Friday, April 25, 2025
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Homeराज्यउत्तर प्रदेश'फिसड्डी' मी़रगंज में डीसी लिख रहे तरक्की की 'सुनहरी इबारत', लेकिन...???

‘फिसड्डी’ मी़रगंज में डीसी लिख रहे तरक्की की ‘सुनहरी इबारत’, लेकिन…???

सीनियर रिपोर्टर गणेश ‘पथिक’ की सच की परतें उधेड़ती एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

एफएनएन ब्यूरो, मीरगंज, बरेली। मुल्क की आजादी के बाद से तरक्की के मामले में तकरीबन हाशिए पर पड़े परिसूनन से पहले के 39 कांवर या परिसीमन के बाद के 119, मीरगंज विधानसभा क्षेत्र में बहुत लंबे अरसे बाद पब्लिक को कुदरत के करम से डॉ. डीसी वर्मा की शक्ल में कोई ऐसा नुमाइंदा नसीब हुआ है जो शासन स्तर पर रात-दिन धुआंधार पैरवी करके बहुत तेजी से बहुआयामी विकास का मजबूत आधारभूत ढांचा बनाने और इलाके में चहुंमुखी तरक्की की ऊंची मीनार खड़ी करने के लिए नित नई और ‘और चमकीली-सुनहरी इबारतें’ गढ़ रहा है।

डॉ. डी.सी. वर्मा, भाजपा विधायक, 119, मीरगंज, विधानसभा क्षेत्र:,आखिरकार गढ़ ही डाली ‘विकास पुरुष’ की छबि…लेकिन कई बड़े सवाल भी का़यम।

मीरगंज में रामगंगा नदी के गोरा लोकनाथपुर घाट पर  13 साल के लंंबे और थकाऊ-उबाऊ इंतज़ार के बाद दो साल पहले वर्ष 2022 में आखिरकार तत्कालीन सांसद/पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने क्षेत्रीय विधायक डॉ. डीसी वर्मा और अन्य अनेक हस्तियों की मौजूदगी में बहु प्रतीक्षित नवनिर्मित ओवरब्रिज का लोकार्पण कर इलाके की चहुंमुखी तरक्की और अपार संभावनाओं के द्वार खोल दिए थे।

मीरगंज को दो साल में मिला दूसरे बड़े पुल का नायाब तोहफा

विधायक डॉ़. डीसी वर्मा ने 119, मीरगंज विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2022 में लगातार दूसरी बार जिले भर में सर्वाधिक और रिकार्डतोड़ वोटों से  जीत दर्ज की थी। पिछले सात साल में वह ढेर सारे विकास कार्यों की बदौलत बेशक ‘विकास पुरुष’ की छबि गढ़ चुके हैं।

बाबा कैलाश गिरि मढ़ी घाट पुल और सड़क चालू, लोकार्पण का इंतज़ार

रामगंगा के गोरा घाट पर विशालकाय पुल बनवाने के दो साल के भीतर ही विधायक डॉ. वर्मा के भगीरथ प्रयासों और शासन-प्रशासन स्तर पर उनकी निरंतर तगड़ी पैरवी और मंत्रियों-उच्चाधिकारियों से मधुर व्यक्तिगत ताल्लुकात की बदौलत क्षेत्रवासियों को मीरगंज-सिरौली के बीच रामगंगा नदी के बाबा कैलाश गिरि मढ़ी घाट पर पक्के पुल और सड़क का दूसरा बड़ा और नायाब तोहफा मिल चुका है। हालांकि, अभी इस नवनिर्मित पुल और सड़क के लोकार्पण के लिए शायद कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा।

फतेहगंज पश्चिमी में सिंचाई विभाग की खाली जमीन पर नवनिर्मित रोडवेज बस स्टेशन

रोडवेज बस अड्डा बनवाकर विधायक मे पूरी की पब्लिक की पुरानी डिमांड लेकिन आशंकाएं बरकरार

मीरगंज विधायक डॉ़. डीसी वर्मा के प्रस्ताव और लगातार धुआंधार पैरवी का मीठा फल फतेहगंज पश्चिमी में करोड़ों रुपये की लागत से नवनिर्मित रोडवेज बस स्टेशन की शक्ल में इलाकाइयों को बहुत जल्द मिलने वाला है। शाही रोड पर भिटौरा रेलवे स्टेशन के पास सिंचाई विभाग की खाली पड़ी जमीन रोडवेज को ट्रांसफर करवाकर इसे बनवाया गया है। जिला मुख्यालय से 18  किमी दूर फोरलेन हाईवे से चंद कदम फासले पर स्थित कस्बा फतेहगंज पश्चिमी में स्थायी रोडवेज बस स्टेशन की मांग बेशक दशकों पुरानी है और अब रोडवेज बस अड्डा चालू होते ही बहुत जल्द पूरी भी होने वाली है। हालांकि हाईवे छोड़कर कस्बे में शाही रोड स्थित सिंचाई विभाग की जमीन पर  इसके निर्माण को लेकर आम जन की कुछ वाजिब आशंकाएं और सवाल भी हैं।

