- गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे को हटाया गया
एफएनएन, दिल्ली : कांग्रेस में चिट्ठी विवाद के बाद पार्टी के अंदर बड़ा फेरबदल किया गया है। कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिवों और प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा की नियुक्ति की गई है। गुलाम नबी आजाद से महासचिव का पद छीन लिया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कद और बढ़ा दिया गया है। अब वह कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने वाली उच्च स्तरीय छह सदस्यीय विशेष समिति का हिस्सा हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद को उनके महासचिव के पद से हटा दिया गया है, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने वाली छह सदस्यीय समिति में रणदीप सुरजेवाला को शामिल किया गया है। परिवर्तन के बाद गुलाम नबी आज़ाद सहित अंबिका सोनी, मोती लाल वोहरा, लुज़ेनियो फलेरियो, मल्लिकार्जुन खड़गे महासचिवों की सूची से बाहर हो गए हैं। कांग्रेस ने आज कांग्रेस कार्य समिति और उसके केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण का नए सिरे से गठन किया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी का पुनः राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के साथ ही पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। हरीश रावत का यह बड़ा प्रमोशन माना जा रहा है। हरीश रावत उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले ऐसे राजनीतिज्ञ माने जाते हैं, जो अपने प्रतिद्वंदियों से मात खाने के बाद हर बार और मजबूत होकर उभरे और केंद्र में कैबिनेट मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद अंतत: प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए।
प्रारंभिक जीवन : हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को उत्तराखंड के अलमोड़ा जिले के मोहनारी में एक राजपूत परिवार में हुआ। उत्तराखंड से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने उत्तरप्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की उपाधि प्राप्त की।
पारिवारिक पृष्ठभूमि : हरीश रावत के पिता का नाम राजेंद्र सिंह और माता का नाम देवकी देवी है। उनका विवाह रेणुका रावत से हुआ। इनके दो बच्चे हैं। बेटा आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़ा है, जबकि बेटी अनुपमा रावत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से हैं तथा राजनीति में भी दखल रखती हैं।
राजनीतिक जीवन : व्यावसायिक तौर पर वे कृषि से जुड़े होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और श्रमिक संघ से भी संबद्ध रहे। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने भारतीय युवक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। 1973 में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के प्रमुख चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा थे।