Thursday, November 21, 2024
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडउत्तराखंडः अब पिथौरागढ़ के 'बुग्यालों' में नहीं ठहर सकेंगे देशी-विदेशी सैलानी

उत्तराखंडः अब पिथौरागढ़ के ‘बुग्यालों’ में नहीं ठहर सकेंगे देशी-विदेशी सैलानी

आठ-दस हजार फुट ऊंचाई पर बने बुग्यालों के संरक्षण को कमर कस चुका है वन विभाग

 

एफएनएन, पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में वन विभाग बुग्यालों को संरक्षित करने के वास्ते कमर कस चुका है। प्रथम चरण में जिले के मुनस्यारी स्थित 3500 मीटर लंबे खलिया बुग्याल के संरक्षण का कार्य शुरू भी कर दिया गया है। बुग्यालों में सैलानियों के रात्रि विश्राम करने, टेंट लगाने, कैंप फायर करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।

डीएफओ के अनुसार अब बुग्यालों में रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं दी जाएगी। एक दिन में 200 लोग ही केवल दिन में ही बुग्यालों में जा सकेंगे और उन्हें इसके लिए भी वन क्षेत्राधिकारी कार्यालय से अनुमति लेनी होगी।  इस कड़ी में अन्य बुग्यालों की जानकारी जुटाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।

जिले के धारचूला और मुनस्यारी विकासखंड में 50 से अधिक बुग्याल हैं। ये बुग्याल सर्दियों में बर्फ से ढके रहते हैं और गर्मियों के मौसम में यहां सुंदर फूल और घास लहलहाती है। बुग्यालों की यही खूबसूरती देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर खींचती है और वे टेंट लगाकर इन बुग्यालों में रुकना पसंद करते हैं।

अब वन विभाग ने इन बुग्यालों में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी है ताकि इनकी खूबसूरती बरकरार रह सके। विशेषज्ञों का कहना है कि बुग्यालों में मिट्टी की कमी रहती है। टेंट लगाने के लिए खुदाई होने से  बुग्यालों से मिट्टी बह जाती है। बुग्यालों में मिट्टी बनने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। इसलिए इनमें खुदाई पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

बुग्यालों की मिट्टी बहने न देने की रहेगी कोशिश

बकौल डीएफओ, भारी बारिश से बुग्यालों से लगातार मिट्टी बहती है। इससे बुग्यालों में मिट्टी काफी कम हो गई है। बारिश में बुग्याल और उनके किनारों की मिट्टी बहने से रोकने को बरसाती नाले बंद कराए जाएंगे।  बुग्यालों के निचले हिस्सों में भूकटाव आदि रोकने के लिए पौधरोपण भी होगा।

 

मौलिकता बचाने को हटेंगे पक्षियों से बीट से उपजे बाहरी पौधे

डीएफओ ने बताया, बुग्यालों में हर वर्ष सर्दी और गर्मी के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं और कई महीने रहते हैं। इनकी बीट से दूसरे क्षेत्रों की काफी वनस्पतियां उग आती हैं जो बुग्यालों की मौलिक सुंदरता के लिए खतरा बन रही हैं।  वन विभाग बुग्यालों में यहां की मूल घास और वनस्पति को बचाने के लिए बाहरी पौधों को तत्परता से हटाएगा।

ये हैं पिथौरागढ़ के प्रमुख बुग्याल

पिंडारी बुग्याल, नामिक बुग्याल, जोहार बुग्याल, राहली बुग्याल, थाल बुग्याल, छिपलाकेदार बुग्याल, खलिया बुग्याल।

 

किसे कहते हैं बुग्याल…?

उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में जहां टिंबर रेखा (यानी पेड़ों की पंक्तियां) समाप्त हो जाती हैं, वहां से मीलों तक फैले हरी मखमली घास के मैदान आरंभ होने लगते हैं। आमतौर पर ये आठ से 10 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित होते हैं। इन मैदानों को ही बुग्याल कहा जाता है। बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है। स्थानीय लोगों और मवेशियों के लिए ये चरागाह और सैलानियों, ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए तफरीह और कैंपसाइट के मनभावन प्वाइंट्स होते हैं।

 

शुरू हो चुका है खलिया बुग्याल का संरक्षण कार्य

बुग्यालों को संरक्षित करने की कवायद के तहत प्रथम चरण में खलिया बुग्याल को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। यहां पर अन्य बुग्यालों की तुलना में काफी पर्यटक पहुंचते हैं। बुग्यालों में टेंट लगने और बारिश के कारण मिट्टी का स्तर कम हो रहा है। इसलिए यहां पर टेंट लगाने, कैंप फायर और प्रदूषण फैलाने पर रोक रहेगी।

– नवीन पंत, उप प्रभागीय वनाधिकारी, पिथौरागढ़। 

 

बुग्यालों में सैलानियों पर रहेगी रोक

वन विभाग जिले में स्थित बुग्यालों को संरक्षित करेगा। बुग्यालों में सैलानियों के रात्रि विश्राम, टैंट लगाने और कैंप फायर की मनाही रहेगी। एक दिन में सिर्फ 200 लोग ही बुग्यालों में जा सकेंगे। ध्वनि प्रदूषण पर भी कार्रवाई की जाएगी।

डा. विनय भार्गव, डीएफओ पिथौरागढ़

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments