- लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के 6 विधायक होने के बावजूद प्रचार में रौनक नहीं
- दिल से नहीं, दिमाग से जुड़कर प्रचार कर रहे हैं कार्यकर्ता
- भाजपा प्रत्याशी कर रहे 5 लाख से अधिक वोटो से जीतने का दावा
कंचन वर्मा, रुद्रपुर : राहुल गांधी की टीम के सदस्य माने जाने वाले प्रकाश जोशी चुनाव से पहले अपनों से ‘ हार ‘ का सामना कर रहे हैं। चुनाव में सिर्फ सप्ताह भर विशेष है, लेकिन अभी तक वह रूठो को मनाने में लगे हैं। लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के छह विधायक होने के बावजूद उनके चुनाव में रौनक नहीं दिखाई दे रही। हालांकि, प्रकाश जोशी खुद दमखम से चुनाव मैदान में उतरने का दावा कर रहे हैं।
प्रकाश जोशी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं। वह राहुल गांधी की टीम के सदस्य माने जाते हैं। नैनीताल जिले की कालाढूंगी विधानसभा से उन्होंने दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के कद्दावर नेता बंशीधर भगत ने उन्हें चित कर दिया। इस लोकसभा चुनाव में बड़े-बड़े नामो को हवा में उड़ाते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें नैनीताल- ऊधमसिंह नगर सीट से मैदान में उतारा है। कालाढूंगी को छोड़ दें तो प्रकाश जोशी का यह राजनीतिक क्षेत्र नहीं रहा है। वह पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की बैसाखी पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में जबकि पहले ही पार्टी ने भाजपा के मुकाबले 21 दिन बाद प्रकाश जोशी का नाम फाइनल किया, अब प्रकाश कार्यकर्ताओं को मनाने में लगे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रचार के लिए समय ही कितना बचा है। सप्ताह भर का खेल है, वह भी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियो को मनाने में बीत रहा है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के टिकट पर अजय भट्ट के सामने चुनाव लड़े थे। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट ने उन्हें साढे तीन लाख से अधिक वोट से मात दी थी, ऐसे में जबकि हरीश रावत एक बड़ा राजनीतिक चेहरा हैं। उस वक्त पूरे लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के मात्र दो विधायक जयपुर से आदेश चौहान और हल्द्वानी से सुमित ह्रयदेश ही थे। अब 6 विधानसभाओ में कांग्रेस का बोलवाला है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इसी लोकसभा क्षेत्र की बाजपुर विधानसभा से और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी खटीमा विधानसभा से विधायक हैं, बावजूद कांग्रेस के चुनाव में दम दिखाई नहीं दे रहा।
नेताओं में ईगो के चलते प्रकाश जोशी का समय प्रचार में कम खुशामद में ज्यादा बीत रहा है। शिकायतों का दौर भी खूब चल रहा है। कोई किसी से नाराज है, तो कोई किसी से, ऐसे में भाजपा अबकी बार 5 लाख पार का दंभ भर रही है। उसके दावे के पीछे कारण भी हैं। पिछली बार की तरह न तो भाजपा प्रत्याशी के सामने बड़ा राजनीतिक चेहरा है, न ही कार्यकर्ताओं में वह जोश और न ही पार्टी के पास कोई मुद्दा है।
कई चुनाव हारने से पार्टी कार्यकर्ता पहले से ही सुस्त हैं। ऐसे में मोदी फेस और राम मंदिर के साथ ही तीन तलाक, धारा 370, फ्री राशन समेत कई मामलों में भाजपा के पक्ष में माहौल बनता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि कांग्रेसियों का कहना है कि वह दमदार तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन खबर यह भी है कि डबल इंजन की सरकार फिर बनने की संभावना के बीच कार्यकर्ता दिल से नहीं, दिमाग से काम ले रहे हैं।