एफएनएन, नई दिल्ली : बुखार और खांसी कोविड-19 के प्रमुख लक्षण हैं. हालांकि दूसरी सामान्य बीमारियों और सीजनल फ्लू में भी यही लक्षण देखे जा सकते हैं, इससे फ्लू और कोरोना के बीच अंतर समझने में बड़ी समस्या होती है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले रोगियों में इसे समझना ज्यादा मुश्किल होता है। एक नई स्टडी ने कोविड-19 और फ्लू में दिखने वाले लक्षणों का बारीकी से अध्ययन किया है। स्टडी के शोधकर्ताओं का दावा है कि लक्षणों के बीच एक खास अंतर आपको बता सकता है कि बुखार-खांसी कॉमन फ्लू है या कोविड-19 है। साउदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोध में इसका पता चला है कि कोविड-19 के लक्षण अक्सर एक निश्चित क्रम में ही दिखाई पड़ते हैं. यह खोज लोगों को कोविड-19 के लक्षणों को समझकर उन्हें जल्दी आइसोलेट होने या इलाज कराने में मददगार साबित हो सकती है। स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित होने पर रोगी को पहले बुखार होता है. इसके बाद खांसी और मांसपेशियों में दर्द की समस्या होती है। तीसरे चरण में मरीज को जी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस करता है, आखिर में रोगी डायरिया की समस्या हो सकती है। अंत में होने वाली सांस की तकलीफ अपने आप में फ्लू से अलग लक्षण है। वहीं, फ्लू के लक्षण का क्रम इससे अलग है, इसमें रोगी को पहले खांसी होती है और बाद में बुखार चढ़ता है. न्यूयॉर्क स्थित लेनॉक्स हिल हॉस्पिटल के इमरजेंसी फीजिशियन डॉ. रॉबर्ट ग्लैटर ने कहा, ‘वास्तव में, इससे समझना जरा मुश्किल है, क्योंकि फ्लू कमर दर्द, ठंड लगना या सूखी खांसी जैसे लक्षणों के साथ शुरू हो सकता है.’। डॉ. ग्लैटर ने कहा कि यह स्टडी एक व्यस्त क्लीनिक में अलग तरह के मरीजों के बीच लक्षणों को समझने में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। स्टडी के मुताबिक, इंफ्लूएंजा का भी शुरुआती लक्षण खांसी होता है, जबकि कोविड-19 के संक्रमण में मरीज को सबसे पहले बुखार चढ़ता है। लक्षणों के क्रम को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने WHO द्वारा चीन में कोविड-19 के 55,000 पॉजिटिव मामलों के लक्षणों की दर का विश्लेषण किया था। उन्होंने जनवरी से दिसंबर के बीच चीन मेडिकल ट्रीटमेंट एक्सपर्ट ग्रुप्स फॉर कोविड-19 द्वारा जुटाए गए 1,100 मरीजों का डेटा भी देखा।
ऐसे मिला लक्षणों के क्रम में अंतर?
शोधकर्ताओं ने कोविड-19 और इंफ्लूएंजा के लक्षणों में क्रम को समझने के लिए नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और साउथ हेमिस्फेयर में 2,000 से ज्यादा कोविड-19 मरीजों का डेटा का विश्लेषण किया और 1994 और 1998 के बीच स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी सूचना दी। स्टडी के लेखक जोसेफ लार्सन ने कहा कि हर बीमारी अलग तरह से विकसित होती है। ये जानने के बाद डॉक्टर जल्दी ही बीमारी की पहचान कर बेहतर इलाज की सलाह दे पाएंगे।