बोले विधायक प्रतिनिधि संजय चौहान-लोकार्पण होते ही नए अड्डे से फर्राटे भरेंगी सभी संबंधित डिपो की बसें

इस बाबत विधायक डॉ. डी.सी. वर्मा के प्रतिनिधि संजय सिंह चौहान साफ करते हैं कि सिंचाई विभाग की जमीन मुफ्त मिली है जबकि हाईवे पर मीरगंज से भी आगे तक रोडवेज बस अड्डे के लिए जरूरी भूमि काफी टक्करें खाने के बावजूद कहीं मयस्सर ही नहीं हो पाई। हम लोगों की पूरी कोशिश रहेगी कि बरेली, सेटेलाइट, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, गोला, हरिद्वार, देहरादून, सीतापुर, लखनऊ, अयोध्या और आनंद विहार, कौशाम्बी, मेरठ, हापुड़, रामपुर, मुरादाबाद डिपो की सभी बसें लोकार्पण के दिन से ही इस बस अड्डे पर आकर जरूर रुकें और सवारियों को सुरक्षित चढ़ाएं और उतारें। राजस्व बढ़ाने के ‘रेडीमेड बहाने’ की आड़ में दिल्ली और लंबी दूरी के अन्य ठिकानों की ही सवारियां बैठाने और छोटी दूरी के यात्रियों को स्टापेज होने के बावजूद मीह-पूस की बर्फीली रातों में काफी रिरियाने के बाद भी बस अड्डे पर  सिर्फ लंबी दूरी के यात्रियों को ही बैठाने और बाकी को रोडवेज बस अड्डे वर लावाकिस हाल में ही छोड़ देने और बस को हाईवे से सीधा दौड़ा ले जाने की रोडवेज के आला अफसरों और ड्राइवरों-कंडक्टरों की दुष्प्रवृत्ति और बेहद खराब मानसिकता पर सख्ती से रोक भी बेहद ही जरूरी है।

पुल निर्माण मुद्दे पर प्रधान हरीश राजपूत-गुड्डू वर्मा ने बखूबी संभाली थी लंबे संघर्ष और आंदोलन की कमान

रामगंगा के बाबा कैलाश गिरि मढ़ी घाट पर 27 विशालकाय आरसीसी पिलर्स पर टिके 790 मीटर लंबे इस बड़े पुल और कपूरपुर-समसपुर के रास्ते मीरगंज को सिरौली कस्बे से जोड़ने वाले पक्के संपर्क मार्ग का निर्माण करवाने के वास्ते विधायक डॉ. डीसी वर्मा के बेहद करीबी और भरोसेमंद भाजपा के मीरगंज मंडल महामंत्री-कपूरपुर प्रधान हरीश राजपूत और उनके परम मित्र समसपुर प्रधान तथा भाजपा केवल बहादुरपुर सेक्टर संयोजक आनंद मोहन वर्मा ने बड़ी तादाद में इलाकाई लोगों को जोड़ते हुए वर्षों तक सड़क पर उतरकर बहुत संघर्ष किया था और बड़ा जनांदोलन भी चलाया था। लोगों का वही एकजुट संघर्ष अब कैलाश गिरि मढ़ी घाट पुल  शानदार तोहफे की शक्ल में अब हम सबके सामने है। लेकिऩ, मीरगंज तहसील मुख्यालय सेआंवला तहसील के सिरौली कस्बे को जोड़ने वाली 18 किमी लंबी लेकिन गांवों के संपर्क मार्गों की तरह संकरी सिर्फ चार मीटर चौड़ी सड़क वाहन चालकों के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनी हुई है। सिर्फ इतना ही नहीं, वैसे तो यह नई सड़क मीरगंज से कपूरपुर और आगे सिरौली तक कई जगहों पर कुछ ही महीनों के भीतर ही टूट चुकी है लेकिन  कपुरपुर-समसपुर के बीच तो इस नवनिर्म़ित सड़क का डेढ़ किमी हिस्सा लोकार्पण से पहले ही बड़े-गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है। प्रधान हरीश राजपूत और आनंद मोहन वर्मा गुड्डू ने लोकार्पण से पहले ही सड़क टूटने पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना यह भी है कि रामगंगा के गोरा और बाबा कैलाशगिरि मढ़ी घाट पुलों को जोड़ने वाली ये दोनों अति महत्वपूर्ण सड़कें गांव के संपर्क मार्गों की तरह इस कदर संकरी हैं कि तेज रफ्तार ट्रक से जान बचाने के लिए दुपहिया-तिपहिया वाहनों को एकदम कच्चे में उतरना पड़ता है। सच तो यही इलाके की लाइफ लाइन बताई जा रही ये दोनों सड़कें असल मेंआम वाहन चालकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण भयावह हादसों को अनचाहा न्योता और बहुत बड़ी आफत साबित हो रही हैं।

