एफएनएन, हल्द्वानी : कहते हैं सोचो वही जो तुम सोच सकते हो और करो वही जो तुम कर सकते हो। हल्द्वानी के लक्ष्य परिहार ने भी वही सोचा और वही किया, जो वह चाहते थे। अपने नाम के अनुरूप अपने सपने को अपना लक्ष्य बनाया और आज टीवी के जरिए न सिर्फ खुद को चमकाया है, बल्कि अपने कला के जरिए हल्द्वानी जैसे शहर की चमक भी मनोरंजन की दुनिया में बिखेर दी है।
- खुद ही लिखते और गाते भी हैं
लक्ष्य उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर के रहने वाले हैं। यहां रामपुर रोड पर उनका घर है, मगर इन दिनों उनकी पहचान बनी है, एमटीवी के रियलिटी शो हसल 2.0 की बदौलत। जहां वह देश के मशहूर रैपर बादशाह के सामने अपना हुनर दिखा रहे हैं। लक्ष्य ‘LXSH’ नाम से खुद ही रैप लिखते हैं, खुद ही गाते हैं और खुद इसका संगीत भी तैयार करते हैं। उनकी काबिलियत ही ऐसी है, जिसे हसल 2.0 में बादशाह भी सलाम ठोंक चुके हैं। इस शो में उन्होंने देशभर के कोने-कोने से पहुंचे हजारों प्रतिभागियों में से टॉप-15 प्रतिभागियों में जगह बनाई है।
- 2007 से शुरू किया रैप गाना
लक्ष्य ने अपनी शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी से ही पूरी की है। 12वीं तक की पढ़ाई उनकी नैनी वैली और बिड़ला स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम किया है। शो में जज बादशाह के पूछने पर लक्ष्य अपने रैपर बनने की कहानी बताते हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने रैप लिखना और गाना 2007 से ही शुरू कर दिया था, मगर असल शुरुआत हुई मशहूर रैपर बोहिम्या को सुनने बाद। लक्ष्य बताते हैं कि उस समय संगीत या किसी चीज की ओरिजनल सीडी मिलनी न सिर्फ मुश्किल होती थी, बल्कि यह महंगी भी होती थी। ऐसे में उन्हें बोहिम्या के मशहूर रैप सांग ‘द रैप स्टार की पायरेटेड सीडी मिली, जिससे उन्होंने रैप लिखना और गाना सीखा। इस रैप सांग से उन्हें रैप की बारीकियां पता चलीं।
- हल्द्वानी को पहचान दिलाना मकसद
शो में लक्ष्य ने ‘पागल है…’ रैप गाया है। इस गाने में लक्ष्य ने हल्द्वानी शहर की छोटी-छोटी चीजों को शामिल किया है। जैसे गौला नदी, नेगी प्वाइंट। लक्ष्य का कहना है कि उनका सबसे बड़ा सपना है कि वह हल्द्वानी को पूरे देश व विश्व में प्रसिद्धि दिला सकें। आने वाले समय में कोई यह न बोले कि हल्द्वानी कहां है।
- कोरोना में आई आपदा को अवसर में बदला
लक्ष्य ने बातचीत में बताया कि 2020 में फैली कोरोना महामारी के समय में आई मुसीबत ने उन्हें अपनी कला निखारने का अवसर दे दिया। उन्होंने हल्द्वानी स्थित अपने स्टूडियो में गाना बनाना शुरू किया और सोशल मीडिया के जरिए अपनी इस कला को पहचान दिलानी शुरू की। परिवार का भी इस काम में पूरा सहयोग मिला। साेशल मीडिया से बनी पहचान का ही परिणाम था कि हसल के आयोजकों ने खुद ही लक्ष्य काे फोन कॉल किया और फिर वह मुंबई पहुंच गए। इसके बाद जो हो रहा है, उसे पूरी दुनिया टीवी पर देख रही है।
- माता-पिता भी बेटे की उपलब्धि से खुश
लक्ष्य के पिता पुष्कर सिंह परिहार और माता कल्पना परिहार बेटे की इस उपलब्धि से काफी खुश हैं। लक्ष्य चाहते हैं कि हल्द्वानी के लोग अपने शहर पर गर्व महसूस करें। यही सोचें कि हम भी कर सकते हैं। रैप कला को कई बार अभद्र भाषा के कारण खरी खोटी सुनने को भी मिलती हैं। इस पर लक्ष्य ने कहा कि रैप आम बोलचाल के माध्यम से बड़ी बात बोलने की कला है।