Saturday, July 27, 2024
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडहाईकोर्ट: HC के लिए हो सकती है पटवाडांगर में 103 या एचएमटी...

हाईकोर्ट: HC के लिए हो सकती है पटवाडांगर में 103 या एचएमटी में 91 एकड़ जमीन, जानें नया अपडेट

एफएनएन, नैनीताल : नैनीताल के निकट पटवाडांगर में 103 एकड़ और काठगोदाम के निकट एचएमटी से राज्य सरकार को मिली 45 एकड़ (वन और राज्य सरकार की खुली भूमि मिलाकर 91 एकड़) भूमि होने के बावजूद इन्हें कोर्ट के लिए क्यों नहीं चुना जा रहा है। अगर यहां हाईकोर्ट बनाया जाता है तो यहां न पेड़ काटने पड़ेंगे और ना ही वन मंत्रालय, एनजीटी या किसी अन्य आपत्ति की संभावना हैा। बिजली, पानी, यातायात, पार्किंग सहित समस्त सुविधाएं यहां पहले से हैं। ये दोनों ही जगहें सुरम्य, प्राकृतिक और शांत क्षेत्र हैं। यहां का मौसम भी नैनीताल या हल्द्वानी के मुकाबले अच्छा है। मुख्य मार्ग से हटकर होने के कारण इसका संचालन भी आसान रहने की संभावना है।

WhatsApp Image 2023-12-18 at 2.13.14 PM
  • पटवाडांगर में निष्प्रयोज्य पड़ी है 103 एकड़ भूमि और भवन

नैनीताल-हल्द्वानी मार्ग पर नैनीताल से 12 किलोमीटर दूर स्थित पटवाडांगर में 103 एकड़ के विशाल और लगभग पांच अरब रुपये कीमत के इस बेशकीमती परिसर को 19 वर्षों से किसी भी रूप में उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। यहां 1903 में वैक्सीन इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी। वर्ष 1957 में इस संस्थान में एंटी रैबीज वैक्सीन और बाद में टिटनेस की वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू किया गया। वर्ष 1980 में विश्व से चेचक का उन्मूलन होने के बाद वर्ष 2003 तक यहां तरह-तरह की वैक्सीन बनती रहीं। बाद के वर्षों में आधुनिक तकनीक के अभाव में यहां वैक्सीन का निर्माण बंद कर दिया गया।

WhatsAppImage2024-02-11at73136PM
WhatsAppImage2024-02-11at73136PM
previous arrow
next arrow
Shadow

15 साल तक पंतनगर विवि के पास रही जमीन
2005 में राज्य सरकार ने संस्थान को पंतनगर के जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को सौंपकर जैव प्रौद्योगिक संस्थान के रूप में बदल दिया गया। 15 साल तक यह संस्थान पंतनगर विवि के पास रहा लेकिन कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल न हो सकी। 2019 में कुमाऊं विवि के तत्कालीन कुलपति प्रो. केएस राणा ने इस जगह को विवि को देने की मांग उठाई लेकिन 2020 में उत्तराखंड शासन ने इसे उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद हल्दी को सौंप दिया। अब भी वर्तमान कुलपति प्रो. डीएस रावत इसे विवि को दिलाने के लिए जोर-शोर से प्रयासरत हैं।

धामी के प्रयास से मिली थी एचएमटी की भूमि
2020 में काठगोदाम के पास रानीबाग स्थित एचएमटी की 45.33 एकड़ विकसित भूमि और भवन केंद्र से प्रदेश सरकार को मिला था। सीएम धामी ने प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय से एचएमटी की भूमि को प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया था। इसके बाद भारत सरकार ने एचएमटी की यह भूमि उत्तराखंड सरकार को 72 करोड़ की राशि में सौंप दी थी। पहले यह परिसर 91 एकड़ में था जिसमें 45.33 एकड़ फैक्ट्री की खरीदी हुई भूमि थी। शेष भूमि राज्य सरकार व वन विभाग की थी जो वापस हो चुकी है।

कभी उत्तराखंड की शान थी एचएमटी, यहां नौकरी करना था स्टेटस सिंबल

वर्ष 1985 में तत्कालीन भारी उद्योग मंत्री एनडी तिवारी के प्रयासों से स्थापित एचएमटी फैक्टरी कभी उत्तराखंड की शान थी। तब यह 91 एकड़ में फैली थी। एक समय इस फैक्ट्री में 500 से अधिक मशीनें थीं। सालाना 500 करोड़ का टर्नओवर था और 20 लाख घड़ियां प्रतिवर्ष बनती थीं लेकिन कंपीटिशन और डिजिटल तकनीक का चलन बढ़ने के बाद 2016 में यह बंद हो गई और रखरखाव के अभाव में फैक्टरी और यहां बनी आवासीय कॉलोनियां खंडहर हो गईं। 2016 में कंपनी बंदी के समय 512 कर्मचारी कार्यरत थे। कुछ ने वीआरएस लिया और कुछ को अन्यत्र समायोजित कर दिया गया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments