
एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मंजूरी को लेकर प्रदेशभर में क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है.वहीं, इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली का बिल्कुल अलग बयान सामने आया है. उन्होंने कहा सीबीआई जांच की मंजूरी से प्रदेश की शाख पर बट्टा लगा है. लोग इसे खुशी का मौका समझ रहे हैं.
उत्तराखंड सरकार से मिली पेपर लीक मामले में सीबीआई मंजूरी के बाद सबसे पहले जश्न पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के घर देखने को मिला. यहां उन्होंने सरकार के इस फैसले का पूरा श्रेय लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके सुझाव को माना और युवा छात्र-छात्राओं की पीड़ा को समझते हुए सीबीआई जांच की मंजूरी दी. यही नहीं भाजपा के कई नेता, राज्यमंत्री, विधायक और आखिर में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी सीबीआई जांच से जुड़े बयान दिये थे. जिसके बाद वे भी इसका श्रेय लेने की कतार में दिखाई दिये.
उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच को लेकर हर कोई प्रफुल्लित नजर आ रहा है, मगर भाजपा के वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली इस मामले में बिल्कुल अलग दृष्टिकोण रखते हैं. उन्होंने कहा लंबे समय से युवा आंदोलनरत थे. उनकी समस्याएं थी. यह महत्वपूर्ण विषय है. उसके बाद मुख्यमंत्री ने भी उनकी समस्याएं सुनी. उनके बीच पहुंचे. यह भी बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा जिस तरह से सीबीआई जांच को लेकर प्रदेश भर में लोग खुशियां मना रहे हैं तो यह उनके समझ से परे है. पूरे देश भर में उत्तराखंड के किसी मामले में सीबीआई जांच हो रही है तो क्या यह खुशी मनाने पटाखे फोड़ना और मिठाई खाने का मौका है?
उन्होंने कहा सीबीआई जांच उनके लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे उत्तराखंड की छवि पूरे देश में एक भ्रष्ट प्रदेश के रूप में सामने आई है. उन्होंने कहा उत्तराखंड की छवि पूरे देश में देशभक्त और ईमानदार लोगों की है. आज उस छवि को बट्टा लगा है. उन्होंने कहा आज पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मंजूरी मिलना कहीं ना कहीं साल 2021-22 में उत्तराखंड सरकार द्वारा लाया गया सख्त नकल विरोधी कानून सवालों के घेरे में खड़ा करता है.
उन्होंने कहा एक तरफ सरकार सख्त नकल विरोधी कानून में कई बड़ी कार्रवाई कर रही है. जिसमें बड़े रसूखदार लोगों पर एक्शन लिया गया. आज सीबीआई जांच की मंजूरी देने के बाद यह साबित हो जाता है कि हमें अपने सख्त कानून पर भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा साल 2015-16 में बैकडोर भर्तियां हुई क्या वह जांच के दायरे में नहीं आनी चाहिए ? उन्होंने कहा राज्य गठन से लेकर अब तक 37000 लोग अब तक अप्वॉइंट हो चुके हैं वह सब भी अगर इसके दायरे में आते हैं.