जनप्रतिनिधियों की भयंकर अनदेखी के चलते दस साल में एक बार भी नहीं हो पाई केरा-सोरहा रोड की मरम्मत, गड्ढों में बदल गई पूरी सड़क

इधर, फतेहगंज पश्चिमी विकास क्षेत्र में केरा-सोरहा रोड पिछले दस साल जनप्रतिनिधियों की भयंकर अनदेखी के चलते गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है। दो साल पहले ही बना धौंरा-शाही रोड भी जगह-जगह टूट चुका है।

निर्माण के दो साल के भीतर ही जर्जर हो गया धौंरा-शाही रोड

एक दौर वो भी था…चार महीने टापू रहता था पूरा इलाका

हरीश राजपूत और गुड्डू वर्मा पूछने पर बोले-हमारी ग्राम पंचायतों और आसपास देहात के बाशिंदों ने बहुत बुरा दौर देखा और झेला है। बरसाती मौसम के चार महीनों में रामगंगा नदी पर नावों का संचालन बंद हो जाता था। रामगंगा के उस पाऱ सिर्फ तीन-चार किमी दूर स्थित सिरौली कस्बे तक मीरगंज इलाके के लोगों का आवागमन पूरी तरह बंद ही रहता था। बाद में लोहे के भारी-भरकम सिलेंडरों को जोड़कर पैंटुन पुल बनने लगा तो अनहोनी रोकने के लिए उसे भी मानसून सीजन की शुरुआत में ही तोड़ दिया जाता था। बहुत जरूरी हुआ तो लोग रामगंगा नदी के बाबा कैलाश गिरि मढ़ी घाट से सिर्फ तीन-चार किमी के फासले पर आबाद सिरौली कस्बे तक पहुंचने के लिए तातारपुर-कपूरपुर से आठ किमी दूर मीरगंज कस्बे और वहां से 35’किमी दूर बरेली और वहां से 80 किमी दुूर सिरौली तक रोडवेज या प्राइवेट बसों से उबाऊ, थकान भरा सफर तय करना ही पड़ता था। अब बाबा कैलाशगिरि घाट पर पक्का पुल बन जाने के साथ ही ये तमाम भारी मुसीबतें ‘बीती बात’ बन चुकी हैं लेकिन दीगर बड़ी दिक्कतें आम लोगों के जेहन और जिस्म में खून चूसू जोंकों की मानिंद अभी भी चिपकी ही हुई हैं।

तिलमास से बहरोली, गोरा, भूड़ा बसंतपुर और गुलड़िया गौरीशंकर तक गड्ढों में गुम ऩई सड़क

विधायक के बेहद करीबी दोनों तेजतर्रार युवा प्रधान हरीश राजपूत और गुड्डू वर्मा तथा गोरा के सरकारी राशन विक्रेता, भाजपा नेता और समाजसेवी प्रमोद शर्मा बताते हैं कि हुरहुरी से आगे तिल मास, बह रो ली, गोरा लोकनाथपुर और रामगंगा पुल के  उस पार प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गुलड़िया गौरीशंकर तक सिर्फ चार मीटर चौड़ी डामरीकृत नई सड़क में भारी वाहनों की रात-दिन की धमाचौकड़ी और राजनीतिक-प्रशासनिक जागरूकता की भारी कमी के बीच संबंधित कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी के अफसर और ठेकेदार सड़क की नियमित देखरेख और रखरखाव करने तथा पैचवर्क कार्य करवाने की अपनी वैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी-जवाबदेही निभाने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं और जनजागरूकता के अभाव में नेतानगरी भी इन अफसरों-ठेकेदारों से सवाल पूछने के अपने दायित्व से कन्नी ही काटती रही है। नतीजा यह कि 18 किमी लंबे लेकिन गांव के रास्तों जैसे सिर्फ चार मीटर चौड़ाई वाले मीरगंज-सिरौली मार्ग का काफी हिस्सा नई सड़क और पुल के लोकार्पण से पहले ही उधड़कर गहरे गड्ढों में तब्दील हो गया है तो कुछ किमी दूर रामगंगा के ही गोरा घाट पुल को जोड़ने वाली 18-20 किमी लंबी और चार मीटर चौड़ी सड़क भी जगह-जगह पूरी तरह टूटकर गहरे गड्ढों की शक्ल में तब्दील हो चुकी है। इस कड़वी सच्चाई के बावजूद कि इस नई सड़क के लोकार्पण को भी अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं।

लाख टके का सवाल: तय मियाद में टूटे सड़क तो काहे नहीं चलवाते ‘एक्शन का डंडा’?

