एफएनएन, उत्तरकाशी : सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल निकालने का कार्य संपन्न होने के बाद नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी बौखनाग टॉप स्थित मंदिर में पहुंचे और वहां विधिवत पूजा-अर्चना की। कंपनी ने सिलक्यारा सुरंग के पास भव्य मंदिर बनाने का भी आश्वासन दिया। श्रमिकों के सिलक्यारा सुरंग में फंसने के बाद स्थानीय निवासियों ने नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारियों से बौखनाग देवता की शरण में जाने को कहा था।
कंपनी के अधिकारी बौखनाग देवता के दर्शन को न केवल भाटिया गांव पहुंचे, बल्कि सिलक्यारा में सुरंग के पास उन्होंने एक छोटा मंदिर भी स्थापित किया। इस मंदिर में सुबह-शाम समय नियमित पूजा-अर्चना चल रही है। नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश पंवार ने बताया कि बचाव अभियान के सफल होने की बौखनाग देवता से कामना की गई थी। इसलिए अभियान संपन्न होने के बाद गुरुवार को बौखनाग देवता के पौराणिक मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना की गई।
फिलहाल बंद रहेगा सुरंग निर्माण कार्य
बचाव अभियान संपन्न होने के बाद सिलक्यारा सुरंग में अब निर्माण कार्य दोबारा कब शुरू होगा, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी है। नवयुग कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल सुरंग के निर्माण का काम रोका गया है। जब शुरू होगा तो सबसे पहले शाट क्रीटिंग के साथ कैविटी भरी जाएगी। इसमें लंबा समय लग सकता है।
रेस्क्यू कर्मियों को प्रोत्साहित करेगी
कंपनी श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान में 500 से अधिक श्रमिक और विभिन्न संस्थानों के कर्मचारी दिन-रात जुटे रहे। इन्हीं रेस्क्यू कर्मियों की मेहनत के बूते ही 41 श्रमिकों की जान बची। नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के परियोजना प्रबंधक राजेश पंवार ने कहा कि अपनी जान की परवाह न करते हुए जो श्रमिक और कर्मचारी इस अभियान में जुटे रहे, उन्हें कंपनी की ओर से प्रोत्साहित किया जाएगा। इनमें रैट माइनर्स टीम के सभी सदस्य और ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विस कंपनी के सभी कर्मचारी व श्रमिक शामिल हैं।
वर्टिकल ड्रिलिंग की होगी फिलिंग
नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश पंवार ने कहा कि फिलहाल श्रमिकों को विश्राम दिया गया है। अभी कंपनी के सामने मुख्य चुनौती रेस्क्यू के लिए लाई गई मशीनों को लौटाने की है। इन्हें ट्रालों में लोड करने के लिए श्रमिकों की मदद ली जाएगा। इसके अलावा बचाव अभियान के दौरान जो दो वर्टिकल ड्रिलिंग की गई, उनकी फिलिंग का कार्य भी करवाया जाएगा।
सुरंग के अंदर जमा है फूड स्टॉक
सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के लिए अंदर फूड स्टॉक किया गया था, ताकि आपात स्थिति में उन्हें भूखा न रहना पड़े। फूड स्टॉक के लिए 50 किलो संतरा, 80 किलो सेब, ड्राई फूड, रस, बिस्कुट व सत्तू के लड्डू भेजे गए थे। श्रमिकों के अनुसार सारा फूड स्टॉक सुरंग में ही है।