
एफएनएन, देहरादून: ऋषिकेश में मौजूद नीलकंठ महादेव के लिए प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय वाइल्डलाइफ बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है. जल्द ही औपचारिक पत्राचार के बाद कार्यदायी संस्था आगे की प्रक्रिया शुरू करेगी.
ऋषिकेश नीलकंठ रोपवे को केंद्र से मिली फॉरेस्ट क्लीरियंस: उत्तराखंड में आने वाले बड़े प्रोजेक्ट में से एक नीलकंठ महादेव रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर राहत देने वाली खबर है कि नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ (NBWL) से इस प्रोजेक्ट के लिए क्लीयरेंस मिल गई है. केंद्रीय क्लीयरेंस मिलने के बाद कार्यदायी संस्था उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन सक्रिय हो गई है. वहीं कार्यदायी संस्था का कहना है कि अभी नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से क्लीयरेंस की औपचारिक सूचना उन्हें मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है. हालांकि अधिकृत पत्राचार के साथ सूचना प्राप्त होने में 15 से 20 दिन लगेंगे और जैसे ही अधिकृत सूचना से संबंधित पत्राचार राज्य सरकार के साथ होता है, उसके बाद इस प्रोजेक्ट की आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
जल्द धरातल पर उतरेगा रोपवे प्रोजेक्ट: कार्यदाई एजेंसी का यह भी कहना है कि इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड स्टेट कैबिनेट से अप्रूवल पहले ही मिल चुका है. अब केवल केंद्र से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलना बाकी था, जो कि अब मिल चुका है. यानी की नीलकंठ महादेव के लिए रोपवे प्रोजेक्ट की अब सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. जल्द ही यह प्रोजेक्ट धरातल पर उतरता नजर आएगा.
2020 से प्रस्तावित हैं ऋषिकेश-नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट: आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 11 जून 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई Unified Metropolitan Transport Authority (UMTA) की बैठक में नीलकंठ महादेव तक के रोपवे फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने से हुई थी. इसके बाद ऋषिकेश शहर में नीलकंठ महादेव तक रोपवे निर्माण के लिए भारतीय पोर्ट रेल एवं रोपवे कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने के लिए MOU किया गया था. इस प्रोजेक्ट के लिए 9 मई 2023 को उत्तराखंड कैबिनेट से मंजूरी मिली. इसके बाद यह फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था.
प्रोजेक्ट की डिटेल्स: यह रोपवे ऋषिकेश बस अड्डे से होकर त्रिवेणी घाट और नीलकंठ महादेव से पार्वती माता मन्दिर तक बनाया जाना प्रस्तावित है. इस रोपवे में केवल 02 स्टेशन होंगे. पहला स्टेशन त्रिवेणी घाट और दूसरा नीलकंठ महादेव मन्दिर होगा. त्रिवेणी घाट से नीलकंठ महादेव की होरिजेंटल डिस्टेंस 4.1 किलो मीटर है जबकि एलिवेशन डिस्टेंस 614 मीटर है. इस पूरे प्रोजेक्ट में तकरीबन 21 टावर प्रस्तावित हैं. इस प्रोजेक्ट के निर्माण और संचालन से ऋषिकेश शहर से नीलकंठ महादेव की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा. इस प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे.
प्रदूषण मुक्त प्रोजेक्ट: आपको बता दें कि ऋषिकेश नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट एक सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में देखा जा रहा है, जो कि प्रदूषण मुक्त है. इस रूप में प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद नीलकंठ महादेव जाने वाले श्रद्धालुओं को रोपवे के जरिए इस क्षेत्र के नैसर्गिक और भौगोलिक सुन्दरता का मनोरम दृश्य देखने को मिलेगा. इसके साथ ही ऋषिकेश शहर विश्व के मानचित्र पर और भी अधिक प्रभावी रूप से अंकित हो पायेगा. रोपवे का उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देना है. साथ ही नीलकंठ महादेव की खड़ी चढ़ाई जो की बच्चों, वृद्ध और विकलांग लोगों के लिए समस्या थी, ये रोपवे एक वरदान के रूप में देखा जा रहा है.





