एफएनएन, देहरादून : बदरीनाथ हाईवे पर निर्माणाधीन हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य ठप पड़ने से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को अभी तक तीन महीनों में लगभग 10 करोड़ का नुकसान हो गया है। बाईपास निर्माण में जुटी एक्सावेटर, रोड ड्रीलिंग मशीन, पोकलेन सहित 15 मशीनें भी हेलंग में धूल फांक रही हैं।
सीमा सड़क संगठन के अधिकारी बाईपास के लिए फिलहाल आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। चीन सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार ने बीते वर्ष की शुरुआत में हेलंग-मारवाड़ी (6.50 किलोमीटर) बाईपास के निर्माण को हरी झंडी दी। इसके लिए 185 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी गई।
जुलाई माह में बीआरओ ने बाईपास का निर्माण कार्य शुरू किया था लेकिन जनवरी माह में जोशीमठ भू-धंसाव शुरू हो गया जिसके बाद से 5 जनवरी को स्थानीय लोगों की मांग पर प्रशासन ने जोशीमठ क्षेत्र के ईद-गिर्द सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी। इससे बाईपास का निर्माण भी रुक गया। यहां हेलंग की ओर से दो किलोमीटर और मारवाड़ी की ओर से 500 मीटर सड़क की हिल कटिंग भी कर ली गई थी।
बीआरओ की कमान अधिकारी मेजर आईना ने बताया कि किसी भी बाईपास के निर्माण में सबसे पहले टेक्निकल टीम से विस्तृत सर्वे कराया जाता है। बाईपास निर्माण में भी आईआईटी रुड़की व अन्य टेक्निकल टीम से हेलंग से मारवाड़ी तक का विस्तृत सर्वे कराया गया था। सर्वे रिपोर्ट सही निकली जिसके बाद बाईपास का निर्माण शुरू किया गया। बाईपास के निर्माण का जोशीमठ भू-धंसाव से कोई संबंध नहीं है। निर्माण कार्य रुकने से अभी तक करीब 10 करोड़ का नुकसान हो गया है। अब निर्माण शुरू करने के लिए आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट का इंतजार है।
- इसलिए जरूरी है यह बाईपास