एफएनएन, रुद्रप्रयाग: पहाड़ में प्रतिवर्ष चैत्र मास की सक्रांति से फूलदेई उत्सव है। गुरुवार से शुरू होने वाले इस उत्सव को लेकर नन्हें मुन्ने बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के चलते फूलों के समय से पहले खिलने से पेड़ों पर फूल कम ही नजर आ रहे हैं। जिससे बच्चों को इस उत्सव को मनाने में काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है।
इसके अलावा सुबह सवेरे कई प्रकार के पशु पक्षियों का चहकाना बंसत के आगमन का स्पष्ट भाव देता है। घरों की चौखट पर फूल डालने के बदले में ग्रामीण फुलवारी बच्चों को परम्परागत ढ़ंग से चौलाई से बने खील व गुड़ देते हैं।
पहाड़ की है अनूठी परम्परा
कई स्थानों पर केवल घोघा देवता की डोलियों न ले जाकर पत्थरों पर बने मूर्ति की पूजा की जाती है। यह पहाड़ की एक अनूठी परम्परा होने के साथ बच्चों का प्रिय त्यौहार माना गया है।
वहीं ग्लोबल वार्मिंग के चलते गांवों में फूलों का समय से पहले ही खिल जाने से फूलदेई उत्सव को मनाने में कुछ हद तक कमी आई है।
आचार्य पंडिंत सुनील डिमरी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की संक्राति से फूलदेई उत्सव का आयोजन होता है। इस बार यह आयोजन 14 मार्च से शुरू हो रहा है। आठ दिनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया के तहत बच्चे प्रतिदिन सुबह सवेरे घरों की चौखट पर फूल डालेंगे।