एफएनएन, देहरादून: महेंद्र भट्ट फिर से उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष बनने वाले हैं. दरअसल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए सिर्फ उन्होंने ही नामांकन किया है. ऐसे में महेंद्र भट्ट निर्विरोध दोबारा उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष बन जाएंगे. महेंद्र भट्ट के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के समय उनके साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे.
महेंद्र भट्ट का राजनीतिक करियर: महेंद्र भट्ट ने 30 जुलाई 2022 को उत्तराखंड के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभाला था. उनको मदन कौशिक के स्थान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. महेंद्र भट्ट 2002 से 2007 तक नंदप्रयाग विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक रहे. इसके बाद 2007 में उन्हें हार मिली थी. 2017 में उन्होंने बदरीनाथ विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. 2 अप्रैल 2024 को बीजेपी ने महेंद्र भट्ट ने उत्तराखंड राज्यसभा सांसद बनाया.
बीजेपी के कद्दावर नेता हैं महेंद्र भट्ट: महेंद्र भट्ट उत्तराखंड बीजेपी के कद्दावर और मुखर नेताओं में एक हैं. वो अपने बेलाग बयानों के लिए जाने जाते हैं. इनका जन्म 1971 में सीमांत जिले चमोली के ब्राह्मण थाला में हुआ. भट्ट का राजनीतिक करियर 1991 में शुरू किया था. 1991 से 1996 तक महेंद्र भट्ट एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सहसचिव रहे. 1994 से 1998 तक वो एबीवीपी में टिहरी विभाग के विभाग संगठन मंत्री के पद पर रहे. इस दौरान किए गए उनके कार्यों को देखते हुए पार्टी ने 1998 में भट्ट को बीजेपी युवा मोर्चा का सचिव बनाया.
एबीवीपी में भी कई जिम्मेदारियां निभाई थीं: बीजेपी युवा मोर्चा सचिव पद के बाद महेंद्र भट्ट राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते चले गए. 2000-2002 तक वो बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश महासचिव रहे. इसके बाद उन्हें 2002-04 तक बीजेपी युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष रहने का अवसर मिला. महेंद्र भट्ट की राजनीतिक पारी ने तब बड़ा उछाल मारा जब पार्टी ने राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में महेंद्र भट्ट को विधायक का टिकट दिया. भट्ट 2002 में नंदप्रयाग से बीजेपी विधायक चुने गए. इस बीच कुछ असफलताओं के बीच 2017 में उन्होंने बदरीनाथ विधानसभा सीट से विजय हासिल की.
कई बोर्ड और समितियों के सदस्य रहे हैं: महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड प्राकलन समिति, आश्वासन समिति, पलायन समिति और आवास समिति का सदस्य रहने का भी मौका मिला.