
एफएनएन, देहरादून: अलीगढ़ में बाइक शोरूम अभिषेक गुप्ता हत्याकांड मामले में पूजा शकुन पांडेय की गिरफ्तारी के बाद संत समाज में हड़कंप मचा हुआ है. कथित तौर पर पूजा शकुन पांडे ने संन्यास का रूप धारण कर न केवल अखाड़े में ऊंचा पद प्राप्त किया बल्कि निजी स्वार्थ के लालच में हत्या तक कर दी. यह पूरा मामला उजागर होने के बाद अखाड़ा परिषद और संत समाज में गहरा आक्रोश है. अखाड़ा परिषद अब ऐसे मामलों को दोहराने से रोकने के लिए बड़ा निर्णय लेने जा रहा है.
पूजा शकुन पांडेय का दोहरा जीवन: मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली पूजा शकुन पांडेय ने संत समाज में प्रवेश के समय खुद को एक त्यागमयी साध्वी के रूप में प्रस्तुत किया. बाद में उसे महामंडलेश्वर का पद भी मिला. जांच में सामने आया कि उसने अपनी वास्तविक पारिवारिक स्थिति को छिपाया था. उसके पति और बच्चे हैं. वह पहले से एक गृहस्थ जीवन जी रही थी. संत समाज में यह तथ्य सामने आने के बाद हर कोई हैरान है.
हमसे कुछ गलती हुई, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस पूरे मामले पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा हमसे पहले भी कुछ गलतियां होती आई हैं. पूजा शकुन पांडे के मामले में भी हमने विश्वास किया. उसने अपनी पारिवारिक जानकारी हमसे छिपाई. वह पैसे कमाने के उद्देश्य से महामंडलेश्वर बनी थी, न कि धर्म सेवा के भाव के लिए वह यहां आई थी. महंत रवींद्र पुरी ने कहा अब अखाड़ा परिषद ने निर्णय लिया है कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति चाहे पुरुष हो या महिला अगर अखाड़े में शामिल होना चाहता है तो उसकी पूरी तरह जांच की जाएगी. यह जांच केवल अखाड़े के स्तर पर ही नहीं बल्कि पुलिस और प्रशासन के माध्यम से भी कराई जाएगी. जिससे उसकी पृष्ठभूमि पारिवारिक स्थिति और पूर्व गतिविधियां स्पष्ट हो सकें.
गृहस्थ जीवन छिपाने वालों पर होगी कार्रवाई: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा आने वाले दिनों में परिषद उन सभी महामंडलेश्वरों और पदाधिकारियों की भी जांच करेगी जिन्हें पूर्व में अखाड़ों में शामिल किया गया है, अगर किसी का जीवन गृहस्थ पाया गया तो उसे तत्काल प्रभाव से अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा हम अब कोई ढिलाई नहीं बरतेंगे. उन्होंने कहा जो लोग अखाड़े की आड़ में परिवार चला रहे हैं उन पर एक्शन होना.
अखाड़ों की संपत्ति पर खतरा बढ़ा: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में कई अखाड़ों में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां किसी साधु-संत ने अखाड़े में पद प्राप्त करने के बाद अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी शामिल करा लिया. धीरे-धीरे वही लोग अखाड़े की जमीन भवन और आर्थिक संपत्ति पर अधिकार करने लगते हैं. यह प्रवृत्ति खतरनाक है. उन्होंने कहा इससे न केवल संत परंपरा की मर्यादा भंग होती है बल्कि अखाड़ों की संपत्ति भी विवादों में फंस जाती है.
पूजा शकुन प्रकरण बना चेतावनी का संकेत: पूजा शकुन पांडे का मामला संत समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है. अखाड़ा परिषद अब एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करने जा रही है. जिसमें हर अखाड़े के पदाधिकारियों की पूरी जानकारी दर्ज होगी. इसमें उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, साधु जीवन में प्रवेश की तिथि, उनका गुरु परंपरा, और पुलिस रिकॉर्ड रखा जाएगा. परिषद का मानना है कि इससे भविष्य में फर्जी साधु या स्वार्थी तत्वों की पहचान पहले ही हो सकेगी.
अखाड़ा परिषद के भीतर भी होगा पुनर्गठन: महंत रवींद्र पुरी ने बताया परिषद अब एक जांच समिति गठित करने जा रही है जो हर अखाड़े के कार्यकलापों की निगरानी करेगी. यह समिति यह भी देखेगी कि कहीं किसी पदाधिकारी का संबंध निजी व्यापार या संपत्ति प्रबंधन से तो नहीं है. उन्होंने कहा धर्म के नाम पर कोई व्यवसाय या पारिवारिक विस्तार नहीं चलेगा. संत समाज की गरिमा सर्वोपरि है. पूजा शकुन जैसे मामलों ने हमें सीख दी है.
संत समाज में गुस्सा और आत्ममंथन दोनों: पूजा शकुन पांडे की गिरफ्तारी के बाद संत समाज में गुस्सा है. वहीं दूसरी ओर आत्ममंथन भी चल रहा है. कई संतों का कहना है कि आज संत परंपरा की विश्वसनीयता पर ऐसे लोगों के कारण प्रश्नचिह्न लग गया है. साधु-संतों का मानना है कि अब समय आ गया है जब अखाड़ों को पारदर्शी और अनुशासित प्रणाली से संचालित किया जाए.

