एफएनएन, देहरादून : कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि वह पार्टी द्वारा उन्हें दिए गए दो दायित्वों में से एक से मुक्त होना चाहते हैं। अगर पंजाब का प्रकरण न आया होता, तो वह संभवतया अगले कुछ दिन में हाईकमान से पंजाब की जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह कर देते। पंजाब के घटनाक्रम के कारण कुछ दिन के लिए सेवा विस्तार मिल गया। दरअसल, उत्तराखंड और पंजाब, दोनों राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव हैं। पंजाब के प्रभारी के साथ ही उत्तराखंड में पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की दोहरी जिम्मेदारी उनके पास है। इससे संबंधित सवाल पर रावत ने यह बात कही। रावत ने कहा कि उन्होंने कुछ केंद्रीय नेताओं को जरूर अपनी इच्छा से अवगत करा दिया है, लेकिन अब वह जल्द अपनी बात हाईकमान के समक्ष भी रखेंगे। कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, अब नए लोग आगे आ रहे हैं, उन्हें मौका देना चाहिए।
पंजाब में कांग्रेस दो हिस्सों में नहीं बंटी है
अपने स्तर पर पंजाब के सियासी घमासान को फौरी तौर पर शांत करने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि पंजाब में पार्टी दो हिस्सों में नहीं बंटी है। सब सोनिया गांधी व राहुल गांधी के पीछे खड़े हैं। पंजाब से आए मंत्री व विधायकों का पक्ष सुनने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात हुई, उन्होंने विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान का भरोसा दिया है। इनमें सरकार द्वारा पहले लिए गए कुछ निर्णयों के क्रियान्वयन की बात भी शामिल है। चुनाव नजदीक हैं, इसलिए विधायकों के मन में कुछ शंका थी, जिसे सुलझा लिया जाएगा।
अधिकांश विधायक कांग्रेस पृष्ठभूमि के
रावत ने कहा कि असंतुष्ट विधायकों में कुछ को छोड़कर सभी मंत्री-विधायक कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। ऐसे विधायकों की संख्या लगभग 35 है। वैसे ये कोई योजना बनाकर एकत्र नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने पार्टी नेताओं को भी नसीहत दी कि इस तरह की स्थिति आने पर हर किसी को बयानबाजी से बचना चाहिए। उम्मीद है कि पंजाब का कोई भी नेता इस तरह की स्थिति नहीं लाएगा। कोई भी व्यक्ति हो, उसे आंच को हवा नहीं देनी चाहिए, सब कुछ पार्टी नेतृत्व पर छोड़ देना चाहिए।
इतनी बड़ी बात नहीं कि सोनिया-राहुल तक जाना पड़े
रावत ने आगे कहा कि सभी विधायकों ने कहा कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी का निर्णय स्वीकार है। मामला इतना बड़ा नहीं कि उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के लिए दिल्ली जाना पड़े। वह खुद अगले एक-दो दिन में दिल्ली जाकर हाईकमान को वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। हालांकि, साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अगर विधायक फिर भी चाहेंगे तो उनकी मुलाकात सोनिया गांधी व राहुल गांधी से कराई जा सकती है।
इतनी बड़ी बात नहीं कि सोनिया-राहुल तक जाना पड़े
रावत ने आगे कहा कि सभी विधायकों ने कहा कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी का निर्णय स्वीकार है। मामला इतना बड़ा नहीं कि उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के लिए दिल्ली जाना पड़े। वह खुद अगले एक-दो दिन में दिल्ली जाकर हाईकमान को वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। हालांकि, साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अगर विधायक फिर भी चाहेंगे तो उनकी मुलाकात सोनिया गांधी व राहुल गांधी से कराई जा सकती है।
सलाहकार केवल सिद्धू को सलाह दें
एक सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयान अत्यंत निंदनीय हैं। ये पार्टी लाइन और देश हित के भी खिलाफ हैं। कश्मीर पर हमारी नीति स्पष्ट है। सिद्धू को कहा गया है कि सलाहकार केवल उन्हें सलाह देने तक सीमित रहें, पार्टी नीतियों को लेकर कुछ न बोलें। सलाहकार अगर ऐसा नहीं करते तो अपना पद छोड़ दें।