Thursday, December 12, 2024
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फिर सामने आई मेडिसिटी अस्पताल की कारस्तानी ,महिला को किया कुरूप, हाथ कटने की नौबत, दर्ज होगा मुकदमा

एफएनएन, रुद्रपुर : एक मामले की सुनवाई करते हुए आज न्यायालय ने थानाध्यक्ष रुद्रपुर को आदेश दिए कि मेडिसिटी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर ओमेक्स निवासी अजय रस्तोगी ने बताया कि उसकी पत्नी अंजली रस्तोगी के चेहरे व हाथ पर कांच लग गया था। यह घटना 17 नवंबर 2019 की है। वह तीन पानी किच्छा रोड स्थित शहर के सबसे बड़े अस्पताल द मेडिसिटी गया, जहां उसने अपने मित्र के सहयोग से अपनी पत्नी को इमरजेंसी में दाखिल करवाया। चिकित्सक ने और उसके सहयोगी ने इलाज शुरू किया और अंजलि के चेहरे वह हाथ पर अनगिनत टांके लगाए और तत्पश्चात आईसीयू में भर्ती कर लिया गया। 2 दिन बाद डिस्चार्ज करने के बाद 1 सप्ताह बाद दोबारा टांके कटवाने के लिए बुलाया गया । जब वह 1 सप्ताह बाद अस्पताल गए तो उन्हें डॉ नहीं होने का हवाला देकर वापस भेज दिया । जब वह 2 दिन बाद गए तो अस्पताल के कर्मचारी ने कुछ टांके काट दिए और शेष टांको को बाद में कटवाने कहा। पीड़िता के हाथ में अत्याधिक दर्द होने पर वह उसे इलाज के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां शेष टांके कटवाए ।लेकिन हाथ का दर्द कम नहीं हुआ। वहां पता चला कि हाथ का x-ray करवाना है। जिस पर वेदांत अस्पताल आगरा में एक्स-रे के लिए गए तो जांच में पता चला कि मेडिसिटी अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई है|

बिना एक्स-रे और जांच करवाएं हाथ में टांके लगाते समय जख्म के अंदर से कांच के टुकड़े नहीं निकाले गए ।कांच के टुकड़ों को निकाले बिना हाथ को सिल दिया गया और मरीज के चेहरे पर जरूरत ना होने के बावजूद भी बिना किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की राय के बिना गलत टांके लगा दिए। जिससे हाथ की बारीक नसे व अन्य तंत्रिका फट गई और मेडिसिटी अस्पताल की घोर लापरवाही के कारण हाथ कटने की स्थिति में पहुंच गया ।पीड़ित ने बताया कि बाद में वैदिक अस्पताल बरेली में ऑपरेशन करा कर पीड़िता के हाथ में घुसे कांच के टुकड़ों को निकलवाया गया ।जिस से हाथ कटने से बच गया ।उन्होंने बताया इस संबंध में जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि मेडिसिटी अस्पताल के एक चिकित्सक और उसके सहयोगी स्टाफ के पास कोई वैदिक एलोपैथी चिकित्सा हेतु आवश्यक शैक्षिक योग्यता ही नहीं है बावजूद इसके उन्होंने इलाज किया। जब पीड़ित ने इसकी शिकायत अस्पताल के निदेशक से कि तो वह अभद्रता पर उतारू हो गए। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पत्नी के इलाज के कागज आदि भी नहीं दिए। पीड़ित का कहना है कि बिना जांच के चेहरे और हाथ पर अनगिनत टांके लगाकर उसे बदसूरत बना दिया गया। जिससे वह जीवन भर शारीरिक कष्ट के साथ जीवन व्यतीत करने को बाध्य हो गई ।पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मजबूरन उन्होंने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने थानाध्यक्ष रुद्रपुर को आदेश दिए कि इस प्रकरण में मेडीसिटी अस्पताल के एमडी डाक्टर दीपक छाबड़ा व अन्य के खिलाफ उचित धाराओं में प्रार्थी गण की एफ आई आर दर्ज कर विवेचना करवाना सुनिश्चित करें।

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