सर्वेश तिवारी (एफएनएन), हल्द्वानी : अंजाम का खौफ बड़े बड़ों के दिल दहला देता है और रण छोड़कर भागने पर मजबूर कर देता है। ऐसा ही कुछ हुआ उन नेताओं के साथ जो खुद को व्यापारियों का नेता समझते थे। आज एक घंटे के सांकेतिक धरने के बाद जब व्यापारियों को लगा कि सरकार और कानून उन पर कहर बनकर बरसेंगे तो सभी अपनी-अपनी दरी समेटकर कोना पकड़ते नजर आए।
बड़े नेताओं के कहने पर समेटी दरी
हुआ यूं कि लॉक डाउन के दौरान राज्य सरकार ने शराब को आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल कर लिया और बंदी के दौरान भी शराब दुकानों को खोले जाने को इजाजत दे दी। जबकि शहर का सारा बाजार बंद था। ये बात पिछले हफ्ते ही व्यापारियों को नागवार गुजरी थी, जब राज्य सरकार ने सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को लॉक डाउन का फैसला लिया था। व्यापारियों की मांग थी कि अगर शराब दुकानों को खोले जाने की इजाजत दी जा रही है तो फिर व्यापारियों को क्यो नहीं। इन्हीं व्यापारी व आमजन हित को लेकर एक व्यापार मंडल ने प्रदेश सरकार की नीतियों, नियम और बेतुके आदेशों से तंग आकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके तहत इकाई स्तर पर एक घंटे का सांकेतिक धरना शुरू हो गया, लेकिन व्यापारी ज्यादा देर तक हो हल्ला नहीं कर सके। बड़े व्यापारी नेताओं ने धरना दे रहे इकाई स्तर के पदाधिकारियों को फोन किया और कहा कि लॉक डाउन में धरना देना गैरकानूनी है, जिसके बाद सभी व्यापारी मोर्चा छोड़कर अपने घरों को चलते बने।