डीसी की ‘विकास पुरुष’ वाली स्थापित छबि के बीच अपनी ग्राम पंचायतों और आसपास की सोसायटी से गहराई से जुड़े हरीश राजपूत, गुड्डू वर्मा और प्रमोद शर्मा का यह खरा सवाल तो जायज ही लगता है कि अगर भारी ट्रैफिक की आवाजाही के चलते कोई सड़क निर्धारित अवधि से पहले टूटती है तो पीडब्ल्यूडी या अन्य संबंधित कार्यदायी एजेंसी के इंजीनियरों-ठेकेदारों के वेतन, या बकाया भुगतान पर रोक या सबक सिखाने वाली सख्त दंडात्मक अनुशासनात्मक कार्रवाइयां करवाने को लेकर इन जवाबदेह-जिम्मेदार नेताओं या विभागीय आला अफसरों के दिल आखिर पिघलने क्यों लगते हैं? जबकि असलियत यही है कि जिले भर में एक भी ऐसा लापरवाह अफसर या ठेकेदार सख्त दंडात्मक कार्रवाई के लपेटे में एक बार भी आ जाय तो बाकी सबको भी कड़ा सबक जरूर मिलेगा।

बन ही नहीं सकती जिला-तहसील मुख्यालय को जोड़ने वाली सात मीटर से कम चौड़ी कोई भी सड़क?

जागरूक क्षेत्रवासियों का कहना यह भी है और कुछ वर्ष पहले मीरगंज में ट्रेनी एसडीएम रह चुकींं तेजतर्रार आईएएस मेधा रूपम भी अक्सर जोर देकर कहती थीं कि जिला या तहसील मुख्यालय को जोड़ने वाली कोॆई भी सड़क निर्धालित सात मीटर से कम चौड़ाई  की बनवाई ही नहीं जी सकती है। वे अपनी बात के समर्थन में उप्र शासन और इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई और आईने की तरह बिल्कुल साफ रूलिंग का हवाला भी पूरी नैतिक और संवैधानिक ताकत के साथ देती थीं। सिर्फ इतना ही नहीं, बहुत छोटे से मीरगंज एसडीएम के अपने कार्यकाल में आईएएस मेधा रूूपम ने पीडब्ल्यूडी अवसरों और ठेकेदार को संबंधित स्पष्ट शासनादेश और हाईकोर्ट की भी कूलिंग दिखाकर और न्सायेचित दबाव बनाकर मीरगंज कस्बे में नगरिया सादात रेलवे स्टेशन के सामने ओवरब्रिज तले से ब्लॉक कार्यालय,सिरौली चौराहा, डाकखाना -हुरहुरी तक के पांच किमी लंबे निर्माणाधीन रोड को निर्धारित सात मीटर चौड़ाई में ही बनवाया भी था।

उप्र शासन और इलाहाबाद हाईकोर्ट की साफ-सख्त रूलिंग को भुला बैठे सारे के सारे ‘भाग्य विधाता’?

हालांकि, यह बात दीगर है कि वक्त का चक्का घूमने के साथ ही  सारे के सारे ही भाग्य विधाता उप्र शासन और इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस साफ-सख्त रूलिंग को भूल बैठे और पौन-पौन किमी लंबे दो पुलों के निर्माण पर सैकड़ों करोड़ रुपया फूंकने के बावजूद इन दोनों पुलों को तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाली बेहद व्यस्त ये दोनों सड़कें चार मीटर के बजाय सात मीटर चौड़ी नहीं बनवाई जा सकीं और अब इस चूक के बेहद गंभीर दुष्परिणाम मीरगंज-आंवला तहसीलों और पड़ोसी बदायूं, रामपुर जिलों तथा बिल्कुल सटे राज्य उत्तराखंड के 500 से भी ज्यादा शहर-कस्बों-गांवों के लाखों बाशिंदे, हजारों किसान-व्यापारी, नौकरपेशा वर्ग, स्टूडेंट्स और हल्के-भारी तमाम वाहनों के मालिक, चालक और सवारियां स्थायी रूप से बरसों-बरस भुगतते रहने को अभिशप्त हैं।

इन सड़कों का हुआ ‘कायाकल्प’, खूब फर्राटे भर रहे छोटे-बड़े वाहन

सहोड़ा को हल्दी कलां-सिंधौली होते हुए तहसील मुख्यालय मीरगंज से जोड़ने वाला 18 किमी लंबा प्रमुख संपर्क मार्ग क्षेत्रीय विधायक डॉ. वर्मा की विकासपरक सोच के चलते उच्चीकरण, चौड़ीकरण के बाद नई चकाचक सड़क में बदल चुका है। इसी तरह दुनका-बिहारीपुर-नगरिया सोबरनी पांच किमी लंबे प्रमुख संपर्क मार्ग का भी डामरीकरण और नवनिर्मित पुल के दोनों छोर पर मिट्टी भरान के बाद कायाकल्प हो चुका है।

लेकिन ‘माननीय’! इन खस्ताहाल सड़कों पर भी है आपकी नज़रे इनायत की दरकार!

