Sunday, October 19, 2025
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केजीएमयू के काबिल डॉक्टरों ने गर्भ में ही दो बार खून चढ़ाकर शिशु भ्रूण को दिया नवजीवन

35वें सप्ताह में सीज़ेरियन विधि से सफल प्रसव भी कराया, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ

एफएनएन, लखनऊ। राजधानी लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (क्वीन मेरी हॉस्पिटल) की डॉक्टरों के भगीरथ प्रयासों से मां के पेट में पल रहे शिशु भ्रूण को न सिर्फ दो बार खून चढ़ाकर नई जिंदगी दी गई, बल्कि 35वें सप्ताह में सीजेरियन विधि से सफलतापूर्वक प्रसव भी करवा दिया।‌ जच्चा-बच्चा दोनों ही अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। केजीएमयू की कुलपति सोनिया नित्यानंद ने भी इस शानदार उपलब्धि पर पूरी टीम को बधाई दी है।

दरअसल 32 वर्षीय प्रतिमा 7 महीने की गर्भवती थी। भ्रूण में खून की कमी पाए जाने पर महिला को कानपुर से केजीएमयू लखनऊ रेफर किया गया था। केजीएमयू के क्वीन मेरी हॉस्पिटल की डॉ. सीमा मेहरोत्रा ने बताया कि केस हिस्ट्री स्टडी करने पर पता चला कि महिला पूर्व में दो बार गर्भवती हुई थी और इस बार लाल रक्त कोशिका (एलोइम्युनाइज़ेशन) की शिकार हुई है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय में भ्रूण को दो बार खून चढ़ाकर 35वें हफ़्ते में सिजेरियन आपरेशन के जरिए 3 किलो वजन के बच्चे की डिलीवरी भी सफलतापूर्वक करा दी गई है।

वहीं ऐसा पहली बार था जब केजीएमयू की फिट्ल मेडिसिन यूनिट ने गर्भास्थ शिशु को मां के पेट में खून चढ़ाया है। इस तरह केजीएमयू के डॉक्टरों ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। डॉक्टरों की माने तो मेडिकल टर्म में इंट्रआयूटिराइन ट्रांसफ्यूजन (intrauterine transfusion) कहलाने वाले इस प्रोसिजर में अल्ट्रासाउंड की मदद से सुई के जरिये गर्भाशय में ही भ्रूण को रक्त चढ़ाया जाता है।

केजीएमयू की स्त्री एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजु अग्रवाल ने बताया कि केजीएमयू का क्वीन मैरी हॉस्पिटल भ्रूण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवा रहा है। अब हमने आरएच-आइसोइम्युनाइज़ेशन गर्भावस्था के इलाज में सफलता हासिल कर ली है। वहीं डॉ. नम्रता ने बताया कि मां-बाप के ब्लड आरएच विपरीत होने पर ऐसी स्थिति बनती है। नवजात की मां का ब्लड ग्रुप नेगेटिव और पिता के ब्लड आरएच पॉजिटिव होने के कारण भी यह स्थिति बनती है।

डॉ. नम्रता के अनुसार, इस विपरीत रक्त समूह के कारण भ्रूण आरएच पॉजिटिव हो सकता है और मां में एंटीबॉडी विकसित होते हैं और ये एंटीबॉडी प्लेसेंटा को पार करते हैं और भ्रूण के आरबीसी को नष्ठ कर देते है। धीरे-धीरे ये भ्रूण में एनीमिया का कारण बनते हैं। ऐसी स्थिति में पूरे भ्रूण में सूजन आ जाती है। ऐसे मामलों में गर्भाशय में ही भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। वहीं डॉ. मंजुलता वर्मा ने बताया कि अमूमन हजार से बारह सौ प्रसूताओं में किसी एक को इसका गंभीर खतरा होता है, लेकिन ट्रांसफ्युजन से इसको रोका जा सकता है।

फिलहाल गर्भवती महिला ने 3014 ग्राम वजन के स्वस्थ नवजात को जन्म दिया है। जिससे परिवार और डॉक्टरों दोनों को बहुत खुशी मिली है। डॉक्टरों की टीम में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंजू अग्रवाल, डॉ. तूलिका चंद्रा की अध्यक्षता में ब्लड बैंक से सहयोग मिला है। केजीएमयू के क्वीन मेरी में सिर्फ लखनऊ से ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं।

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