Monday, December 30, 2024
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सिर्फ बुखार नहीं कोरोना संक्रमण की पहचान

एफएनएन, दिल्ली : भारत में कोरोना पॉजिटिव मिले सिर्फ 14 फीसद लोगों में हो बुखार मिला है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि इस संक्रमण की पहचान बुखार से ही हो जाती है। दिल्ली एम्स के अध्ययन मैं यह बात सामने आई है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में भी यह प्रकाशित हुआ है।

144 मरीजों पर अध्ययन में सामने आया सच

अध्ययन के आधार पर शोध करने वालों ने कहा कि दुनिया के बाकी देशों के विपरीत यहां संक्रमित मरीजों में बुखार प्रमुख लक्षण नहीं था। वायरस के शुरूआती लक्षणों में मरीजों ने सांस से जुड़ी परेशानियां ज्यादा महसूस कीं। 144 मरीजों पर हुए अध्ययन में लिए 29 विशेषज्ञों की टीम शामिल थी।

साइलेंट स्प्रेडर’ की तरह काम कर रहा है कोरोना

दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया का कहना है कि वायरस के लक्षणों के बारे में हमें समय के साथ कुछ नया पता लग रहा है। सिम्प्टोमैटिक मरीजों में श्वसन संबंधी समस्याएं, गले में खराश और खांसी जैसे कोरोना के लक्षण देखे गए। इन मरीजों में 44 प्रतिशत मरीज एसिम्प्टोमैटिक थे जिनमें अस्पताल में भर्ती होने से उपचार होने तक कभी बुखार नहीं देखा गया। इस आधार पर शोधकर्ताओं का आकलन है कि उस वक्त भी कोरोना वायरस ‘साइलेंट स्प्रेडर’ की तरह बिना लक्षण के लोगों को संक्रमित कर रहा था।

शुरूआती संक्रमित मरीजों में ये लक्षण थे

शोधकर्ताओं ने 144 मरीजों के लक्षणों के आधार पर बताया कि उस वक्त ज्यादातर कम उम्र वाले मरीज थे। अधिकांश मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे थे। लक्षण दिखने वाले मरीजों में खांसी सबसे सामान्य लक्षण था जबकि बुखार बहुत ही कम लोगों में था। कई मरीजों की आरटीपीसीआर जांच के निगेटिव आने में लंबा वक्त लगा, साथ ही उपचार के दौरान इन मरीजों को आईसीयू की जरूरत बहुत कम पड़ी। निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना के दूसरे लक्षणों पर भी दिया जाए।

चीन में भारत के इतर कहानी

भारत के विपरीत चीन में 44 प्रतिशत संक्रमित मरीजों में जांच के दौरान बुखार पाया गया जबकि अस्पताल में उपचार के दौरान 88 प्रतिशत मरीजों को बुखार रहता था। दूसरे देशों में भी कोरोना पीड़ित मरीजों में बुखार एक प्रमुख लक्षण रहा है।

भीड़ वाले स्थानों से संक्रमित हुए लोग

शोध में शामिल 144 मरीजों में से 134 पुरुष थे। इसमें दस विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इन मरीजों की औसत उम्र 40 साल थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन मरीजों को संक्रमण ऐसे राज्यों की यात्रा के दौरान हुआ, जो वायरस प्रभावित थे। कई मरीजों को भीड़भाड़ वाले इलाकों, एयरपोर्ट व अन्य सार्वजनिक स्थानों में किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमण हुआ। इन मरीजों में एक हेल्थ वर्कर और एक प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल था जो काम के दौरान संक्रमित हुए।

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