गन्ना भरे ट्रकों, ट्रैक्टर ट्रालियों और अन्य ओवरलोडेड भारी वाहनों की दिन-रात की धमाचौकड़ी के चलते मीरगंज-हुरहुरी-दिवना रोड पूरी तरह टूट गया है। पूरी सड़क पर गहपेे-गहरे गड्ढे हैं‍। इस वजह से छोटे वाहन चालकों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कमोबेश यही हालत हुरहुरी-गोरा लोकना‍थपुर-गुलड़िया गौरीशंकर रोड की भी है। लोग लंबे समय से इस सड़क के पुनर्निर्माण की बाट जोह रहे हैं। उधर, शेरगढ़ विकास क्षेत्र में ढकिया डाम से नगरिया कलां-शेरगढ़ मुख्य मार्ग भी गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है।

टोल टैक्स बचाने को खिरका में आबादी की सड़क का कचूमर निकाल रहे भारी-हल्के वाहन

ठिरिया खेतल के पास चंद्रा पेट्रोल पंप पर हाईवे को खिरका-जगतपुर -सतुइया खास और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जोड़ने वाला एकमात्र प्रमुख संपर्क मार्ग भारी वाहनों की चौबीसों घंटे धमाचौकड़ी के चलते टूटकर गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है। खिरका पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले सतुइया खास गांव के दर्जनों बच्चे इसी खस्ताहाल रेड से ठोंकरें खाते हुए आने-जाने को मजबूर हैं।

दुपहिया वाहनों पर बैठकर स्कूल आते-जाते मासूम अक्सर सड़क के गड्ढों में तेज धक्का लगने से जमीन पर गिरकर चोटिल हो रहे हैं। एंबुलेंस और प्राइवेट दोपहिया-तिपहिया वाहनों में सवार सीएचसी आते-जाते गंभीर मरीज और उनके सी मार चार भी टूटी सड़क के गड्ढों मे गिरकर घायल हो जाते हैं। हाईवे का टोल टैक्स बचाने के चक्कर में सैकड़ों भारी-हल्के वाहन पिछले कई साल से चौबीसों घंटे इसी सड़क पर खिरका गांव में आबादी के बीचोंबीच से होकर फर्राटे भर रहे हैं और सड़क का कचूमर निकालने के साथ ही हादसे का सबब भी बन रहे हैं।

गन्ना भरी और अवैध रेता-मिट्टी खनन में लगीं दर्जनों ओवरलोडेड ट्रैक्टर ट्रालियां भी इस सड़क की ऐसी-तैसी करने में कोई केर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। तेजतर्रार ग्राम प्रधान जितेंद्र गंगवार, वरिष्ठ पत्रकार गणेश ‘पथिक’, राजेश्वर गंगवार, परमानंद गंगवार, नत्थूलाल, डॉ़. राकेश गंगवार और अन्य अनेक ग्रामीणों ने व्यापक जनहित में भारी ट्रैफिक वाली इस सड़क का हॉट मिक्स पद्धति से उच्चीकरण, चौड़ी करण और पुनर्निर्माण करवाने की क्षेत्रीय सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार, विधायक डॉ. डीसी वर्मा और मंडलायुक्त  सौम्या अग्रवाल, जिलाधिकारी रवींद्र कुमार से अति विनम्र और पुरजोर आग्रह किया है।

अधबना गोरा पुल बनवाने को महीने भर चला था धरना-प्रदर्शन

दो साल बाद अब लगभग पौन किमी लंबे इस पुल और आंवला-रामनगर, अलीगंज, भूड़ा बसंतपुर और बदायूं क्षेत्र से सीधे जुड़ चुके पैगानगरी-हुरहुरी-गोरानाथपुर-रामनगर संपर्क मार्ग पर कृषि उपजों और व्यापारिक जिंसों से भरे वाहन उत्तराखंड, रामपुर, मुरादाबाद, दिल्ली की मंडियों तक इलाकाई किसानों-व्यापारियों की पहुंच आसान बनाते हुए खूब फर्राटे भर रहे हैं। हालांकि, पूर्ववर्ती सरकारों और तत्कालीन जनप्रतिनिधियों के हीलाहवाली और टालमटोल भरे रवैए के चलते यह पुल दस-बारह साल से अधर में लटका हुआ था। अधूरे पुल का निर्माण करवाने के लिए क्षेत्रीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले गोरा के पूर्व प्रधान बाबूराम तुरैहा, बहरोली प्रधान अशोक मोहन गंगवार, वरिष्ठ भाजपा नेता तरुण गंगवार, प्रमोद शर्मा, पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार, भीमसेन तुरैहा समेत आसपास के दर्जन भर गांवों के किसानों को महीने भर से ज्यादा धरना-प्रदर्शन तक करना पड़ा था।

अधूरे पुल तले ठंड की सर्द रातों में ठिठुरते हुए देते थे धरना

क्षेत्रीय किसानों का यह महीने भर लंबा आंदोलन गोरा गांव के पास अधूरे पुल के नीचे ही चला था। ठंड की सर्द रातों में भी दर्जन भर से ज्यादा नौजवान और उम्रदराज लेकिन जिद्दी प्रदर्शनकारी अधूरे पुल तले रीमगमगा की ठंडी रेती में पतली सी दरी पर बैठकर धरना देते थे।

दिग्गज इलाकाई नेताओं ने भी झोंक दी थी आंदोलन में पूरी ताकत

पूर्व कांग्रेस सांसद प्रवीण सिंह ऐरन, तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक डॉ. डीसी वर्मा, पूर्व विधायक सुल्तान बेग, सपा नेता सुरेश गंगवार, मीरगंज नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष योगेंद्र गुप्ता उर्फ मुन्ना बाबू आदि ने भी इस किसान आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए इस आंदोलन को अपना समर्थन और सहयोग भी दिया था। यहां तक कि आंदोलन की धार से प्रभावित होकर तत्कालीन मंडलायुक्त और जिलाधिकारी भी धरना प्रदर्शन में पहुंचे थे। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री-सांसद संतोष गंगवार की मध्यस्थता में इन दोनों आला अफसरों ने पुल निर्माण के लिए जरूरी कार्रवाई तत्परता से कराने का आश्वासन देकर बमुश्किल इस बड़े आंदोलन को स्थगित कराया था।

फौरन टूलेन कराई जायं खेती-किसानी, कारोबार की ‘जीवम रेखा’ ये दोनों प्रमुख सड़कें 

बहरहाल, सच यह भी है कि रामगंगा नदी के गोरा घाट पर बने इस नए पुल को रामनगर-आंवला-बदायूं और मीरगंज-रामपुर-उत्तराखंड, दिल्ली की मंडियों से जोड़ने वाली महत्त्वपूर्ण सड़क बहुत खस्ताहाल है। हुरहुरी से तिलमास, बहरोली, गोरा तक संकरी सड़क में गड्ढे ही गड्ढे हैं। हरीश राजपूत, गुड्डू वर्मा, संजू वाल्मीकि, रामकिशोर गंगवार, भीमसेन तुरैहा, तरुण गंगवार, प्रमोद शर्मा, बाबूराम तुरैहा, समाजवादी पार्टी के मीरगंज विधानसभा अध्यक्ष सुरेश गंगवार, मीरगंज नगर पंचायत मध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता योगेंद्र गुप्ता उर्फ मुन्ना बाबू, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम. इल्यास अंसारी, शीशगढ़ नगर पंचायत अध्यक्ष के पति एवं वरिष्ठ सपा नेता जाहिद हुसैन उर्फ हाजी गुड्डू, पूर्व कांग्रेस सांसद और वर्तमान में वरिष्ठ सपा नेता प्रवीण सिंह ऐरन, तीन बार के विधायक सुल्तान बेग, विधायक डीसी वर्मा के रतिनिधि संजय सिंह चौहान, पूर्व विधायक-किसान नेता और बरेली के ‘जलपुरुष’ क्षेत्रवासियों को कार सेवा के लिए निरंतर प्रेरित-प्रोत्साहित कर पिछले आठ साल से हर साल पश्चिम बहगुल नदी के खमरिया घाट पर कच्चा बांध बनवाकर  विलासपुर, मीरगंज, बहेड़ी तहसीलों के 165 से भी ज्यादा गांवों की खेती-किसानी को भरपूर पानी उपलब्ध करवाते आ रहे 87 वर्षीय जननेता जयदीप सिंह बरार, मीरगंज में गन्ना किसान आंदोलन के भीष्म पितामह, मीरगंज सहकारी सघ और सहकारी समितियों के कई दशक तक निर्विरोॆध अध्यक्ष रह चुके जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष चौधरी छत्रपाल सिंह, राजनेता-समाजसेवी सरबत उल्ला खां, नगरिया सादात के पूर्व प्रधान खेमेन्द्र मौर्य, मीरगंज के भाजपा मंडल अध्यक्ष रिटायर्ड आर्मी जवान और अपने गांव में तेज विकास की अलग छाप छोड़ने वाले ठिरिया खुर्द के पूर्व प्रधान तेजपाल सिंह गंगवार, भाजपा जिला महामंत्री सोमपाल शर्मा, भगवान सिंह गंगवार, पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष मीरगंज संतोष शर्मा, ठाकुर सुबोध सिंह चौहान, वरिष्ठ बसपा नेता ओमकार कातिब, अभा ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-मीरगंज बार अध्यक्ष अशोक उपाध्याय, पश्चिम उप्र के प्रमुख महासचिव नितिन शर्मा, मीरगंज बार के पूर्व सचिव हाजी हबीबुल खां, समाजसेवी जमशेद अनवर, समाजसेवी अब्दुल कादिर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं सीनियर लॉयर ऐबरन कुमार गंगवार, जिला पंचायत सदस्य निरंजन यदुवंशी,मंजू केरी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख/जिला पंचायत सदस्य भद्रसेन गंगवार,लतेजतर्रार जिला पंचायत सदस्य ममता गंगवार, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सत्येंद्र सिंह, शेरगढ़ ब्लॉक प्रमुख भूपेंद्र कुर्मी और राजनीतिक-सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय अन्य अनेक जनप्रतिनिधियों  और बहुत से ञजागरूक क्षेत्रवासियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल, जिलाधिकारी रविंद्र कुमार,  मौजूदा सांसद और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके छत्रपाल सिंह गंगवार और क्षेत्रीय विधायक डॉ. डीसी वर्मा से  दूरदराज सिरौली कस्बे और तिलमास, बहरोली, गोरा,  प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गुड़िया गौरीशंकर को मीरगंज तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाले इन दोनों संकरे प्रमुख मार्गों का व्यापक जनहित में उच्चीकरण-चौड़़ीकरण करवाकर न्यूनतम सात मीटर निर्धारित चौड़ाई में हंटमिक्स प्रोसेस से टिकाऊ टू लेन रोड बनवाने का पुरजोर आग्रह किया है।

