एफएनएन, देहरादून : राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए चुनाव सिंबल आवंटन की प्रक्रिया को टाल दिया है. निर्वाचन आयोग को यह फैसला हाईकोर्ट के उस निर्णय के कारण लेना पड़ा, जिसमें निकाय और पंचायत क्षेत्र में दो जगह वोटर लिस्ट वाले लोगों पर चुनाव लड़ने को लेकर रोक लगाई गई है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज इसके विरोध में देहरादून स्थित आवास पर 1 घंटे का मौन व्रत रखेंगे.
सोशल मीडिया के माध्यम से सवाल उठाते हुए हरीश रावत ने कहा है कि इस चुनाव में आयोगों को क्या हो गया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली वालों ने भी अपनी स्वायत्तता सरकार के पास गिरवी रख दी है. इससे पहले संपन्न हुए नगर निकायों के चुनावों और अब पंचायत के चुनावों में आयोग आत्म समर्पण की मुद्रा में है. उन्होंने कहा कि हमारा पंचायती राज एक्ट साफ तौर पर यह कहता है कि जिन लोगों के नाम नामांकन के वक्त शहरी निकाय में है, या फिर गांव में भी हैं, ऐसे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. उनका पर्चा खारिज होना चाहिए.
हरीश रावत ने कहा कि टिहरी समेत कई जिलों में सलेक्टिव तरीके से ऐसे पंचों को वैद्य मान लिया गया है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष सोना सजवाण समेत ऐसे दर्जनों उम्मीदवार हैं, जिन्हें सत्ता के दबाव में निर्वाचन अधिकारी लाभ दे रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस के झुकाव वाले उम्मीदवारों के परिचय बिना किसी कारण के खारिज किया जा रहे हैं. इससे और भी हास्यास्पद बात है कि जिन कदमों को राज्य पंचायती आयोग ने उठाया है. हरीश रावत कहा कि जिनके जन्म 2016 के पंचायती राज एक्ट से हुआ है, यही एक्ट धज्जियां उड़ा रहा है.
इसके विरोध में उन्होंने अपने आवास पर आज 1 घंटे का मौन व्रत रखने का फैसला लिया है. उन्होंने यह भी चेताया कि आयोग उन्हें इस बात के लिए बाध्य नहीं करें. यदि आयोग इसी तरह सत्ता के सामने समर्पण की भावना रखता रहा, तो फिर उन्हें आयोग के समक्ष उपवास पर बैठने के लिए भी कोई नहीं रोक सकता है.