एफएनएन, देहरादून : पेपर लीक से घिरे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कंपनियों के चयन में भी लापरवाही बरती है। आयोग के एक्ट के हिसाब से तो हर साल कंपनियों का चयन या नवीनीकरण होना चाहिए, लेकिन सूत्रों के मुताबिक आरएमएस कंपनी का कई साल से नवीनीकरण ही नहीं हुआ था।
एहतियात के तौर पर यह भी प्रावधान है कि जिस कंपनी को पैनल पर लिया जाता है, उससे इस बात का शपथ पत्र लिया जाता है कि किसी अन्य राज्य या भर्ती में उनके खिलाफ कोई विवाद नहीं है। न ही वह किसी अन्य राज्य में ब्लैक लिस्ट हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने आरएमएस कंपनी के मालिकों से इस बाबत कोई शपथ पत्र भी नहीं लिया हुआ था।
यह भी जानकारी मिली है कि यह कंपनी पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव कन्याल के कार्यकाल से ही आयोग में सेवाएं दे रही थी। इसके बाद के कई सालों में केवल एक बार इसके नवीनीकरण की औपचारिकता भी पूरी की गई है। पूर्व सचिव संतोष बडोनी से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कंपनी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई या विवाद की कभी कोई जानकारी उनके संज्ञान में नहीं आई।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कंपनी से कोई शपथ पत्र नहीं लिया गया था। कंपनी पूर्व अध्यक्ष, सचिव के कार्यकाल से आयोग से जुड़ी हुई थी। गौरतलब है कि शनिवार को एसटीएफ ने पेपर लीक प्रकरण में पेपर छापने वाली आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशंस के निदेशक राजेश चौहान को गिरफ्तार किया था। मामले में अभी एसटीएफ की पूछताछ जारी है।