एफएनएन, पिथौरागढ़: आदि कैलाश के दूसरे चरण की यात्रा को लेकर जिला प्रशासन ने पंजीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी है. इसके साथ ही 15 सितंबर से यात्रा भी शुरू होनी थी, लेकिन मौसम की चेतावनी को देखते हुए यात्रा शुरू नहीं हो पाई. जिला प्रशासन की मानें तो अब 17 सितंबर से सीमित संख्या में इनर लाइन परमिट जारी किए जाएंगे.
धारचूला के प्रभारी उपजिलाधिकारी मंजीत सिंह ने बताया कि बुधवार यानी 17 सितंबर से इनर लाइन परमिट जारी किए जाएंगे, लेकिन मौसम की स्थिति को देखते हुए फिलहाल केवल वे यात्री, जो पहले से पिथौरागढ़ पहुंच चुके हैं, उन्हें ही परमिट दिए जाएंगे. इसके साथ ही टूर ऑपरेटरों से अपील की गई है कि वे जिला प्रशासन से मौसम संबंधी जानकारी हासिल करने के बाद ही आगे की बुकिंग करें.
बता दें कि करीब 300 लोग आदि कैलाश यात्रा के लिए पिछले दो दिनों से धारचूला पहुंचे हुए हैं. 15 सितंबर से आदि कैलाश यात्रा शुरू होनी थी, लेकिन पिथौरागढ़ जिले में लगातार बारिश और भूस्खलन के चलते यात्रा शुरू नहीं हो पाई. 16 सितंबर को भी मौसम की चेतावनी को देखते हुए यात्रा शुरू नहीं की जा सकी. वहीं, बारिश की वजह से जगह-जगह मार्ग बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
आदि कैलाश का धार्मिक महत्व: आदि कैलाश पर्वत को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है. इसकी आकृति कैलाश पर्वत जैसी नजर आती है. माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने यहीं पर निवास किया था. यात्रा के दौरान गौरीकुंड और पार्वती सरोवर जैसे पवित्र स्थल आते हैं, जहां स्नान और पूजा का खास महत्व है.
आदि कैलाश का सांस्कृतिक महत्व: आदि कैलाश यात्रा स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी है. कुमाऊं क्षेत्र के ग्रामीण समाज की धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां तिब्बती संस्कृति और भारतीय संस्कृति का संगम भी देखने को मिलता है. यह स्थल भारत-चीन सीमा के नजदीक पिथौरागढ़ जिले में स्थित है. यह इलाका भारत चीन सीमा पर स्थित है. जो सामरिक दृष्टि से काफी अहम है.





