एफएनएन, रुद्रपुर : पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ ने कहा कि किसान आन्दोलन के कारण अपना जनाधार खिसकता देख केंद्र सरकार दमन की राजनीति पर उतर आई है। देश के चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कृषि प्रधान देश में अन्नदाता को बर्बाद करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। लेकिन तानाशाह सरकार से किसान डरने वाला नहीं है और मोदी सरकार को जनविरोधी कृषि कानून वापस लेने ही होंगे। प्रेस को जारी बयान में बेहड़ ने कहा कि गणतंत्र दिवस की ट्रेक्टर रैली में जिस तरह भाजपा कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने लाल किला पहुँचकर तिरंगे का अपमान करवाया वह साफ़ दर्शाता है कि किसान आन्दोलन को जानबूझकर बदनाम करने का कुचक्र रचा गया था। इस निंदनीय घटना की आड़ में सरकार ने अपना खेल शुरू कर दिया और निर्दोष किसानों पर मुकदमे लाद दिए।
इसके बाद बल प्रयोग का भय दिखाते हुए किसानों के आन्दोलन को कुचलने की तैयारी की जाने लगी। बेहड़ ने कहा कि वह हैरान है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में किस तरह मोदी सरकार लोकतंत्र की ही धज्जियाँ उड़ाने में लगी है। अपनी वाजिब मांग के लिए बीते दो महीने से आन्दोलन कर रहे किसानों को सिर्फ दो उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही देश की दिशा और दशा तय करने वाले किसान को अपनी मांग के लिए जिस तरह इस सरकार के आगे आन्दोलन करना पड़ रहा है वह लज्जित करने वाला है। कहा कि राष्ट्रवाद की आड़ लेकर किसानों को दबाने की कोशिश बेकार साबित होगी। यही राष्ट्रवादी किसान अपने खून-पसीने से देश की जनता का पेट भरते हैं। मोदी सरकार को समझना चाहिए कि किसानों को कुचलकर सत्ता बहुत दिन तक नहीं रहने वाली।
उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार जवान और किसान एक दुसरे के सामने दुश्मनों की तरह खड़े हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य देश का नहीं हो सकता कि सिर्फ अपने कॉर्पोरेट दोस्तों को खुश करने के लिए मोदी सरकार ने जवानों और किसानों को एक दूजे के खिलाफ जाने को मजबूर कर दिया। देश के किसान ने जो जज्बा दिखाया है वह प्रशंसनीय है और जिस तरह एक शांतिपूर्ण आन्दोलन को भाजपा के कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने बदनाम करने की नाकाम कोशिश की है उसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है। देश का अन्नदाता अकेला नहीं है और देश के नागरिक तन-मन से उनके साथ है।