एफएनएन, देहरादून: हरिद्वार में सनसनीखेज कथित भूमि घोटाले की जांच पूरी हो गई है. IAS अफसर रणवीर सिंह चौहान को मई महीने के पहले हफ्ते में यह जांच सौंप गई थी. जिसे करीब 25 दिनों में पूरा करने के बाद शासन को सौंप दिया गया है. खास बात यह है कि इस जांच में बड़े अधिकारियों की भी खामियां सामने आई हैं. जिसके चलते मामले में बड़ी गड़बड़ी के कयासों पर मुहर लगती हुई दिखाई दे रही है. रणवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने शासन को जांच रिपोर्ट सौंप दी है, बाकी की प्रक्रिया शासन स्तर पर होगी.
हरिद्वार नगर निगम 54 करोड़ रुपए की भूमि खरीदे मामले में जांच पूरी कर ली गई है. बड़ी बात यह है कि प्रकरण की जांच के दौरान बड़े अधिकारियों की तरफ से भी कई खामियां सामने आई हैं. इस मामले में सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व हानि होने की बात सामने आई थी. जिस पर मुख्यमंत्री स्तर से निर्देश मिलने के बाद फौरन जांच के आदेश दिए गए थे.
मामले में IAS अफसर रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंप गई थी. जिन्होंने मौका मुआयना करने के साथ संबंधित अधिकारियों और जमीन बेचने वाले किसानों से भी पूछताछ की थी. ईटीवी भारत ने हाल ही में यह साफ किया था कि रणवीर सिंह चौहान अपनी जांच का अधिकतर हिस्सा पूरा कर चुके हैं. जल्द ही वह सरकार को अपनी जांच सौंप देंगे. इस खबर पर अब मुहर लगी है. रणवीर सिंह चौहान ने शासन को अपनी जांच सौंप दी है.
रणवीर सिंह चौहान के स्तर पर की जा रही जांच में जमीन खरीद की प्रक्रिया को बारीकी से देखा गया है. इसके अलावा जमीन को 143 (व्यवसायिक उपयोग) किए जाने और लैंड पुल कमिटी का गठन नहीं किए जाने जैसे बिंदुओं को भी गहनता से देखा गया है.
खबर है कि जांच के दौरान भू उपयोग बदलने को लेकर प्रक्रिया को काफी तेजी से पूरा किया गया जो संदेह पैदा करता है. जमीन खरीद को लेकर जरूरी प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन भी नहीं किए जाने की सूचना मिल रही है. यह भी सामने आया है की जांच के दौरान जांच खरीद के लिए जरूरी कमेटियां बनाने को लेकर भी काम नहीं किया गया है. मामले में सबसे बड़ी बात यह रही कि इस जमीन को खरीदने के लिए शुरुआत कृषि भूमि के रूप में फाइल चलकर हुई लेकिन भूमि कमर्शियल उपयोग के रूप में नगर निगम द्वारा खरीदी गई जिससे इस भूमि के दाम कई गुना बढ़ गए.
हालांकि, इस पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट अब सरकार को सौंप दी गई है. मामले में उच्च स्तर पर ही निर्णय लिया जाना है. जांच रिपोर्ट को लेकर जो चीज सामने आ रही हैं उसे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि मामले में जिलाधिकारी, पूर्व नगर आयुक्त और तत्कालीन एसडीएम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में न केवल नगर निगम और हरिद्वार जिला प्रशासन के छोटे कर्मचारी बल्कि बड़े स्तर के अधिकारी भी इस मामले में कार्रवाई की जद में आ सकते हैं.