आईवीआरआई सभागार में सेमिनार में बोले आहार विशेषज्ञ पद्मश्री खादर वली, मिलेच्स पर सेवा शुल्क वसूली पर भी जताई चिंता
एफएनएन ब्यूरो, बरेली। देश के जाने- माने आहार विशेषज्ञ और ‘मिलेट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात पद्मश्री डॉ.खादर वली ने कहा कि पिछले 100 वर्षों से रसायनयुक्त भोजन खा-खाकर हम बीमार हो रहे हैं और अपनी जीवन भर की कमाई डॉक्टरों को सौंपकर उनकी तिजोरी भरते जा रहे हैं जबकि संतुलित-रसायनमुक्त आहार ही आपकी औषधि है।
डॉ. खादर वली रविवार शाम आईवीआरआई सभागार में श्री अन्न प्रोत्साहन सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने दूषित भोजन खिलाकर हमारे शरीर को रोगों का घर बना दिया है और दवाइयां बेचकर मालामाल हो रही हैं। हमारी सारी बीमारियों की जड़ हमारा खानपान है। इस देश को डॉक्टर नहीं, किसान ही निरोग कर सकते हैं।
श्री अन्न का नियमित सेवन ही निरोगी बनने का एकमात्र उपाय
डॉ खादर वली ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने मिलेट्स को श्रीअन्न का नाम दिया है। मिलेट्स या श्रीअन्न का नियमित सेवन ही हमारी सारी बीमारियों का एकमात्र निदान है। यह न सिर्फ हमारे शरीर को फिट रखता है बल्कि पर्यावरण को बचाने में भी सहायक है। एक किलो चावल के उत्पादन में 8 हजार लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जबकि एक किलो मिलेट के उत्पादन में महज ढाई से तीन सौ लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। स्टील और एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पका रहे हैं। यानी पकाने और खाने का तरीका दोनों सही नहीं।
कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, थाॅयराइड, रूमेटाइस ऑर्थराइटिस, हृदय संबंधी रोग इसलिए ही हो रहे हैं। पुरुषों में गंजापन और महिलाओं में अनियमित माहवारी के मामले बढ़ रहे हैं। कम उम्र में माहवारी, मेनोपॉज शुरू हो रहे हैं। इसकी मुख्य वजह असंतुलित, रसायनयुक्त खानपान है।
पर्यावरण भी प्रभावित करता है गेहूं और चावल
पद्मश्री डॉ. खादर वल्ली ने कहा कि मोटा अनाज उपजाने में पर्यावरणीय कारक बाधा नहीं। गेहूं, चावल और गन्ना उत्पादन के लिए विशेष रासायनिक उर्वरक व बेतहाशा पानी चाहिए। एक किलो गेहूं, चावल उपजाने में करीब दस हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। जबकि मोटा अनाज के लिए बारिश काफी है। वैकल्पिक सिंचाई की जरूरत नहीं, इसलिए यह पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।
डॉक्टर नहीं बताएंगे कि खाओ फाइबर युक्त भोजन
मिलेट्स मैन पद्मश्री डॉ. खादर वल्ली ने कहा कि डॉक्टर बीमार को दवाएं देंगे पर उससे मुक्त होने का तरीका नहीं बताएंगे। इससे उनका व्यवसाय प्रभावित होगा। कहा कि गेहूं, चावल और चीनी में रेशा यानी फाइबर एक फीसदी भी नहीं होता। ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होती है। जो रक्त में मिलकर गाढ़ा बनाता है। जो बीमारियों की वजह होती है। मोटा अनाज में फाइबर 8 से 14 फीसदी तक होता है। जो रक्त को सुचारु बनाकर रोगों से मुक्त करता है।
सौ वर्षों की लत धीरे-धीरे छूटेगी, शुरुआत कीजिए
डॉ. खादर वल्ली ने लोगों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि गेहूं, चावल और चीनी सौ वर्षों से खा रहे हैं। इसे तुरंत छोड़ना मुमकिन नहीं। सप्ताह में एक दिन मोटा अनाज खाएं अगले सप्ताह दो दिन, इसी तरह आगे बढ़ाते जाएं तभी बदलाव आएगा। पहले इसका सेवन शुरू करें तभी किसान इसे उपजाएंगे। अगर किसान उपजाएं और कोई न खाए तो उनकी मेहनत और समय का मूल्य नहीं मिलेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर हम धान, गेहूं और गन्ना की खेती बंद कर मिलेट्स की खेती की ओर बढ़ें तो अगले पांच हजार वर्षों तक भावी पीढ़ियों के लिए पानी की व्यवस्था कर जाएंगे। अगर हमने सबक नहीं लिया तो भावी पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
धान, गेहूं, गन्ना की खेती पर सब्सिडी, श्री अन्न पर पांच फीसदी सेवा शुल्क
मुख्य अतिथि एसआईएस ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि मोटे अनाज 200 तरह के होते हैं लेकिन कोदों, सांवा, कुटकी, हरा सांवा, कंगनी ही सबसे बेहतर है। पूर्वज इसे खाकर सौ वर्ष जिये। कोरोना में जिसने मोटा अनाज का सेवन किया, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी। सरकार धान, गेहूं, गन्ने की खेती पर सब्सिडी दे रही है। जबकि मोटे अनाज (श्री अन्न) पर पांच फीसदी सेवा शुल्क लग रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसआईएस रूप और राष्ट्रीय संगत पंगत के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि वैसे तो प्रकृति में 200 तरह के मिलेट्स मौजूद हैं लेकिन मुख्यत: पांच मिलेट कोदों, कुटकी, कंगनी, सावां और हरा सावां का सेवन ही हमारी सेहत के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने स्वागत भाषण में कहा कि जैसे मजबूत शरीर के लिए योग जरूरी है उसी तरह स्वस्थ शरीर के लिए मिलेट जरूरी है। समारोह में विधायक संजीव अग्रवाल, विधायक एमपी आर्या, एडवोकेट अनिल सक्सेना, संगत पंगत की राष्ट्रीय संयोजिका रत्ना सिन्हा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन नारायण कॉलेज के चेयरमैन शशिभूषण ने किया।