Saturday, July 27, 2024
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडकाबुल हाउस के 15 भवनों पर गरजा जेसीबी का बुलडोजर, कोर्ट ने...

काबुल हाउस के 15 भवनों पर गरजा जेसीबी का बुलडोजर, कोर्ट ने दिया था आदेश

एफएनएन, देहरादून : काबुल हाउस पर जिला प्रशासन ने 40 वर्षों की जिद्दोजहद के बाद आखिरकार अपना कब्जा जमा लिया है। शनिवार को प्रशासन की मशीनरी ने यहां अवैध रूप से बनाए गए 15 भवनों को ध्वस्त कर दिया। ताकि यहां की संपत्ति पर दोबारा कब्जा न किया जा सके।

जिलाधिकारी सोनिका की कोर्ट ने 17 अक्टूबर को हाउस खाली करने के आदेश दिए थे। अवैध कब्जेदारों को 15 दिन का समय दिया गया था। तय समय के भीतर कब्जा न छोड़ने पर प्रशासन ने दो नवंबर को जबरन काबुल हाउस के भवन खाली करा लिए थे। साथ ही संपत्ति को सील कर दिया था। उसी दौरान आठ परिवार त्योहारी सीजन पर बेदखली के विरोध में हाई कोर्ट चले गए थे।

मानवीय आधार पर कोर्ट ने इन परिवारों को एक दिसंबर तक कि मोहलत दी थी। कोर्ट से मिली राहत के क्रम में आठ परिवार वापस लौट आए थे। हालांकि, कोर्ट की अवधि एक दिसंबर से पहले ही संबंधित परिवारों ने काबुल हाउस की संपत्ति खाली कर दी थी।

अब जिलाधिकारी सोनिका के निर्देश पर तहसीलदार शादाब के नेतृत्व में पहुंची टीम ने 15 आवास को ध्वस्त कर दिया है। जिलाधिकारी सोनिका के मुताबिक काबुल हाउस पर सराकर के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व प्राप्त कर लिया गया है। अब सरकार ही इसके जनहित में किसी प्रयोजन पर निर्णय लेगी।

भूमाफिया ने 40 साल लटकाया प्रकरण, मुकदमे का इंतजार

ईसी रोड स्थित काबुल हाउस की संपत्ति करीब 400 करोड़ रुपयेकी बताई जाती है। इसका संबंध काबुल के शाही परिवार के सदस्य याकूब खान से है। जिलाधिकारी सोनिका की कोर्ट के आदेश के मुताबिक काबुल हाउस के मालिक याकूब खान की मृत्यु वर्ष 1921 में हो गई थी।

इस क्रम में उनके वंशज सरदार मो. आजम खान, सरदार अली खान, सुल्तान अहमद खान के नाम नगर पालिका के असेसमेंट वर्ष 1934-37, वर्ष 1943-1948 में अंकित हैं। यह भी उल्लेख किया गया कि अमीर आफ काबुल याकूब खान के वंशजों ने वर्ष 1947 में भारत छोड़ दिया था। जिसके बाद भूमि को रिक्त घोषित कर दिया गया।

वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश सरकार में जांच के बाद लावारिश संपत्तियों को कस्टोडियन एक्ट-1950 प्रविधानों के मुताबिक निष्क्रांत संपत्ति घोषित कर नगर निकायों के रिकार्ड में कस्टोडियन दर्ज किया गया।

इसके बाद भी सहारनपुर निवासी मो. शाहिद ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उक्त संपत्ति पर कब्जा करने के साथ ही अन्य व्यक्तियों के नाम 30 रजिस्ट्री भी करा दी थी। इसके लिए तमाम प्रपंच किए गए। इसी के आधार पर यहां 15 से 17 लोग अवैध रूप से काबिज हो गए और 40 साल तक सरकार इस संपत्ति पर कब्जा नहीं ले पाई।

जिलाधिकारी ने यह भी आदेश दिए थे कि मो. शाहिद और उसके सहयोगियों पर एफआइआर दर्ज की जाए। अब तक भी प्रकरण में मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments