एफएनएन, देहरादून: प्रदेश में हेली व हवाई सेवाओं का लगातार विस्तार हो रहा है। क्षेत्रीय संपर्क योजना ने इसे और गति प्रदान की है। इस समय प्रदेश में एक मार्ग पर हवाई सेवा और चार मार्गों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है।
बात करें हेली सेवाओं की तो प्रदेश में क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत 22 स्थानों के लिए हेली सेवाएं स्वीकृत हैं। इनमें से अभी देहरादून-चिन्यालीसौड़, देहरादून-गौचर, देहरादून-श्रीनगर व देहरादून-टिहरी मार्ग पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। अब प्रदेश सरकार दो नए हवाई मार्गों पर जल्द हेली सेवाओं के संचालन पर जोर दे रही है। ये दो मार्ग हल्द्वानी से मुनस्यारी और देहरादून से हेमकुंड साहिब के लिए हैं।
इन मार्गों पर चल रही हेली सेवाएं
देहरादून – श्रीनगर श्रीनगर – देहरादून
देहरादून – गौचर गौचर- देहरादून
सहस्रधारा – गौचर गौचर – सहस्रधारा
सहस्रधारा – चिन्यालीसौड़
चिन्यालीसौड़ – सहस्रधारा
ये मार्ग भी उड़ान योजना में हैं शामिल
देहरादून-टिहरी
टिहरी- श्रीनगर
श्रीनगर- गौचर
गौचर-श्रीनगर
श्रीनगर- टिहरी
टिहरी – देहरादून
देहरादून- हल्द्वानी- पंतनगर
हल्द्वानी – पंतनगर-देहरादून
पंतनगर- पिथौरागढ़
पिथौरागढ़ – पंतनगर
अल्मोड़ा – पिथौरागढ़
पिथौरागढ़ – अल्मोड़ा
इन मार्गों को भी किया गया है चिह्नित
बागेश्वर, चंपावत, लैंसडौन, मुनस्यारी, त्रियुगीनारायण
इस मार्ग पर शुरू हुई हवाई सेवा
देहरादून-पंतनगर- पिथौरागढ़
प्रदेश में पांच स्थानों पर उतरेंगे सी प्लेन
उत्तराखंड में पांच स्थानों पर सी प्लेन उतारने की भी तैयारी चल रही है। समुद्रमाला योजना के तहत केंद्र ने इसकी मंजूरी प्रदान कर दी है। हालांकि, इसके लिए अब प्रदेश को केंंद्र द्वारा गठित एसपीवी से करार करना है। उत्तराखंड में ऊधम सिंह नगर का हरिपुरा जलाशय, ऋषिकेश बैराज, टिहरी झील, नानकमत्ता बैराज और कालागढ़ झील में सी प्लेन उतारे जाएंगे। इसकी शुरुआत टिहरी झील से होगी।
केदारनाथ धाम के लिए चलती है हेली सेवाएं
प्रदेश सरकार के स्तर से भी हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ के लिए हेली सेवाएं संचालित की जाती हैं। ये हेली सेवाएं सोनप्रयाग, सिरसी और फाटा के नौ हेलीपैड से संचालित की जाती हैं। इसका किराया राज्य सरकार द्वारा शुरू में ही कंपनियों से तय कर लिया जाता है।
निजी क्षेत्र के सहयोग से हेलीपैड बनाने पर जोर
प्रदेश सरकार हाल ही में एक नई नीति लाई है। इसके तहत अब कोई भी व्यक्ति स्वयं अथवा सरकार के सहयोग से हेलीपैड बना सकता है। इसके लिए पहले सरकार क्षेत्र को चिह्नित करेगी और फिर हेलीपैड बनाने के लिए आवेदन आमंत्रित करेगी। यदि कोई व्यक्ति हेलीपैड बनाता है तो सरकार उसे वित्तीय सहयोग देगी। सरकार द्वारा हेलीपैड बनाए जाने की दृष्टि से पांच साल तक इसका संचालन सरकार करेगी। इसके बाद इसे मालिक को सौंप दिया जाएगा।