एफएनएन, देहरादून: प्राकृतिक आपदाओं से निरंतर जूझते आ रहे उत्तराखंड का चमोली जिला भूस्खलन की दृष्टि से राज्य में सर्वाधिक संवेदनशील है। जीएसआइ (जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया) द्वारा कराए गए राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण में उत्तराखंड का परिदृश्य तो यही बयां कर रहा है।
वर्ष 2014 से 2021 तक हुए इस मानचित्रण के मुताबिक, उत्तराखंड में वर्ष 2021 तक 14720 स्थानों पर भूस्खलन हुआ। जिलेवार स्थिति देखें तो चमोली जिले में सबसे ज्यादा 3983 जगह भूस्खलन की घटनाएं हुईं। यही नहीं, सर्वाधिक उच्च संवेदनशीलता वाला क्षेत्र भी इसी जिले में है, जो 29.89 प्रतिशत है। उच्च संवेदनशीलता की श्रेणी में बागेश्वर जिला दूसरे स्थान पर है।
यह भी पढ़ें –सैम करन के नाम दर्ज हुआ अनचाहा रिकॉर्ड, 17 साल बाद इंग्लैंड टीम को किया शर्मसार
भूस्खलन के लिहाज से 39009 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र संवेदनशील
इसमें बताया गया कि उत्तराखंड का कुल 39009 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील है। इसके लिए जिलेवार हुए भूस्खलन और वहां उच्च, मध्यम व निम्न श्रेणी की संवेदनशीलता के आंकड़ों का ब्योरा दिया गया।
यह भी बताया गया कि रुद्रप्रयाग जिले में प्रयोग के तौर पर लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रारंभ कर दिया गया है। धीरे-धीरे अन्य जिलों में भी ऐसा किया जाएगा, ताकि भूस्खलन का पूर्वानुमान मिलने से जानमाल की क्षति को कम किया जा सके।
जिलेवार भूस्खलन की स्थिति
जिला – संख्या
चमोली – 3983
नैनीताल – 2515
देहरादून – 1774
बागेश्वर – 1560
रुद्रप्रयाग – 1509
अल्मोड़ा – 1369
उत्तरकाशी – 1282
पौड़ी – 1068
टिहरी – 490
हरिद्वार – 375
पिथौरागढ – 1063
चंपावत – 114
जिलों में संवेदनशील क्षेत्रों की स्थिति (प्रतिशत में)
जिला – उच्च – मध्यम – निम्न
चमोली – 29.89 – 34.49 – 35.62
बागेश्वर – 27.71 – 34.45 – 37.84
पिथौरागढ़ – 27.45 – 33.60 – 38.81
उत्तरकाशी – 24.22 – 30.52 – 45.24
रुद्रप्रयाग – 20.47 – 29.70 – 49.81
नैनीताल – 20.44 – 27.29 – 52.27
अल्मोड़ा – 18.44 – 25.36 – 56.20
देहरादून – 17.70 – 26.84 – 55.46
पौड़ी – 16.42 – 36.10 – 47.49
चंपावत – 14.89 – 33.37 – 52.37
टिहरी – 14.88 – 31.75 – 53.37
हरिद्वार – 13.90 – 31.75 – 53.37
ऊधम सिंह नगर – 0.03 – 0.69 – 99.01