एफएनएन, कानपुर। कानपुर में रविवार रात कालिंदी एक्सप्रेस को दुर्घटनाग्रस्त करने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। साजिशकर्ताओं ने बर्राजपुर स्टेशन के आगे ट्रैक पर बिछी गिट्टी को हटाकर सिलिंडर गाड़ दिया था। इसके अलावा पास में पेट्रोल बम व बारूद भी रख दिया, ताकि धमाके की चपेट में कई बोगियां आ जाएं और व्यापक पैमाने पर जनहानि हो।

इस साजिश के पीछे जांच एजेंसियों को आईएसआईएस के खुरासान माड्यूल का हाथ होने की आशंका है। एनआईए की पांच सदस्यीय टीम और एटीएस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। कालिंदी एक्सप्रेस रविवार शाम 7.24 बजे भिवानी के लिए निकली थी। रात करीब 8.35 बजे बर्राजपुर स्टेशन पार करने के बाद जैसे ही आगे बढ़ी, ट्रेन पटरी के बीच में रखे गैस से भरे हुए सिलिंडर से टकरा गई।
तीन घंटे 25 मिनट में दिया वारदात को अंजाम
चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका। गनीमत रही कि ट्रेन से टकराने के बाद गैस से भरा सिलिंडर ट्रैक से छिटककर दूर जा गिरा। जिससे बड़ा हादसा टल गया और कोई जनहानि नहीं हुई। इससे पहले शाम 5:12 बजे कासगंज-अनवरगंज एक्सप्रेस इसी रूट से सुरक्षित गुजरी थी। दो ट्रेनों के बीच के तीन घंटे 25 मिनट के अंतराल के दौरान साजिशकर्ताओं ने पूरी वारदात को अंजाम दिया।

विस्फोटक पदार्थों की बरामदगी बड़ी साजिश का संकेत
कानपुर जोन में इससे पहले फर्रुखाबाद में पटरी पर लकड़ी के बोटे रखकर ट्रेन का बेपटरी करने की कोशिश की गई थी। मौके पर जांच करने पहुंचे आईजी एटीएस नीलाब्जा चौधरी ने भी इस घटना को साजिश बताया है। घटनास्थल के पास मिली पेट्रोल से भरी बोतल, झोले में मिली बारूद जैसी सामग्री भी इसी ओर इशारा कर रही हैं।
हिरासत में लिए 14 संदिग्ध, कड़ी पूछताछ
मौके पर पहुंची एनआईए एटीएस, एसटीएफ, आईबी आदि एजेंसियों ने भी जांच शुरू कर दी है। रेलवे के बरेली डिवीजन के इंजीनियर की तहरीर पर शिवराजपुर थाने में एक अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस दो हिस्ट्रीशीटर समेत 14 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। एडिशनल पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था हरीश चंदर के मुताबिक सोमवार को जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी जाएगी।
लोन वुल्फ अटैक की कोशिश
वहीं इस साजिश के पीछे आतंकी संगठन आईएस के खुरासान माड्यूल पर जांच एजेंसियों को शक गहराता जा रहा है। फिलहाल एजेंसियों को कोई अहम सुराग नहीं मिला है, लेकिन माना जा रहा है कि यह रेलवे पर लोन वुल्फ अटैक की कोशिश है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि कानपुर में ट्रेन को निशाना बनाने के हर पहलू की गहनता से जांच की जा रही है।

फोरेंसिक जांच में मिले ये बड़े इशारे
1.धमाके की चिंगारी पेट्रोल बम व बारूद तक लाने का था प्लान
ट्रैक पर सिलिंडर को इसलिए गाड़ा गया ताकि ट्रेन उससे टकराकर पलट जाए और सिलिंडर में ब्लास्ट हो जाए। इसके अलावा पेट्रोल बम की सुतली को सिलिंडर की नोजल से जोड़ दिया गया था और ट्रैक के पास बारूद भी रख दिया गया था। मंशा यह थी कि ट्रेन से टकराने पर भी सिलिंडर नहीं फटा तो रगड़ से चिंगारी पेट्रोल बम, बारूद तक पहुंच जाए।
- सिलिंडर फटता तो उड़ जाती पूरी ट्रेन
सिलिंडर या पास में ही रखे पेट्रोल बम अथवा विस्फोटक में धमाके हो जाते तो ट्रेन की सभी बोगियों में विस्फोट होने पर बड़ी जनहानि हो सकती थी। मौके पर मिला विस्फोटक पदार्थ प्रथम दृष्टया जांच में अमोनियम नाइट्रेट बताया गया है। एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट राहुल देव का कहना है कि घटनास्थल से मिला पीला पाउडर गंधक है और सफेद पाउडर कैल्शियम, एलम या घातक केमिकल हो सकता है। इन सभी को मिला कर धमाका किया जा सकता है।

महीने भर में ट्रेनों को पलटाने की दो बड़ी साजिशें
दरअसल, बीते दिनों जांच एजेंसियों को इस बाबत एक अलर्ट भी मिला था, जिसमें देश के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और रेलवे को निशाना बनाए जाने की चेतावनी दी गई थी। कानपुर में बीते एक माह में रेलवे ट्रैक को क्षतिग्रस्त करके ट्रेन को बेपटरी करने की दो बड़ी साजिशें सामने आने के बाद खुरासान माड्यूल शक के दायरे में है।
एनकाउंटर में ढेर हो चुका है खुरासान माड्यूल का मेंबर सैफुल्ला
खुरासान माड्यूल ने वर्ष 2017 में भोपाल रेलवे स्टेशन पर पैंसेजर ट्रेन में टाइम बम रखा था, जिसमें विस्फोट होने से कई यात्री घायल हो गए थे। तेलंगाना एटीएस की खुफिया जानकारी पर यूपी एटीएस ने लखनऊ में इस माड्यूल के सदस्य सैफुल्ला को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। उसके पास से सिलिंडर बम बनाने का सामान और आईईडी आदि भी मिला था।

2017 में भी मिले थे आईईडी के इस्तेमाल के सुराग
वर्ष 2017 में कानपुर देहात के पुखरायां में भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस पर भी इसी तरह निशाना बनाया गया था। इसकी जांच एनआईए को दी गई थी। इसमें आईईडी का इस्तेमाल करने के सुराग मिले थे। इसके तार बिहार के मोतिहारी में हुए रेल हादसे के आरोपियों से जुड़े थे। साथ ही, दुबई में कारोबार करने वाले नेपाल के शमशुलहुदा का नाम सामने आया था, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहा था।