एफएनएन, नई दिल्ली: हाथरस में लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मामला गर्म हो गया है अपराध को कैसे रोका जाए। वही दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। अक्सर देखा गया है कि महिलाओं के साथ अपराध होने के बाद वह थाने के चक्कर काटने पर मजबूर हो जाती हैं।
सरकार ने जारी की एडवाइजरी
अब सरकार की ओर से हुई एडवाइजरी के मुताबिक महिलाओं के अपराध पर FIR डार्क करना अनिवार्य होगा। अब मंत्रालय ने IPC और CRPC के प्रावधान गिनाते हुए कहां कि राज्य केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें। गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गृहमंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक
दिशा निर्देशों में साफ किया गया है कि महिलाओं के खिलाफ अगर कोई चुक होती है तो मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। धारा 166 (A) FIR दर्ज न करने की स्थिति में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देता है। सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दुष्कर्म के मामले में 2 महीने के भीतर जांच पूरी करना जरूरी है। वही सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा।
जारी एडवाइजरी में क्या है खास
- सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में साफ किया गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है. जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो।
- IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर FIR दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है।
- सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है। अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है।
- सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा।
- सरकार की ओर से बताया गया है कि दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है। ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।
- इसके साथ ही एडवाइजरी में बताया गया है कि इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्य होगा।