Monday, December 23, 2024
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ढाई करोड़ की अंतराष्ट्रीय कीमत के दुर्लभ प्रजाति सांप की तस्करी में चार को पकड़ा

अब्दुल सलीम खान, लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) : मैलानी थाना इलाके में पुलिस ने चार लोगों को शक के आधार पर पकड़ा, तो उनके पास तलाशी में एक दोमुंहा सांप मिला, पहले पुलिस को सामान्य प्रजाति का दोमुंहा सांप प्रतीत हुआ। लेकिन बाद में वन विभाग के पहुंचे अफसरों ने उसकी पहचान रेडसैंड बोआ प्रजाति के सांप के रूप में की। पकड़े गए आरोपियों को न्यायालय में भेजा गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
यहां दुधवा नेशनल पार्क होने से लखीमपुर खीरी जिले में सैकड़ों संरक्षित प्रजाति के पशु, पक्षी, जीव- जन्तु पाए जाते हैं। हालांकि जिस जगह से आरोपियों ने सांप पकड़े जाने का दावा किया है, वह पार्क क्षेत्र से बाहर का है। जिले के मैलानी थाने की पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर गोला कोतवाली के कासिम अली, संजय कुमार और मैलानी थाना क्षेत्र के सर्वेश कुमार के अलावा भीरा थाना इलाके के महेंद्र वर्मा समेत चार लोगों को जब पकड़ा, तो उनके पास ये दोमुंहा सांप मिला। वन महकमे ने पहचान कर सांप को रेडसैंड बोआ प्रजाति का बताया। पकड़े गए तस्करों ने बताया कि वह इसे अंतराष्ट्रीय तस्करों को बेचने के लिए ले जा रहे थे। पकड़ने वाली टीम में मैलानी थाने के उपनिरीक्षक सतीश चंद्र, वनदरोगा राजेंद्र प्रसाद वर्मा, हेड का.राकेश कुमार यादव, का. विशाल गौतम, वनरक्षक सागर कुशवाहा, और कर्मचारी रामसिंह थे।

  • ….आखिर क्यों इतना मंहगा बिकता है ये मामूली सा सांप

मध्य एशिया के देशों में ये माना जाता है कि इसका मांस खाने से कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं। कुछ लोग इस सांप का इस्तेमाल शारीरिक और यौन शक्ति बढ़ाने में भी करते हैं, हालांकि ये सब दावे हवा-हवाई हैं, इसका कोई वैज्ञानिक कारण अभी तक सामने नहीं आया है।भारत के कई इलाकों खासकर के मरुस्थलीय इलाके यानी राजस्थान में लाल रंग का एक खास सांप पाया जाता है। खीरी जिले में दुधवा नेशनल पार्क, बहराइच के कतर्निया घाट नेशनल पार्क इलाके में भी यह सांप पाया जाता है। जिसका नाम रेड सेंड बोआ है। स्थानीय भाषा में इस दोमुंहा सांप भी कहते हैं। लोग दवा से लेकर तांत्रिक विद्या में इस सांप का इस्तेमाल होता है, जिस वजह से इसकी तस्करी बढ़ गई है। तस्कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसे 1 करोड़ से 25 करोड़ के बीच बेचने का दावा करते है। सरकार ने 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इसे संरक्षित घोषित किया है। इसकी तस्करी करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।

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