Sunday, July 13, 2025
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कर्नल सोफिया कुरैशी बनीं ऑपरेशन सिंदूर की हीरो”

एफएनएन, नेशनल डेस्कः ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली दो महिला अधिकारियों में से एक कर्नल सोफिया कुरैशी ने मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक सरकारी स्कूल में पहली से तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की थी और वह एक प्रतिभाशाली छात्रा थी। उनके रिश्ते के भाई ने यह जानकारी दी। उनकी बुआ के बेटे आबिद कुरैशी ने बृहस्पतिवार को मीडिया को बताया कि कर्नल कुरैशी का दाखिला 1981 में छतरपुर के नौगांव के सरकारी स्कूल में कराया गया था और उन्होंने इस स्कूल में तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की। कर्नल कुरैशी के पिता और दादा भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

कर्नल कुरैशी, भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने बुधवार को भारतीय सशस्त्र बलों के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में हिंदी में मीडिया को जानकारी दी। सरकारी ब्रीफिंग का नेतृत्व दो महिला अधिकारियों द्वारा किए जाने के निर्णय की व्यापक रूप से सराहना की गई। आबिद ने बताया कि उनकी चचेरी बहन बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार और होनहार थी। उन्होंने कहा, “कर्नल बनने के बाद, वह झांसी के पास बबीना में तैनात होने के दौरान कई बार नौगांव गईं।”

आबिद ने कहा, “सोफिया का अभी भी नौगांव से गहरा संबंध है। इसलिए 11 जनवरी को नौगांव के स्थापना दिवस पर कर्नल सोफिया हमेशा हार्दिक शुभकामनाएं भेजती हैं।” उनके परिवार के पास राज्य के खजुराहो के पास हकीमपुरा और चित्राई गांवों में कृषि भूमि है। उन्होंने याद करते हुए कहा, “वर्तमान में हम नौगांव के रंगरेज इलाके के जिस घर में रहते हैं, उसे सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने अपनी बहन और हमारी मां बल्लो आपा को दिया था। मोहम्मद कुरैशी ने 1971 के युद्ध में भाग लिया था।”

उन्होंने बताया कि कर्नल सोफिया कुरैशी के दादा मोहम्मद हुसैन कुरैशी भी सेना में थे। आबिद ने कहा, “जब नौगांव का मिलिट्री कॉलेज पुणे में स्थानांतरित किया गया था, तो परिवार भी वहां चला गया। पुणे में कर्नल कुरैशी के पिता सेना में शामिल हुए और सूबेदार मेजर के रूप में सेवाएं दीं। सोफिया और उनकी बहन साइना, दोनों का जन्म पुणे में हुआ था।” उन्होंने कहा कि बाद में सोफिया और साइना अपने दादा-दादी और मां के साथ नौगांव चले गए और 1981 में सरकारी स्कूल में दाखिला लिया। उनके पिता के रांची में स्थानांतरण के बाद, परिवार वहां चला गया। इसके बाद, वे एक और स्थानांतरण के बाद वडोदरा चले गए, जहां उनके पिता अंततः सेवानिवृत्त हो गए और परिवार के साथ बस गए।

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