तेजतर्रार आई.ए.एस. डी.एम. बरेली, रविंद्र कुमार

हां, उप्र शासन और इलाहाबाद हाईकोर्ट कीसाफ-सख्त रूलिंग तो यही है

“जी हां, यह 100 फीसदी सच है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की साफ-साफ रूलिंग है और उप्र सरकार का स्पष्ट शासनादेश भी है। देखिए, उलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट व्यवस्था दी है कि जिला या तहसील मुख्यालय से जुड़ने वाले किसी भी मार्ग को सात मीटर से कम चौड़ाई में बनवाया ही नहीं जा सकता है। यकीनन  इस गंभीर चूक और आपराधिक कृत्य के लिए सारे नियम-कायदों को ताख पर रखकर इन दोनों सड़कों के निर्माण का एस्टीमेट बनाने वाले पीडब्युडी या अन्य संबंधित विभाग के इंजीनियर और उन अवैध प्रस्तावों पर आंख मूंदकर जिंदा मछली निगलते हुए मंजूरी की मुहर लगाने वाले प्रमुख सचिव स्तर के आला अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं। लेकिन इन सबसे भी ज्यादा जिम्मेदार लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने वाले मौजूदा क्षेत्रीय विघायक डॉ. डीसी वर्मा ही हैं, जिन्होंने सब कुछ जानते-बूझते हुए भी सत्ता की झूठी हनक में अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही को पूरी तरह ताख पर रख दिया और लाखों मतदाताओं के भरोसे का खून करते हुए करोड़ों की सरकारी रकम फूंककर बनवाई गई इन दोनों अति महत्वपूर्ण नई सड़कों को ‘पूरी 18-18 किमी लंबाई में’ हजारों छोटे-मझोले और भारी वाहनों के चालकों और लाखों आम राहगीरों के लिए ‘स्थायी खूनी एक्सीड्ंटल जोन’ बनाकर रख दिया है। आम जन के जीवन से जुड़े इस बेहद महत्त्वपूर्ण मुद्दे को अपने मित्र सपा विधायकों में से किसी के दिए विधानसभा में भी जरूर उठवाऊंगा।”-सुल्तान बेग़वरिष्ठ सपा नेता और मीरगंज से लगातार तीन बार के विधायक

सुल्तान बेग़

एसडीएम मीरगंज से मिलिए, मिल जाएगा पूरा ब्यौरा

“यह तो आपको पीडब्ल्यूडी के अफसर ही बता पाएंगे कि शासकीय और वैधानिक मानक किसी सड़क की न्यूनतम चौड़ाई कितनी रखने का है? आप एसडीएम मीरगंज से मिलकर उन्हें एक अर्जी दीजिए। वह संबंधित पीडब्यूडी अफसरों से ब्यौरा लेकर आपको अतिशीघ्र लिखित रूप में अवश्य ही उपलब्ध करवा देंगे। मैं स्वयं भी इस समस्या को दिखवाऊंगा।’-रविंद्र कुमार, डीएम बरेली (वरिष्ठ आईएएस)

रविंद्र कुमार, डीएम बरेली (वरिष्ठ आईएएस)

बोले डीसी-बहुत जल्द होगा दोनों प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण, नवीनीकरण

