
एफएनएन, बरेली : दस महीने पहले 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एंटी करप्शन) टीम के हत्थे चढ़े दरोगा दीपचंद की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। दरोगा दीपचंद की संपत्ति की जल्द जांच शुरू होने वाली है। अगर जांच में आय से अधिक संपत्ति मिली तो दीपचंद पर शिकंजा सका जा सकता है। हालाकि, रिश्वतखोरी के मामले में एंटी करप्शन की विवेचना में भी दरोगा दोषी पाया गया है। उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई है।

बता दें कि इसी साल छह जनवरी की शाम बहेड़ी थाने की भुड़िया चौकी के प्रभारी दरोगा दीपचंद को चौकी परिसर में ही 50 हजार रुपये के साथ पकड़ा गया था। एंटी करप्शन टीम ने दावा किया था कि पिपलिया निवासी जीशान के चाचा व भाई पर दर्ज मारपीट की रिपोर्ट में मामला रफा-दफा करने के नाम पर ये रकम दीपचंद मांग रहा था। परेशान जीशान ने एंटी करप्शन टीम से शिकायत की तो प्रारंभिक जांच के बाद दरोगा के खिलाफ ट्रैप लगाया गया।
एंटी करप्शन की टीम ने दरोगा की मेज की दराज से घूस के 50 हजार रुपये बरामद करके उसे गिरफ्तार कर लिया था। दरोगा को जेल भेजने के साथ ही विवेचना एंटी करप्शन के ही इंस्पेक्टर इश्तियाक वारसी को दी गई। सूत्रों के मुताबिक वारसी ने मार्च में ही दीपचंद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है और कोर्ट ने चार्जशीट को स्वीकार भी कर लिया है। दीपचंद की पत्नी गुंजन ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर एंटी करप्शन टीम पर गंभीर आरोप लगाए थे।
इस मामले में जांच का एक हिस्सा पुलिस तो दूसरा हिस्सा एंटी करप्शन टीम को सौंपा गया। एसएसपी अनुराग आर्य ने दीपचंद को निलंबित कर विभागीय जांच के साथ शासन के स्तर से मांगी गई आख्या तैयार करने की जिम्मेदारी एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम को सौंपी। इसमें जांच पूरी कर ली गई है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस की जांच में घटनाक्रम को संदिग्ध माना गया है, जिससे भविष्य में दीपचंद को आंशिक राहत मिल सकती है।





