एफएनएन, देहरादून : बिजली विभाग के अफसरों-कर्मचारियों की लापरवाही और गलतियां अब उपभोक्ताओं पर भारी साबित नहीं होंगी। नियामक आयोग ने इसके समाधान के लिए कंसलटेंटिव कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। नियामक आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला और सदस्य तकनीकी एमके जैन ने बताया कि उपभोक्ताओं की तमाम समस्याओं की सुनवाई और व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक कंसलटेंटिव समिति का गठन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस समिति में विभिन्न एसोसिएशन, व्यापार मंडल से लेकर आम जन भी शामिल होंगे। हर तीन माह पर समिति की बैठक होगी। बैठक में जो भी समस्याएं सामने आएंगी, उनका समाधान कराया जाएगा। ताकि उपभोक्ताओं और यूपीसीएल के बीच सामंजस्य भी बना रहे और परेशानियां भी न हों।
- हिमाच्छादित क्षेत्रों के लिए हर साल जारी होता है टैरिफ, लाभार्थियों का पता नहीं
प्रदेश में कई जिलों में हिमाच्छादित क्षेत्र मानते हुए नियामक आयोग हर साल उनका बिजली टैरिफ अलग से जारी तो करता है लेकिन इसका लाभ लेने वाला कोई नहीं है। आज तक सरकार हिमाच्छादित क्षेत्रों को चिह्नित ही नहीं कर पाई है। दरअसल, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ जैसे कई पर्वतीय जिलों में कई इलाके ऐसे हैं, जहां काफी लंबे समय तक बर्फ पड़ी रहती है।
- यूपीसीएल का अधिकतम खर्च बिजली खरीद में
यूपीसीएल ने अपने प्रस्ताव में कुल 7879.63 करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखते हुए 447.53 करोड़ का घाटा बताया था। आयोग ने इसमें संशोधन करते हुए वित्त वर्ष का राजस्व 7709.01 करोड़ करते हुए घाटा 195.92 करोड़ माना है। इस घाटे की पूर्ति के लिए ही आयोग ने बिजली दरों में 2.68 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। यूपीसीएल ने बिजली खरीद के लिए सालभर में 5621.07 करोड़ खर्च का प्रस्ताव भेजा था लेकिन आयोग ने माना है कि ज्यादा बिजली की जरूरत होगी। इस रकम को बढ़ाकर आयोग ने 5866.73 करोड़ कर दिया है। आयोग ने यह भी माना है कि यूपीसीएल को सालभर में 13 हजार 98 मिलियन यूनिट बिजली खरीदने की जरूरत पड़ सकती है।
- 2012 में 100 यूनिट पर 260 रुपये का बिल, अब 350 का
वर्ष 2012 में 100 यूनिट तक वाले उपभोक्ताओं को हर महीने 260 रुपये(फिक्स चार्ज मिलाकर) खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब उन्हें हर महीने 350 रुपये(फिक्स चार्ज सहित) खर्च करने होंगे। हालांकि 200 यूनिट से ऊपर खर्च वाले उपभोक्ताओं के बिल में दस साल में महीनेवार 120 से 220 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। (सालाना फिक्स चार्ज अतिरिक्त)
- दस साल में बिजली दरों पर एक नजर