एफएनएन, नैनीताल : नैनीताल के निकट पटवाडांगर में 103 एकड़ और काठगोदाम के निकट एचएमटी से राज्य सरकार को मिली 45 एकड़ (वन और राज्य सरकार की खुली भूमि मिलाकर 91 एकड़) भूमि होने के बावजूद इन्हें कोर्ट के लिए क्यों नहीं चुना जा रहा है। अगर यहां हाईकोर्ट बनाया जाता है तो यहां न पेड़ काटने पड़ेंगे और ना ही वन मंत्रालय, एनजीटी या किसी अन्य आपत्ति की संभावना हैा। बिजली, पानी, यातायात, पार्किंग सहित समस्त सुविधाएं यहां पहले से हैं। ये दोनों ही जगहें सुरम्य, प्राकृतिक और शांत क्षेत्र हैं। यहां का मौसम भी नैनीताल या हल्द्वानी के मुकाबले अच्छा है। मुख्य मार्ग से हटकर होने के कारण इसका संचालन भी आसान रहने की संभावना है।
- पटवाडांगर में निष्प्रयोज्य पड़ी है 103 एकड़ भूमि और भवन
नैनीताल-हल्द्वानी मार्ग पर नैनीताल से 12 किलोमीटर दूर स्थित पटवाडांगर में 103 एकड़ के विशाल और लगभग पांच अरब रुपये कीमत के इस बेशकीमती परिसर को 19 वर्षों से किसी भी रूप में उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। यहां 1903 में वैक्सीन इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी। वर्ष 1957 में इस संस्थान में एंटी रैबीज वैक्सीन और बाद में टिटनेस की वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू किया गया। वर्ष 1980 में विश्व से चेचक का उन्मूलन होने के बाद वर्ष 2003 तक यहां तरह-तरह की वैक्सीन बनती रहीं। बाद के वर्षों में आधुनिक तकनीक के अभाव में यहां वैक्सीन का निर्माण बंद कर दिया गया।