एफएनएन, नैनीताल : हाईकोर्ट ने अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या मामले में सीजेएम देहरादून को निर्देश दिए हैं कि पुलिस ने इस केस में जो एफआर लगाई है, उसके नोटिस की प्रति याचिकाकर्ता को दें। कोर्ट ने कहा कि दो माह के भीतर मामले को निस्तारित कर इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेश सूरी की बहन रीता सूरी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मृतक की बहन रीता सूरी ने कोर्ट को बताया कि घटना को छह साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक पुलिस मामले की जांच नहीं कर पाई है।
उसने बताया कि वह 2014 से केस लड़ रहीं हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसे जो पुलिस सुरक्षा दी गई है उसमें भी पुलिस विभाग लापरवाही बरत रहा है। इससे उसे और उनके भाई राज सूरी को जान का खतरा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि पुलिस दिन में तो उनकी सुरक्षा के लिए गनर भेजती है लेकिन रात में होमगार्ड को भेज देती है। लिहाजा उनकी सुरक्षा बढ़ाई जाए। याचिकाकर्ता ने इस केस की जांच कर रही पुलिस पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो एफआर पुलिस ने पेश की है उसकी प्रति भी उन्हें नहीं दी गई है जबकि पुलिस इस केस में दो बार एफआर लगा चुकी है।
यह था मामला
याचिका में रीता सूरी ने कहा था कि उसेके भाई अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या 30 नवंबर 2014 को हुई थी। बताया कि जब राजेश सूरी नैनीताल हाईकोर्ट से घोटालों से संबंधित केसों की पैरवी करके ट्रेन से देहरादून वापस आ रहे थे तब उनको जहर देकर ट्रेन मैं ही मार दिया गया था और राजेश की सभी महत्वपूर्ण फाइलें ट्रेन से ही गायब हो गईं थीं। केवल कपड़ों से भरा बैग मिला था। याचिका में कहा गया था कि राजेश ने देहरादून के कई घोटाले उजागर किए थे जिसमें से एक बलवीर रोड स्थित जज क्वार्टर घोटाला था। फर्जी कागज बनाकर इसे बेच दिया गया था। 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी राधा रतूड़ी ने संपत्ति को फर्जी पाते हुए कुर्क करने के आदेश देने के साथ ही किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी।