गोलमाल सामने आ रहे हैं। एक शिकायत के बाद जहां न सिर्फ उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) सख्त है, वहीं जिला विकास प्राधिकरण ने भी कॉलोनाइजर को तलब कर किया है, लेकिन कॉलोनाइजर अभी तक अपना जवाब दाखिल करने विकास प्राधिकरण के कार्यालय नहीं पहुंचे हैं।

आपको बताते चलें कि Pine Wood Villas के धोखाधड़ी संबंधी कई मामले लंबित है, ऐसे में यहां भूमि खरीदने वाले भी असमंजस की स्थिति में हैं। एक शिकायतकर्ता दलित वृद्ध महिला पुष्पा देवी ने तो कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट को रेरा और विकास प्राधिकरण में ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।

उसका कहना है कि उसके द्वारा कृषि भूमि बेची गई थी जबकि उसकी अनुमति के बिना जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा उक्त भूमि में रेजिडेंशियल कॉलोनी पाइनवुड विलास का प्रोजेक्ट संचालित कर गलत तथ्यों के आधार पर भूमि के तलपट मानचित्र को जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में आवेदन कर दिया गया।

खास बात यह है कि विकास प्राधिकरण ने आंखें मूंदकर 11455.47 वर्ग मीटर का मानचित्र 18 अक्टूबर 2019 को स्वीकृत भी कर दिया। इसके बाद अपनी गलती विकास प्राधिकरण ने फिर से दोहराई और संशोधित मानचित्र 11940.10 वर्ग मीटर का भी स्वीकृत कर दिया गया। जगदीश सिंह बिष्ट ने इसी के आधार पर विभाग को अंधेरे में रखते हुए भू संपदा नियामक प्राधिकरण यानी रेरा में रजिस्ट्रेशन भी करा लिया। पुष्पा देवी ने रेरा की शरण ली और जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर कराए गए रेरा रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने की मांग की। रेरा ने इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण के सचिव से जवाब तलब किया और जगदीश सिंह बिष्ट को तलब कर उनका जवाब मांगा।

जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा न सिर्फ कृषि में आवासीय कॉलोनी की भूमि की रजिस्ट्री कराकर सरकार को बड़ा चूना लगाया बल्कि रेरा विकास प्राधिकरण की आंखों में धूल झोंकने का काम भी किया।

बड़ा सवाल यह भी है कि जब रजिस्ट्री कृषि में दर्ज है तो अप्रूवल रेजिडेंशियल कॉलोनी का कैसे हो गया ? किस तरह से विकास प्राधिकरण ने पहले इसका मानचित्र और फिर संशोधित मानचित्र जारी कर दिया ? और फिर पुष्पा देवी ने तो एससी की जमीन को लेकर उसे बेचने का अप्रूवल डीएम से लिया था, न कि गलत तरीके से उसे कॉलोनी में दर्ज कराने और गोलमोल तरीके से पार्टनर बना देने का।

इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण के सचिव एनएस नबियाल का कहना है कि जगदीश बिष्ट उनके कार्यालय में अभी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे हैं। इससे साफ है कि दाल में काला है। खैर, जिला प्रशासन भी इस मामले को लेकर सक्रिय है और ऐसी अवैध कॉलोनियों के खिलाफ शासन के आदेश पर भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। क्रमश:

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