“यह बात सच है कि संकरी सड़कों पर तेज रफ्तार भारी वाहनों से टकराकर हल्के-मझोले वाहनों, बाइक सवारों के भयंकर दुर्घटनाओं का शिकार होने की आशंका बनी ही रहती है। दरअसल, सच्चाई यह है कि कई साल पहले जब इन दोनों सड़कों के प्रस्ताव बनाकर भेजे गए थे, उस वक्त रामगंगा के गोरा या बाबा कैलाश गिरि मढ़ी घाटों पर  पुलों के निर्माण की सरकार की कोई योजना ही नहीं थी‌। इसीलिए पीडब्यडी अफसरों ने पुराने मानकों के अनुसार चार किमी चौड़ाई में ही दोनों सड़कों का निर्माण कराया है। संज्ञान में आते ही   हमने इस समस्या को काफी गंभीरता से लिया है। दोनों प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण, उच्चीकरण और नवीनीकरण कराने के लिए नए सिरे से प्रस्ताव बनवाकर शासन और पीडब्ल्यूडी को कई माह पहले ही भेजे जा चुके हैं। मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव (लोक निर्माण) और अन्य अनेक उच्चाधिकारियों से मिलकर दो तहसीलों, आसपास के सभी जिलोंऔर उत्तराखंड, दिल्ली जैसे पड़ोसी राज्यों से भी इस इलाके की आसान कनेक्टिविटी देने वाली कृषि-व्यापार के तीव्र विकीस की ‘लाइफलाइन’ बन चुकी प्रमुख सड़कों के पूर्ण गुणवत्ता के साथ हॉटमिक्स पद्घति से उच्चीकरण, चौड़ीकरण एवं पुनर्निर्माण का नया प्रस्ताव कई माह पहले ही लोक निर्माण के अफसरों से बनवाकर संबंधित स्थानीय उच्चाधिकारी की प्रबल संस्तुति के शासन और विभाग भिजवाए जा चुके हैं। सीएम, पीडब्यूडी मंत्री और प्रनुख सचिव से व्यक्तिगत रूप से नियमित अंतराल में मिलकर लगातार तगड़ी पैरवी करता रहा हूं। चार दिन पहले भी शीर्ष अफसरों से भेंट हुई है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते हीुं बजट की धनराशि भी वित्त विभाग से अवमुक् करवाकर अतिशीघ्र त पहली प्राथमिकता से निर्माण कराया जाएगा।”-डॉ. डी.सी. वर्मा, भाजपा विधायक, 119, मीरगंज विधानसभा क्षेत, बरेली

डॉ. डी.सी. वर्मा, भाजपा विधायक, 119, मीरगंज, विधानसभा क्षेत्र:,आखिरकार गढ़ ही डाली ‘विकास पुरुष’ की छबि…लेकिन कई बड़े सवाल भी का़यम।

उम्मीद कीजिए-जल्द ‘टू लेन’ होंगी इलाके भर की ‘लाइफ लाइन’ दोनों सड़कें

कुल मिलाकर, इस ‘पूरी निर्मम चीर-फाड़’ का लब्बो-लुआव यही है कि भाजपा की डबल इंजन की सरकारों में तमाम अपवादों, आरोपों और सीमाओं के बावजूद मौजूदा विधानसभा के पिछले दो साल और गत विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल में ‘लॉ एंड ऑर्डर’ को पटरी पर ही रखने, गिरोहबंद, कुख्यात और फुलप्रूफ प्लानिंग के साथ क्राइम को अंजाम देने वाले शातिरों और गौ वंश की तस्करी और नांस के लिए उनकी अवैध हत्या जैसे बड़े अपराधों और अपरीधियों पर बरेली जनपद, मंडल समेत लगभग पूरे उत्तर प्रदेश मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, उनकी कैबिनेट और आईपीएस अनुराग आर्य जैसे निडर-‘स्मार्ट पुलिसिंग’ के प्रतीक पुरुष तेजतर्रार अफसरों और ‘रिजल्ट ओरियंटेड’  आईएएस-पीसीएस प्रशासनिक अफसरों की बेबाक कार्यशैली की बदौलत काफी हद तक नकेल कसी जा चुकी है। ‘बुलडोजर एक्शन’ की वजह से अपराधियों में पुलिस और कानून का धारदार खौफ काफी हद तक दिखने भी लगा है। हालांकि, ‘बुलडोजर एक्शम’ पर सुप्रीम कोर्ट के नए फरमान ने सरकार और प्रशासन की चिंताएं काफी हद तक बढ़ा दी हैं। मीरगंज विधायक डॉ. डी.सी. वर्मा ने चंद हालिया बड़ी गलतियों से सबक लेते हुए क्षेत्रवासियों के असंतोष और गुस्से को ठंडा करते हुए उन्हें रामगंगा के गोरा घाट और सिरौली के बाबा कैलाश गिरि मढ़ीघाट पुलों के जरिए मीरगंज, आंवला तहसीलों के 250 से भी ज्यादा गांवों की खेती-किसानी, कृषि, सब्जी, बागवानी उपजों, परंपरागत उतंपादों और व्यापार को पड़ोस के बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद जिलों और दिल्ली, उत्तराखंड तक बेरोकटोक पहुंचाने के लिए इलाके भर की ‘लाइफलाइन’ मौजूदा इन दोनों सड़कों का हॉटमिक्स पद्धति से उच्चीकरण, चौड़ीकरण और नवीनीकरण पहली प्राथमिकता से करवाने का भरोसा दिलाने की कोशिश की है तो यह अच्छा ही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत जल्द विधायक के प्रस्ताव पर शासन इन दोनों सड़कों को ‘टू लेन’ जरूर करवाएगा और विकास की ट्रेन मीरगंज विधानसभा समेत पूरे जिले, मंडल और प्रदेश के तरक्की से अछूते क्षेत्रों में भी फुल स्पीड से फर्राटे भरती दौड़़ेगी।

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